
#रांची #रामदाससोरेन : नई दिल्ली में इलाज के दौरान शुक्रवार रात हुई मृत्यु पूरे झारखंड में शोक की लहर
- शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का नई दिल्ली में शुक्रवार रात निधन।
- ब्रेन हेमरेज के बाद हालत गंभीर, कई दिनों से ब्रेन डेड थे।
- अकोला अस्पताल, नई दिल्ली में परिवार और करीबी मौजूद रहे।
- बेटे और पूर्व विधायक कुणाल सारंगी ने मृत्यु की पुष्टि की।
- झारखंड में राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर।
झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का लंबी बीमारी और गंभीर हालत से जूझने के बाद शुक्रवार की रात नई दिल्ली के अकोला अस्पताल में निधन हो गया। ब्रेन हेमरेज के कारण उनकी स्थिति कई दिनों से नाजुक बनी हुई थी और चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बावजूद वे बच नहीं पाए। उनके निधन से राज्य की राजनीति में गहरा शून्य आ गया है और पूरे प्रदेश में शोक की लहर है।
बीमारी और अंतिम क्षण
जानकारी के मुताबिक, कुछ दिनों पहले रामदास सोरेन अपने घोड़ाबांधा स्थित आवास में अचानक गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ। उनकी हालत बिगड़ने पर पहले उन्हें जमशेदपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर एयरलिफ्ट कर नई दिल्ली लाया गया। अकोला अस्पताल में इलाज के दौरान वे कई दिनों तक ब्रेन डेड की स्थिति में रहे। शुक्रवार की रात करीब उनके पूरे परिवार और करीबी, जिनमें पूर्व विधायक कुणाल सारंगी भी शामिल थे, अंतिम समय में मौजूद थे।
राजनीतिक सफर और योगदान
रामदास सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में शिक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधारात्मक कदम उठाए, जिनमें स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार, शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के प्रयास शामिल थे। वे हमेशा अपने क्षेत्र और राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध रहे।
शोक संदेश और राजनीतिक प्रतिक्रिया
उनके निधन की पुष्टि होते ही राजनीतिक जगत में गहरा शोक फैल गया। मुख्यमंत्री समेत कई वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों और सामाजिक संगठनों ने श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया।
कुणाल सारंगी (पूर्व विधायक, झामुमो): “रामदास सोरेन जी का जाना हमारे लिए अपूरणीय क्षति है। वे न सिर्फ एक नेता बल्कि एक सच्चे जनसेवक थे।”
जनता के बीच लोकप्रियता
रामदास सोरेन अपनी सादगी और लोगों से जुड़ाव के लिए जाने जाते थे। चाहे ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की कमी दूर करने का मुद्दा हो या विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं को बढ़ावा देना, उन्होंने हमेशा जनहित को प्राथमिकता दी। उनके निधन से खासकर शिक्षा जगत को बड़ा नुकसान हुआ है।
न्यूज़ देखो: एक युग का अंत
रामदास सोरेन का निधन सिर्फ एक मंत्री का जाना नहीं, बल्कि झारखंड की शिक्षा व्यवस्था के एक समर्पित प्रहरी का खो जाना है। उनकी सोच और कार्यशैली ने कई पीढ़ियों को शिक्षा के महत्व से परिचित कराया।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब समय है उनके सपनों को आगे बढ़ाने का
रामदास सोरेन का सपना था कि झारखंड का हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाए। अब यह जिम्मेदारी हम सभी की है कि हम उनकी सोच को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कॉमेंट में साझा करें और इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि उनके योगदान की प्रेरणा हर किसी तक पहुंचे।