
#सिमडेगा #पेसा_कानून : आदिवासी अधिकारों की मजबूती पर झामुमो ने मुख्यमंत्री के प्रति जताया सामूहिक आभार।
झारखंड में पेसा कानून लागू किए जाने के बाद सिमडेगा जिला मुख्यालय में झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा आभार कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए इस फैसले को आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया गया। झामुमो नेताओं ने कहा कि यह कानून ग्राम सभाओं को संवैधानिक अधिकार देकर स्थानीय स्वशासन को सशक्त करेगा। पेसा कानून को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांग के पूरा होने पर कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल देखने को मिला।
- पेसा कानून लागू होने की खुशी में झामुमो सिमडेगा का आभार कार्यक्रम।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ऐतिहासिक निर्णय का श्रेय।
- जिला अध्यक्ष अनिल कंडुलना ने कानून को आदिवासी समाज की जीत बताया।
- ग्राम सभाओं को संवैधानिक अधिकार मिलने पर जोर।
- मिठाई, नगाड़ा और फटाकों के साथ खुशी का इजहार।
झारखंड में पेसा कानून लागू किए जाने के बाद सिमडेगा जिले में राजनीतिक और सामाजिक माहौल उत्साह से भर गया है। इसी कड़ी में झारखंड मुक्ति मोर्चा सिमडेगा जिला समिति की ओर से जिला मुख्यालय में एक आभार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति धन्यवाद प्रकट करना और इस फैसले को आदिवासी समाज के अधिकारों की दिशा में मील का पत्थर बताना रहा।
कार्यक्रम में झामुमो नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा कि पेसा कानून का इंतजार झारखंड बनने से पहले से ही आदिवासी समाज कर रहा था। अब जाकर इस कानून को लागू किया जाना न केवल संवैधानिक प्रक्रिया की सफलता है, बल्कि यह आदिवासी स्वशासन और लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करेगा।
जिला अध्यक्ष अनिल कंडुलना का संबोधन
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झामुमो जिला अध्यक्ष अनिल कंडुलना ने कहा कि पेसा कानून को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है और यह आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा:
“पेसा कानून का इंतजार झारखंड बनने से पहले से लोग कर रहे थे। यह कानून ग्राम सभाओं को संवैधानिक अधिकार प्रदान करेगा और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाएगा।”
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह का साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय लेने की क्षमता केवल उन्हीं में है। अनिल कंडुलना ने कहा कि पेसा कानून के माध्यम से मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज की वर्षों पुरानी मांग को पूरा किया है, जो आने वाले समय में झारखंड की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था को नई दिशा देगा।
जल जंगल जमीन के अधिकार होंगे मजबूत
झामुमो जिला अध्यक्ष ने आगे कहा कि पेसा कानून लागू होने से जल, जंगल और जमीन से जुड़े अधिकारों की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित होगी। ग्राम सभा की भूमिका मजबूत होने से गांव स्तर पर विकास योजनाओं की निगरानी स्थानीय लोग स्वयं कर सकेंगे, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अब आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्य स्थानीय जरूरतों और परंपराओं के अनुरूप होंगे। इससे न केवल सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
उत्सव में बदला राजनीतिक कार्यक्रम
पेसा कानून लागू होने की खुशी में आभार कार्यक्रम पूरी तरह उत्सव में तब्दील नजर आया। कार्यक्रम के दौरान झामुमो कार्यकर्ताओं को जड्डू खिलाकर मुंह मीठा कराया गया। इसके साथ ही नगाड़ा बजाकर, फटाके फोड़कर और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया गया।
कार्यकर्ताओं ने “हेमंत सोरेन जिंदाबाद” और “पेसा कानून लागू करो” जैसे नारों के साथ इस फैसले का स्वागत किया। पूरे कार्यक्रम स्थल पर उत्साह और उल्लास का माहौल बना रहा, जिससे साफ झलकता था कि पेसा कानून को लेकर जमीनी स्तर पर भी जबरदस्त समर्थन है।
बड़ी संख्या में पदाधिकारी और कार्यकर्ता रहे मौजूद
इस आभार कार्यक्रम में झामुमो जिला सचिव, पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारी, कार्यकर्ता और समर्थक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के फैसले की सराहना की और इसे आदिवासी समाज के सशक्तिकरण की दिशा में निर्णायक कदम बताया।
कार्यकर्ताओं का कहना था कि पेसा कानून लागू होने से झारखंड की पहचान और मजबूत होगी और आदिवासी समुदाय को उनका संवैधानिक हक वास्तविक रूप से मिल सकेगा।

न्यूज़ देखो: आदिवासी स्वशासन की दिशा में बड़ा कदम
पेसा कानून का लागू होना झारखंड की राजनीति और प्रशासन में बड़ा बदलाव संकेत करता है। इससे ग्राम सभाओं को वास्तविक शक्ति मिलेगी और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में निर्णय प्रक्रिया नीचे तक पहुंचेगी। यह फैसला केवल कानून नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में मजबूत संदेश है। अब इसकी प्रभावी क्रियान्वयन पर सबकी नजर रहेगी। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अधिकारों की पहचान से मजबूत होगा लोकतंत्र
जब गांव की आवाज को संवैधानिक मान्यता मिलती है, तभी लोकतंत्र मजबूत होता है। पेसा कानून ने आदिवासी समाज को वही अधिकार लौटाने की पहल की है, जिसकी मांग पीढ़ियों से होती रही है।
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