
#सिमडेगा #जमीअत_उलेमा : मक्का मस्जिद ईदगाह मोहल्ला में अमन-ओ-इत्तेहाद की फिज़ाओं में जिलाई इकाई का चुनावी अधिवेशन सम्पन्न हुआ
- जमीअत उलेमा सिमडेगा का सालाना चुनावी इजलास मंगलवार को हुआ।
- सर्वसम्मति से मौलाना मिन्हाजुद्दीन रहमानी दोबारा सदर (अध्यक्ष) बने।
- मौलाना मुहम्मद आसिफुल्लाह मुजाहिरी महासचिव मुन्तख़िब हुए।
- पूरी चुनावी प्रक्रिया की निगरानी हज़रत मौलाना मुहम्मद असगर मिस्बाही ने की।
- अधिवेशन में जमीअत के तारीखी किरदार और मौजूदा दौर में इसकी अहमियत पर तफसील से चर्चा हुई।
सिमडेगा की मक्का मस्जिद ईदगाह मोहल्ला में मंगलवार को रूहानी सुकून और इत्तेहाद की फिज़ाओं के बीच जमीअत उलेमा जिला इकाई का सालाना इजलास सम्पन्न हुआ। यहाँ न सिर्फ़ नई ज़िम्मेदारियों का ऐलान किया गया बल्कि तहरीक के रोशन अतीत, मौजूदा हालात और आने वाले वक़्त में इसके हदफ़ात पर भी रोशनी डाली गई।
इत्तेफ़ाक़ से बनी नई तंजीम
झारखंड प्रदेश जमीअत के महासचिव हज़रत मौलाना मुहम्मद असगर मिस्बाही की निगरानी में हुई इस चुनावी कार्रवाई में सर्वसम्मति से मौलाना मिन्हाजुद्दीन रहमानी को दूसरी बार सदर चुना गया। वहीं मौलाना मुहम्मद आसिफुल्लाह मुजाहिरी महासचिव बने। उपाध्यक्ष के तौर पर मौलाना मुहम्मद अयाज़ क़ासमी, हाफ़िज़ शौकत, और मौलाना मुहम्मद हुसैन को जिम्मेदारी दी गई। इसी तरह उप सचिव के लिए हाफ़िज़ मुहम्मद अली, हाजी मुहम्मद सूफियान, मौलाना मुहम्मद फ़िरोज़, और मौलाना मुहम्मद जफ़ीर का नाम तय हुआ, जबकि लुक़मान हैदर को खजांची बनाया गया।
जमीअत का पैग़ाम और मौजूदा हालात
अधिवेशन में उलेमा-ए-किराम ने तक़रीर पेश करते हुए कहा कि जमीअत हमेशा से मज़लूम और कमजोर तबक़ात की आवाज़ रही है। उन्होंने बताया कि इस तंजीम ने हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब को मज़बूती देने में बेमिसाल किरदार अदा किया है। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आज के दौर में जब तफ़रक़ा और नफ़रत की हवाएँ चलाने की कोशिश की जा रही हैं, जमीअत का किरदार और भी अहम हो जाता है।
मौलाना मिन्हाजुद्दीन रहमानी ने कहा: “हमारी जद्दोजहद हमेशा अमन, इंसाफ़ और मोहब्बत के लिए रही है। इनशाअल्लाह, हम इस कारवां को आगे भी उसी रूह के साथ जारी रखेंगे।”
दुआओं के साये में समापन
अधिवेशन का समापन मुल्क में अमन-ओ-सुकून की दुआओं के साथ हुआ। असम और पंजाब में आई सैलाब की आफ़त से मुतास्सिर लोगों की राहत के लिए भी ख़ास दुआएं की गईं। पूरा जलसा एक जज़्बाती मंज़र के साथ ख़त्म हुआ, जहाँ हर शख़्स की आँखों में मोहब्बत, उम्मीदे और इत्तेहाद की चमक मौजूद थी।
न्यूज़ देखो: इत्तेहाद की रौशन मिसाल
सिमडेगा का यह इजलास साबित करता है कि समाज में आज भी अमन, इत्तेहाद और मोहब्बत की बुनियाद ज़िंदा है। जब नफ़रत फैलाने की साज़िशें की जा रही हैं, ऐसे वक़्त में जमीअत जैसी तंजीमें क़ौम की रहनुमाई करती हैं और इंसाफ़ की आवाज़ बुलंद करती हैं।
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मोहब्बत और अमन की आवाज़ बुलंद करें
आज वक़्त की पुकार है कि हम सब अमन-ओ-मोहब्बत की आवाज़ बुलंद करें और अपने समाज को इत्तेहाद और भाईचारे की राह पर मज़बूत करें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और अमन का पैग़ाम हर दिल तक पहुंचाएं।