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खूंटी को अब तक नहीं मिल पाया नया सदर अस्पताल, 58 करोड़ की योजना अधर में

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#खूंटी #स्वास्थ्य_व्यवस्था : निर्माण में देरी और सिस्टम की अनदेखी से अस्पताल भवन अधूरा — करोड़ों के उपकरण हो रहे बर्बाद
  • 58 करोड़ की लागत से बन रहा 100 बेड का नया सदर अस्पताल समय पर नहीं हो पाया तैयार
  • 2024 में पूरा होना था निर्माण कार्य, अब 2026 तक खिंचने की आशंका
  • करोड़ों के मेडिकल उपकरण बिना उपयोग के खराब होने की कगार पर
  • स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने बार-बार जताई नाराजगी और चिंता
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पहल पर मंजूर हुई थी योजना
  • निर्माण एजेंसी की अनियमितताओं और सरकारी उदासीनता से जनता को भारी परेशानी

वर्षों की प्रतीक्षा फिर अधूरी: खूंटी का सदर अस्पताल अभी सपना

झारखंड के खूंटी जिले को बने 17 साल हो चुके हैं, लेकिन बुनियादी स्वास्थ्य सेवा का सपना आज भी अधूरा है। वर्ष 2007 में रांची से अलग होकर खूंटी एक स्वतंत्र जिला बना, और तब से एक समर्पित सदर अस्पताल की मांग होती रही।

कोरोना काल के दौरान मरीजों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ, तब पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के प्रयास से खूंटी को 58 करोड़ की लागत से 100 बेड वाले जी+4 सदर अस्पताल भवन की स्वीकृति मिली। लेकिन बिल्डिंग निर्माण की गति शुरुआत से ही सुस्त रही और अब तक यह पूरी नहीं हो सकी।

करोड़ों का नुकसान: उपकरण जंग खा रहे, मरीज बेहाल

स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल निर्माण के लिए आवश्यक उपकरण और संसाधन पहले ही खरीद लिए थे, लेकिन भवन तैयार न होने के कारण वे सभी उपयोग में नहीं आ पा रहे हैं। खुले गोदामों या अस्थायी कमरों में रखे ये उपकरण अब खराब होने लगे हैं, जिससे करोड़ों रुपए के नुकसान की आशंका गहरा रही है।

अस्पताल के लिए खरीदे गए सामान

सदर अस्पताल के डीएस डॉ. आनंद उरांव ने बताया: “मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। रोजाना हजारों लोग अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन अधूरी बिल्डिंग के कारण व्यवस्था सीमित है। हमने कई बार विभाग को लिखा है, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।”

अस्पताल के लिए खरीदे गए सामान

विभाग की चुप्पी और एजेंसी की लापरवाही

सिविल सर्जन डॉ. नागेश्वर मांझी ने भी स्थिति पर नाखुशी जताई है। उन्होंने बताया कि निर्माण एजेंसी की तरफ से अनियमितता और कार्य में ढिलाई बरती जा रही है।

सिविल सर्जन ने कहा: “नवंबर 2024 में अस्पताल भवन बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन अब तक कोई निश्चित तिथि भी तय नहीं हो सकी है। कब तक काम पूरा होगा, कहना मुश्किल है।”

इतिहास दोहराता हुआ: अनुमंडल अस्पताल के सहारे चल रही स्वास्थ्य सेवा

खूंटी जिला गठन के बाद से ही स्वास्थ्य सेवा को लेकर असंतोष रहा है। अब तक पूर्व अनुमंडल अस्पताल को ही सदर अस्पताल का दर्जा देकर किसी तरह जिला की स्वास्थ्य जिम्मेदारी निभाई जा रही है। यह स्थायी समाधान नहीं है और इससे आम लोगों को इलाज के लिए रांची या अन्य जिलों की ओर रुख करना पड़ता है।

स्थानीय निवासी संतोष केरकेट्टा ने कहा: “जब 58 करोड़ की योजना पास हो गई है, तो अस्पताल बनकर तैयार क्यों नहीं हो रहा? यह केवल प्रशासन की विफलता नहीं, जनता के स्वास्थ्य के साथ अन्याय है।”

न्यूज़ देखो: अधूरी योजनाओं के बोझ तले दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवा

न्यूज़ देखो मानता है कि यह मामला सिर्फ निर्माण कार्य में देरी का नहीं, बल्कि नीतिगत निष्क्रियता और जवाबदेही के अभाव का प्रमाण है। जिला गठन के वर्षों बाद भी यदि एक आधुनिक अस्पताल भी नहीं बन पाया, तो यह सिस्टम की विफलता का स्पष्ट संकेत है।

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