Latehar

लातेहार में झारखंड का पहला टाइगर सफारी प्रोजेक्ट की ओर बड़ा कदम, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने देखा प्रेजेंटेशन

#लातेहार #टाइगरसफारी : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने प्रस्तावित टाइगर सफारी प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा – पर्यटन और रोजगार के नए अवसरों की संभावना।
  • मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने लातेहार के पुटूवागढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित टाइगर सफारी प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन देखा।
  • यह झारखंड का पहला टाइगर सफारी प्रोजेक्ट होगा, जो पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के बाहर विकसित किया जाएगा।
  • परियोजना से स्थानीय लोगों को आजीविका और पर्यटन विकास के अवसर मिलेंगे।
  • मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए कि सभी पर्यावरणीय और सुरक्षा मानकों का पालन हो।
  • मौके पर मंत्री सुदिव्य कुमार, विधायक कल्पना सोरेन सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

रांची। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने शुक्रवार को अपने कांके रोड स्थित आवासीय कार्यालय में लातेहार जिला के पुटूवागढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित टाइगर सफारी प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन देखा। यह प्रोजेक्ट झारखंड का पहला टाइगर सफारी होगा, जो राज्य के पर्यटन विकास और स्थानीय रोजगार सृजन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।

मुख्यमंत्री ने ली परियोजना की पूरी जानकारी

मुख्यमंत्री के समक्ष अधिकारियों ने टाइगर सफारी प्रोजेक्ट से संबंधित विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। अधिकारियों ने बताया कि यह प्रोजेक्ट पलामू टाइगर रिजर्व के बाहर के क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा, ताकि वहां के इको-टूरिज्म सर्किट को मजबूती मिले। इस सफारी को बेतला नेशनल पार्क के समीप बनाया जाना प्रस्तावित है।

अधिकारियों के अनुसार, परियोजना स्थल के लिए आवश्यक भूमि का चयन पहले ही कर लिया गया है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान परियोजना से जुड़े पर्यावरणीय, तकनीकी और प्रबंधन संबंधी पहलुओं पर गहन चर्चा की और अधिकारियों को इसे मानकों के अनुरूप और पारदर्शी तरीके से विकसित करने का निर्देश दिया।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा: “यह प्रोजेक्ट झारखंड के पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार और राज्य को नई पहचान मिलेगी।”

इको-टूरिज्म सर्किट को नई पहचान

अधिकारियों ने बताया कि टाइगर सफारी बनने से नेतरहाट-बेतला-केचकी से लेकर मंडल डैम तक फैले इको-टूरिज्म सर्किट को एक नई पहचान मिलेगी। यह सफारी न केवल देश के पर्यटकों को आकर्षित करेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी झारखंड के पर्यटन मानचित्र को मजबूत करेगी।

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इसके साथ ही डाल्टनगंज, बरवाडीह और मंडल डैम क्षेत्र के ग्रामीणों के लिए यह प्रोजेक्ट रोजगार और आत्मनिर्भरता का नया जरिया बनेगा। होटल, गाइड, सफारी वाहन चालक और अन्य सहायक सेवाओं के माध्यम से सैकड़ों परिवारों को लाभ मिलेगा।

मानकों का सख्ती से पालन

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वाइल्डलाइफ) परितोष उपाध्याय ने मुख्यमंत्री को बताया कि परियोजना की स्थापना में वन्यजीव संरक्षण से संबंधित सभी राष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सफारी क्षेत्र को इस प्रकार विकसित किया जाएगा कि बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए सुरक्षित और स्वाभाविक वातावरण बना रहे।

इस परियोजना का एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि पर्यटकों को बाघों और वन्यजीवों को क़रीब से देखने का अवसर मिले, जबकि संरक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका योगदान रहे।

उच्चस्तरीय उपस्थिति में हुई समीक्षा

इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री सुदिव्य कुमार, विधायक कल्पना सोरेन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वाइल्डलाइफ) परितोष उपाध्याय, पलामू टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एस.आर. नाटेश, उप निदेशक प्रजेश जेना, और कंसल्टेंट अशफाक अहमद सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से परियोजना के हर चरण में स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने, स्वदेशी निर्माण सामग्री के उपयोग और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए।

न्यूज़ देखो: झारखंड पर्यटन को नई पहचान देने वाला ऐतिहासिक कदम

झारखंड के इतिहास में यह टाइगर सफारी प्रोजेक्ट पर्यटन, पर्यावरण और रोजगार — तीनों क्षेत्रों में एक साथ प्रगति का प्रतीक बन सकता है। इससे न केवल राज्य की पर्यटन आय बढ़ेगी बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी।
जरूरी है कि इस योजना को पारदर्शिता और स्थानीय जनसहभागिता के साथ आगे बढ़ाया जाए ताकि झारखंड “ग्रीन टूरिज्म” के क्षेत्र में मिसाल कायम कर सके।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जंगलों की धरोहर, जनभागीदारी से सुरक्षित

झारखंड की धरती पर बाघ केवल शक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि पर्यावरण संतुलन के रक्षक भी हैं।
अब समय है कि हम सब मिलकर इस प्राकृतिक धरोहर की रक्षा करें।
सुरक्षा, स्वच्छता और संरक्षण के इस मिशन में अपनी भूमिका निभाएं।
खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट करें और झारखंड के इस ऐतिहासिक कदम का हिस्सा बनें — ताकि आने वाली पीढ़ियाँ गर्व से कह सकें, “हमने अपने जंगल बचाए।”

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Akram Ansari

बरवाडीह, लातेहार

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