
#मनातू #प्रतिमा_स्थापना : झारखंड आंदोलन के पुरोधा कार्तिक उरांव की प्रतिमा विद्यालय प्रांगण में अनावरण, लोगों ने किया नमन
- मनातू प्रखंड के कार्तिक उरांव उच्च विद्यालय में स्व. कार्तिक उरांव की प्रतिमा स्थापित की गई।
- प्रतिमा का अनावरण थाना प्रभारी निर्मल उरांव ने किया।
- कार्तिक उरांव के जन्म, संघर्ष और आदिवासी अधिकारों के लिए उनके योगदान को याद किया गया।
- कार्यक्रम में प्रखंड प्रमुख गीता देवी ने विद्यालय के 43 वर्ष के योगदान को सराहा।
- सांसद, विधायक प्रतिनिधि और कई गणमान्य लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
मनातू प्रखंड स्थित कार्तिक उरांव उच्च विद्यालय का परिसर आज ऐतिहासिक पल का साक्षी बना, जब झारखंड आंदोलन के अग्रदूत, स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी समाज के महान नेता स्व. कार्तिक उरांव की प्रतिमा विद्यालय में स्थापित की गई। कार्यक्रम के दौरान लोगों ने उनके योगदान को नमन करते हुए आदिवासी अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
कार्तिक उरांव: संघर्ष, शिक्षा और जनसेवा का प्रेरक जीवन
प्रतिमा का अनावरण करते हुए थाना प्रभारी निर्मल उरांव ने कहा कि कार्तिक उरांव का जन्म 29 अक्टूबर 1924 को गुमला जिले के करौंदा लिटाटोली गांव में हुआ था। वे एक कुशल इंजीनियर, विचारक, समाजसेवी और सम्मानित जनप्रतिनिधि थे।
थाना प्रभारी ने बताया कि वे लोहरदगा लोकसभा सीट से निर्वाचित सांसद रहे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
उन्होंने अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की स्थापना की और आदिवासी धर्म कोड की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती दी। धर्मांतरण के मसले पर उनकी लिखी पुस्तक ‘20 वर्ष की काली रात’ आज भी ऐतिहासिक दस्तावेज मानी जाती है।
उनका निधन 8 दिसंबर 1981 को हुआ, लेकिन उनका विचार आज भी आदिवासी समाज के लिए मार्गदर्शक है।
विद्यालय ने गढ़ी कई पीढ़ियाँ—प्रखंड प्रमुख
कार्यक्रम में प्रखंड प्रमुख गीता देवी ने विद्यालय के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए कहा—
“यह विद्यालय पिछले 43 वर्षों से मनातू क्षेत्र की शिक्षा का मजबूत आधार रहा है। अगर इसकी स्थापना समय पर नहीं हुई होती, तो मनातू आज शिक्षा के क्षेत्र में इतना आगे नहीं होता।”
उन्होंने कहा कि कार्तिक उरांव की प्रतिमा लगने से विद्यालय के छात्रों को नई प्रेरणा मिलेगी और वे अपने इतिहास और नायकों को और गहराई से जान सकेंगे।
कार्यक्रम में रहे कई सम्मानित लोग
इस अवसर पर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में सांसद प्रतिनिधि सचिंद्रजीत सिंह उर्फ गोपू सिंह, विधायक प्रतिनिधि उदेश कुमार यादव, पूर्व विधायक प्रतिनिधि उमेश प्रसाद साहू, मुखिया कुसमी देवी, सुमित उरांव सहित क्षेत्र के कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
सभी ने मिलकर कार्तिक उरांव के योगदान को याद किया और विद्यालय के उज्जवल भविष्य की कामना की।
न्यूज़ देखो : आदिवासी समाज के नायकों का सम्मान, नई पीढ़ी को दे रहा दिशा
कार्तिक उरांव जैसे महान क्रांतिकारियों और चिंतकों की प्रतिमा केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि उनके विचारों का जीवंत संदेश है। मनातू जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे प्रयास शिक्षा और सामाजिक चेतना को मजबूती देते हैं। यह कार्यक्रम आदिवासी अस्मिता और गौरव को नई पीढ़ी के बीच स्थायी रूप से स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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अपनी संस्कृति से जुड़ें, प्रेरणा लें और आगे बढ़ें
अपने क्षेत्र के नायकों के योगदान को जानें और बच्चों को भी उससे परिचित कराएँ।
विद्यालयों में ऐसे कार्यक्रम सामाजिक एकता और पहचान को मजबूत करते हैं।
संस्कृति और इतिहास की रक्षा में सभी की सहभागिता महत्वपूर्ण है।
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