
#लातेहार #राजनीतिक_धरना : मनरेगा को VB-G RAM G करने के विरोध में झामुमो ने समाहरणालय के समक्ष एकदिवसीय धरना दिया।
केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा का नाम बदलकर VB-G RAM G कानून पारित किए जाने के विरोध में झारखंड मुक्ति मोर्चा लातेहार जिला इकाई ने 27 दिसंबर 2025 को समाहरणालय परिसर में एकदिवसीय धरना आयोजित किया। धरना में बड़ी संख्या में झामुमो पदाधिकारी, कार्यकर्ता और समर्थक शामिल हुए। कार्यक्रम में केंद्र की नीति को महात्मा गांधी के विचारों पर हमला बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया गया। नेताओं ने चेतावनी दी कि यह संघर्ष सड़क से लेकर सदन तक जारी रहेगा।
- 27 दिसंबर 2025 को लातेहार समाहरणालय परिसर में झामुमो का एकदिवसीय धरना।
- मनरेगा का नाम बदलकर VB-G RAM G करने के फैसले का जोरदार विरोध।
- पूर्व मंत्री वैद्यनाथ राम और जिला अध्यक्ष लाल मोतीनाथ शाहदेव ने संभाला मोर्चा।
- केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी के विचारों को कमजोर करने का आरोप।
- आंदोलन को सड़क से सदन तक ले जाने की चेतावनी।
लातेहार में झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा आयोजित यह धरना जिले की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में सामने आया। समाहरणालय परिसर में सुबह 11 बजे से शुरू हुए इस कार्यक्रम में जिले भर से पहुंचे कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। धरना का मुख्य विषय मनरेगा का नाम बदलकर VB-G RAM G कानून बनाए जाने का विरोध रहा, जिसे झामुमो नेताओं ने ग्रामीण गरीबों और महात्मा गांधी के आदर्शों के खिलाफ बताया।
केंद्र सरकार की नीति पर झामुमो का तीखा हमला
धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री एवं झामुमो के केंद्रीय उपाध्यक्ष वैद्यनाथ राम ने कहा:
“केंद्र सरकार नाम बदलने की राजनीति कर देश में अनावश्यक विवाद खड़ा कर रही है। मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि महात्मा गांधी के विचारों और ग्रामीण गरीबों के अधिकारों का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि विपक्ष की आवाज दबाने और गांधीवादी सोच को कमजोर करने का प्रयास भी है।
महात्मा गांधी के विचारों पर हमला : जिला अध्यक्ष
झामुमो लातेहार जिला अध्यक्ष लाल मोतीनाथ शाहदेव ने कहा:
“यह सिर्फ योजना का नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि महात्मा गांधी के विचारों पर सीधा प्रश्नचिह्न लगाने का प्रयास है।”
उन्होंने कहा कि झारखंड के सभी जिलों में झामुमो कार्यकर्ता इस मुद्दे पर एकजुट होकर आवाज बुलंद कर रहे हैं और भाजपा की इस मानसिकता को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
वरिष्ठ नेताओं ने जताया विरोध
धरना के दौरान जिला 20 सूत्री उपाध्यक्ष अरुण कुमार दुबे ने कहा कि नाम परिवर्तन के माध्यम से गांधी जी के आदर्शों को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विपक्ष इस षड्यंत्र को सफल नहीं होने देगा।
कार्यक्रम में मौजूद अन्य वक्ताओं ने भी केंद्र सरकार के तानाशाही रवैये और नाम बदलने की राजनीति की कड़ी आलोचना की।
हाल ही में झामुमो में शामिल सौरभ श्रीवास्तव का बयान
हाल ही में आम आदमी पार्टी से झामुमो में शामिल हुए सौरभ श्रीवास्तव ने कहा:
“केंद्र सरकार को पहले राज्य का बकाया मनरेगा फंड जारी करना चाहिए, ताकि योजना को और गति मिले।”
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि झामुमो के सदस्यता अभियान से घबराहट साफ झलक रही है।
नारों से गूंजा समाहरणालय परिसर
धरना के दौरान कार्यकर्ताओं ने “दिसोम गुरु शिबू सोरेन अमर रहें”, “हेमंत सोरेन जिंदाबाद”, “कल्पना सोरेन जिंदाबाद” और “झारखंड मुक्ति मोर्चा जिंदाबाद” जैसे गगनभेदी नारे लगाए।
बड़ी संख्या में पदाधिकारी और कार्यकर्ता रहे मौजूद
इस धरना कार्यक्रम में प्रमुख रूप से वैद्यनाथ राम, लाल मोतीनाथ शाहदेव, बुद्धेश्वर उरांव, मनोज यादव, अरुण कुमार दुबे, राजेंद्र लोहरा, जीरा देवी, ममता सिंह, इनायत करीम, पप्पन खान, मोहन गंझू, सुदामा प्रसाद, रीना उरांव, शमशेर खान, शीतमोहन मुंडा, शमशुल होदा, कामेश्वर भोक्ता, मनोज चौधरी, प्रदीप गंझू, राजेंद्र भोक्ता, विजय भगत, आर्सेन तिर्की, संजय उरांव, तौकीर मियां, सकिंदर बड़ा, परवेज आलम, शशिभूषण तिवारी, नागदेव उरांव, अहिया अंसारी, भोला यादव, अंजली देवी, ईश्वर उरांव, शिवकेश्वर राम, मोहम्मद इमरान, रोहित अग्रवाल, अश्विनी कुमार मिश्रा, अहद खान, जिला युवा मोर्चा अध्यक्ष रंजीत उरांव, उपाध्यक्ष अंकित कुमार तिवारी, नौशाद आलम सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
लातेहार की राजनीति में बढ़ी गर्माहट
इस धरना कार्यक्रम के बाद जिले की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। झामुमो नेताओं ने साफ संकेत दिया है कि यदि केंद्र सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

न्यूज़ देखो: मनरेगा विवाद ने फिर गरमाई झारखंड की राजनीति
मनरेगा के नाम परिवर्तन को लेकर झारखंड में राजनीतिक टकराव खुलकर सामने आ गया है। झामुमो ने इसे केवल नाम का बदलाव नहीं, बल्कि विचारधारा पर हमला बताया है। धरना से यह स्पष्ट हुआ कि ग्रामीण रोजगार और गांधीवादी मूल्यों का मुद्दा आने वाले दिनों में और तेज होगा। अब निगाहें केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति पर टिकी हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
लोकतंत्र में आवाज उठाना ही असली शक्ति है
मनरेगा जैसे मुद्दे सीधे आम लोगों के जीवन से जुड़े होते हैं। ऐसे में सजग नागरिक के रूप में सवाल पूछना और जवाब मांगना जरूरी है। यदि नीतियों से आम जनता प्रभावित होती है, तो लोकतंत्र में विरोध भी उतना ही जरूरी है।
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