
#रांची #निकाय_चुनाव : राज्य चुनाव आयोग का बड़ा फैसला – 2017 के परिसीमन और 2011 की जनगणना के आधार पर ही होगी वोटिंग
- राज्य चुनाव आयोग ने साफ किया कि इस बार किसी नगर निकाय या वार्ड की सीमा में बदलाव नहीं होगा।
- वर्ष 2017 के परिसीमन को ही मान्य करते हुए इसी के आधार पर चुनाव कराए जाएंगे।
- राज्य में 4002 मतदान केंद्रों के गठन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है।
- मतदान बैलेट पेपर से होगा – गुलाबी मतपत्र अध्यक्ष पद के लिए, सफेद मतपत्र वार्ड सदस्य के लिए।
- 10 नवंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई – चुनाव में देरी पर दाखिल अवमानना याचिका पर होगी सुनवाई।
राज्य चुनाव आयोग ने झारखंड नगर निकाय चुनाव 2025 के लिए बड़ा निर्णय लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव पुराने परिसीमन (2017) के आधार पर ही कराए जाएंगे। आयोग ने बताया कि इस बार किसी भी नगर निकाय क्षेत्र या वार्ड सीमा में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। 2011 की जनगणना के आधार पर नगर निकायों का पुनर्गठन वर्ष 2017 में किया गया था और वही सीमाएं अब आगामी चुनाव में लागू रहेंगी।
क्यों नहीं बदला गया परिसीमन
आयोग के अनुसार परिसीमन बदलने की प्रक्रिया केवल तीन स्थितियों में होती है – जब नई जनगणना के बाद जनसंख्या में बड़ी वृद्धि हो, जब किसी नगर निकाय में नई पंचायत जोड़ी जाए, या जब किसी नगर पंचायत को नगर परिषद या नगर निगम में प्रोन्नत किया जाए। झारखंड में फिलहाल इन तीनों में से कोई भी स्थिति नहीं बनी है, इसलिए आयोग ने वर्तमान सीमाओं को यथावत रखने का निर्णय लिया है।
राज्य चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया: “मौजूदा परिसीमन में बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं पाई गई है। चुनाव पूरी तरह पारदर्शी और व्यवस्थित ढंग से कराए जाएंगे।”
मतदान केंद्रों की संख्या और व्यवस्था
आयोग ने सभी जिलों को मतदान केंद्रों के गठन का निर्देश दे दिया है। अब तक लगभग 4002 मतदान केंद्र तैयार किए जा चुके हैं। प्रत्येक बूथ पर अधिकतम 1400 मतदाता रहेंगे। विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी मतदाताओं की सीमा तय रखी गई है। कई जिलों में बूथ गठन का कार्य अंतिम चरण में है।
बैलेट पेपर से होगा मतदान
इस बार झारखंड नगर निकाय चुनाव 2025 में ईवीएम की जगह बैलेट पेपर का उपयोग किया जाएगा।
गुलाबी मतपत्र पर मतदाता मेयर, नगर परिषद अध्यक्ष या नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए वोट डालेंगे, जबकि सफेद मतपत्र वार्ड सदस्य के लिए रहेगा। दोनों मतपत्र अलग-अलग बैलेट बॉक्स में डालने होंगे। आयोग का मानना है कि बैलेट पेपर प्रणाली से ग्रामीण मतदाताओं के लिए मतदान प्रक्रिया और भी सरल व पारदर्शी बनेगी।
हाईकोर्ट की निगरानी में प्रक्रिया
नगर निकाय चुनाव में देरी को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। जस्टिस आनंद सेन की पीठ 10 नवंबर को इस पर सुनवाई करेगी। यह मामला रांची नगर निगम की पूर्व पार्षद रोशनी खलखो द्वारा दायर अवमानना याचिका से जुड़ा है। उन्होंने अदालत को याद दिलाया कि 4 जनवरी 2024 के आदेश में तीन सप्ताह के भीतर चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था।
इन नगर निकायों में होंगे चुनाव
राज्य में नगर निकाय चुनाव कई प्रमुख निगमों, परिषदों और पंचायतों में एक साथ होंगे।
नगर निगम: रांची, हजारीबाग, मेदिनीनगर, धनबाद, गिरिडीह, देवघर, चास, आदित्यपुर, मानगो।
नगर परिषद: गढ़वा, विश्रामपुर, चाईबासा, झुमरी तिलैया, चक्रधरपुर, चतरा, चिरकुंडा, दुमका, पाकुड़, गोड्डा, गुमला, जुगसलाई, कपाली, लोहरदगा, सिमडेगा, मधुपुर, रामगढ़, साहिबगंज, फुसरो, मिहिजाम।
नगर पंचायत: बंशीधर नगर, मझिआंव, हुसैनाबाद, हरिहरगंज, छतरपुर, लातेहार, कोडरमा, डोमचांच, धनवार, राजमहल, बरहरवा, जामताड़ा, बुंडू, खूंटी, सरायकेला, चाकुलिया आदि।
न्यूज़ देखो: पारदर्शिता और स्थिरता का संकेत
पुराने परिसीमन पर चुनाव कराने का निर्णय राज्य चुनाव आयोग के लिए एक संतुलित कदम है। यह न केवल प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखेगा बल्कि अनावश्यक विवादों से भी बचाएगा। हालांकि, आयोग के सामने अब चुनौती है कि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी, सुरक्षित और समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए।
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लोकतंत्र को मजबूत करें – जागरूक बनें
लोकतंत्र तभी सशक्त होता है जब जनता अपनी भागीदारी को समझती है। आगामी नगर निकाय चुनाव केवल प्रतिनिधि चुनने का अवसर नहीं, बल्कि स्थानीय विकास की दिशा तय करने का माध्यम भी हैं।
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