
#सिमडेगा #पेसा_कानून : झारखंड कैबिनेट से पेसा कानून पारित होने पर झामुमो ने जिला मुख्यालय में उत्सवपूर्वक आभार कार्यक्रम आयोजित किया।
झारखंड कैबिनेट से पेसा कानून की स्वीकृति के बाद सिमडेगा जिला मुख्यालय में झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा भव्य धन्यवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व जिला अध्यक्ष अनिल कंडुलना ने किया, जिसमें ढोल-नगाड़ों के साथ मिठाई वितरण कर खुशी जताई गई। झामुमो नेताओं ने इसे आदिवासी–मूलवासी समाज के अधिकारों को मजबूत करने वाला ऐतिहासिक निर्णय बताया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पार्टी पदाधिकारी, कार्यकर्ता और आम नागरिक शामिल हुए।
- पेसा कानून के झारखंड कैबिनेट से पारित होने पर सिमडेगा में आयोजन।
- झामुमो जिलाध्यक्ष अनिल कंडुलना के नेतृत्व में जिला मुख्यालय पर धन्यवाद कार्यक्रम।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आभार, ढोल-नगाड़ा और मिठाई वितरण।
- ग्राम सभा और स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक मजबूती का संदेश।
- जिला, प्रखंड और मोर्चा स्तर के सैकड़ों पदाधिकारी-कार्यकर्ता रहे उपस्थित।
झारखंड में बहुप्रतीक्षित पेसा कानून की ऐतिहासिक स्वीकृति के बाद सिमडेगा जिले में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिला। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति के निर्देशानुसार सिमडेगा जिला समिति ने जिला मुख्यालय में भव्य धन्यवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम राज्य सरकार द्वारा आदिवासी–मूलवासी समाज को संवैधानिक अधिकार देने की दिशा में उठाए गए इस बड़े कदम के स्वागत और आभार प्रकट करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। ढोल-नगाड़ों की थाप, मिठाई वितरण और बधाइयों के बीच पूरा वातावरण उल्लासपूर्ण नजर आया।
पेसा कानून को बताया ऐतिहासिक और दूरगामी निर्णय
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झामुमो जिला अध्यक्ष अनिल कंडुलना ने कहा:
अनिल कंडुलना ने कहा: “पेसा कानून आदिवासी समाज के आत्मसम्मान, अधिकार और स्वशासन की मजबूत नींव है। इसके प्रभावी होने से ग्राम सभाओं को वास्तविक अधिकार मिलेगा और स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय लोगों का अधिकार सुनिश्चित होगा।”
उन्होंने कहा कि यह कानून वर्षों से आदिवासी–मूलवासी समाज की मांग रही है, जिसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड सरकार ने पूरा किया है। इससे झारखंड के विकास को नई दिशा मिलेगी और गांव स्तर पर निर्णय प्रक्रिया मजबूत होगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति जताया आभार
इस अवसर पर झामुमो जिला सचिव मो सफीक खान ने भी सभा को संबोधित किया।
मो सफीक खान ने कहा: “माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड सरकार लगातार आदिवासी–मूलवासी हितों की रक्षा और विकास के लिए संकल्पित है। पेसा कानून इसकी सबसे बड़ी मिसाल है।”
उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल कानून पारित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे गांवों में लोकतंत्र और स्वशासन की भावना और अधिक सशक्त होगी।
ढोल-नगाड़ों और मिठाई वितरण से झलका उत्साह
धन्यवाद कार्यक्रम के दौरान पारंपरिक ढोल-नगाड़ों के साथ लोगों ने एक-दूसरे को बधाइयां दीं। आमजनों के बीच मिठाई का वितरण किया गया, जिससे यह कार्यक्रम एक राजनीतिक आयोजन के साथ-साथ जन उत्सव का रूप लेता नजर आया। पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने इस निर्णय को लंबे संघर्ष की जीत बताया।
जिलेभर के पदाधिकारी और मोर्चा प्रतिनिधि रहे शामिल
इस कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष अनिल कंडुलना, जिला सचिव सफीक खान, जिला उपाध्यक्ष अनिल तिर्की, ऑस्कर डांग, मो सिराजुद्दीन, सरफराज अहमद, जिला संगठन सचिव वकील खान, जिला संगठन सचिव साइमन समद, जिला कोषाध्यक्ष राजेश टोप्पो प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
इसके अलावा केंद्रीय समिति सदस्य फिरोज अली, नोवास केरकेट्टा, मो इरशाद, नुसरत खातून, सुनील खेश, अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष मो सकील अख्तर, अल्पसंख्यक जिला सचिव मो मिस्टर, छात्र मोर्चा जिला अध्यक्ष बीरेंद्र बड़ा, महिला मोर्चा जिला उपाध्यक्ष फूलकुमारी समद, महिला मोर्चा सचिव प्रेमधानी हेमरोम सहित सभी प्रखंड अध्यक्ष, सचिव, वर्ग संगठनों के पदाधिकारी, नगर सचिव बीरबल महतो, नगर उपाध्यक्ष कुंदन कुमार रजक, किशोर डांग, मो शहीद, जाफर खान और भारी संख्या में पार्टी नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे।
ग्राम सभा को मिलेगी संवैधानिक मजबूती
वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि पेसा कानून के लागू होने से ग्राम सभाओं को निर्णय लेने की वास्तविक शक्ति मिलेगी। स्थानीय जल, जंगल और जमीन पर ग्राम सभा की भूमिका मजबूत होगी और बाहरी हस्तक्षेप पर अंकुश लगेगा। आदिवासी बहुल जिलों के लिए इसे ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत बताया गया।
न्यूज़ देखो: पेसा कानून से बदलेगा गांवों का सत्ता संतुलन
पेसा कानून की स्वीकृति झारखंड के आदिवासी–मूलवासी समाज के लिए केवल कानूनी नहीं, बल्कि वैचारिक जीत भी है। इससे वर्षों से चली आ रही स्वशासन की मांग को संवैधानिक आधार मिला है। सिमडेगा में हुआ यह धन्यवाद कार्यक्रम बताता है कि इस फैसले को जमीनी स्तर पर कितना समर्थन और उम्मीद मिल रही है। अब चुनौती इसके प्रभावी क्रियान्वयन की होगी, जिस पर सरकार और प्रशासन की भूमिका निर्णायक रहेगी।
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अधिकारों की समझ से ही मजबूत होगा स्वशासन
पेसा कानून ने गांवों को निर्णय लेने की ताकत दी है, लेकिन इसकी सफलता जागरूकता और सहभागिता पर निर्भर करेगी।
जरूरत है कि ग्राम सभा अपने अधिकारों को समझे और उनका जिम्मेदारी से उपयोग करे।
यह फैसला झारखंड के भविष्य की दिशा तय कर सकता है।




