Palamau

मनातू के जागराहा गांव में आदिम जनजाति के लोग सरकारी योजनाओं से वंचित

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#पलामू #आदिवासी_वंचना : जागराहा गांव में प्रहिया जाति के परिवार राशन, आधार और आवास जैसी मूलभूत योजनाओं से अबतक बाहर
  • जागराहा गांव में आदिम जनजाति प्रहिया समाज के परिवार किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं पा रहे हैं।
  • राशन कार्ड डिलीट होने से लगभग चार घरों के लोग भोजन सुरक्षा योजना से वंचित हैं।
  • गांव में आधार कार्ड, बिजली कनेक्शन, आवास और पेंशन जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।
  • कई पुरुष और महिलाएं पलायन कर चुके हैं, सिर्फ कुछ महिलाएं और बच्चे गांव में बचे हैं।
  • बच्चों को आंगनबाड़ी सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
  • पंचायत के मुखिया पति उदय सिंह ने शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया।

पलामू जिले के मनातू प्रखंड के बंसी खुर्द पंचायत अंतर्गत जागराहा गांव में आदिम जनजाति प्रहिया समाज के लोग आज भी विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर हैं। राज्य सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं गांव तक पहुंचने से पहले ही कागजों में सीमित रह जाती हैं। न तो इन परिवारों के पास आधार कार्ड हैं, न जाति प्रमाण पत्र और न ही राशन कार्ड। जो राशन कार्ड पहले था, वह भी अधिकारियों के आदेश से डिलीट कर दिया गया, जिससे चार से पांच घरों के करीब पंद्रह लोग सरकारी सहायता से पूरी तरह वंचित हो गए हैं।

सरकारी योजनाओं से दूर आदिम जनजाति परिवार

जागराहा गांव में रहने वाले प्रहिया समाज के लोगों का जीवन बदहाली की तस्वीर पेश करता है। टूटे-फूटे घरों में रहने वाले ये परिवार आज भी मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाते हैं और हैंडपंप से पानी भरकर अपनी प्यास बुझाते हैं। गांव में बिजली का नामोनिशान नहीं है। छह वर्ष तक के छोटे-छोटे बच्चे हैं, लेकिन किसी को भी आंगनबाड़ी केंद्र से भोजन या शिक्षा की सुविधा नहीं मिल रही।

गांव की एक महिला ने कहा, “हम लोग राशन कार्ड और आधार कार्ड से वंचित हैं। पहले कार्ड था, पर अब डिलीट कर दिया गया। पेंशन भी नहीं मिलता। किसी तरह खंडहर जैसे घर में जिंदगी गुजर रही है।”

गांव की महिलाएं किसी तरह बच्चों के साथ जीवन बिता रही हैं। पुरुष रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर गए हैं। कुछ परिवारों ने बताया कि कई बार उन्होंने प्रखंड कार्यालय में आवेदन भी दिया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

प्रशासनिक उदासीनता से बढ़ी समस्याएं

स्थानीय लोगों का आरोप है कि मनातू प्रखंड और जिला स्तर के अधिकारी कभी जागराहा गांव की वास्तविक स्थिति देखने नहीं पहुंचे। गांव की महिलाएं और बच्चे गरीबी और उपेक्षा के बीच किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं। उन्हें पेंशन, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण जैसी बुनियादी सुविधाओं का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

ग्रामीणों का कहना है, “हमारे गांव में अधिकारी आते ही नहीं हैं। बार-बार कहने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। हम आदिम जनजाति हैं, फिर भी सरकार की योजनाओं से बाहर हैं।”

प्रशासन की प्रतिक्रिया

बंसी खुर्द पंचायत के मुखिया पति उदय सिंह ने बताया कि प्रशासन की ओर से अब पहल शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक विशेष कैंप लगाकर सभी प्रहिया परिवारों के आधार कार्ड बनवाए गए हैं, और बहुत जल्द राशन कार्ड, आवास योजना, पेंशन और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाया जाएगा।

उदय सिंह ने कहा, “सरकार की मंशा स्पष्ट है कि कोई भी आदिम जनजाति परिवार वंचित न रहे। जल्द ही जागराहा के हर घर तक सरकारी सुविधा पहुंचाई जाएगी।”

न्यूज़ देखो: विकास से वंचित समाज के लिए जागरूकता जरूरी

जागराहा जैसे गांव झारखंड की उस सच्चाई को उजागर करते हैं जहां आज भी आदिम जनजातियां योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। सरकार और प्रशासन को इन इलाकों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि विकास का प्रकाश हर घर तक पहुंच सके।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बदलाव की शुरुआत जनजागरूकता से

अब वक्त है कि समाज के हर वर्ग तक सरकारी योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित हो। अपने आसपास ऐसे वंचित परिवारों को मदद करें, उन्हें जागरूक बनाएं और स्थानीय प्रशासन तक उनकी आवाज पहुंचाएं। इस खबर को शेयर करें ताकि हर कोई जाने कि विकास का अधिकार सबका है।

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