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लातेहार के लात पंचायत और डोरम गांव आज भी अंधेरे में, ग्रामीण बोले — दिसंबर तक बिजली नहीं तो जनवरी में कार्यालय ताला बंदी

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#लातेहार #बिजली_संकट : ग्रामीणों ने सौंपा मांग पत्र, कहा — ढिबरी और लालटेन के सहारे कब तक गुज़ारेंगे ज़िंदगी
  • लात पंचायत और डोरम गांव के ग्रामीण अब भी बिजली से वंचित, जीवन प्रभावित।
  • 11 नवंबर 2025 को लगभग 500 ग्रामीणों ने विद्युत कार्यपालक अभियंता को सौंपा मांग पत्र
  • ग्रामीणों ने दी चेतावनी — दिसंबर 2025 तक बिजली नहीं, तो जनवरी 2026 में ताला बंदी अभियान
  • जिला परिषद सदस्य जेम्स हेरेंज, सांसद प्रतिनिधि विवेकानंद प्रसाद सहित कई जनप्रतिनिधि शामिल।
  • ग्रामीणों का आरोप — सरकार के वादों के बावजूद गांव अब भी ढिबरी युग में जीने को मजबूर।

लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड अंतर्गत लात पंचायत और सरयू प्रखंड के डोरम गांव के ग्रामीण आज भी बिजली के अभाव में अंधेरे जीवन जी रहे हैं।
सरकार की “हर घर बिजली” योजना के बावजूद इन इलाकों में अब तक बिजली की किरण नहीं पहुंची है।
बिजली न होने से बच्चों की पढ़ाई, घरेलू काम, सिंचाई व्यवस्था और ग्रामीणों का दैनिक जीवन गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।

ग्रामीणों का प्रशासन को अल्टीमेटम

इस समस्या को लेकर मंगलवार, 11 नवंबर 2025 को दोनों क्षेत्रों के लगभग 500 ग्रामीणों ने विद्युत कार्यपालक अभियंता, लातेहार को लिखित मांग पत्र सौंपा
मांग पत्र में उन्होंने कहा कि यदि दिसंबर 2025 तक गांवों में बिजली आपूर्ति शुरू नहीं की गई, तो जनवरी 2026 से कार्यालय ताला बंदी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि इस आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी बिजली विभाग की होगी।

कन्हाई सिंह ने कहा: “अगर दिसंबर 2025 तक बिजली नहीं मिली, तो जनवरी में विभाग में ताला बंदी होगी। अब गांव वाले चुप नहीं बैठेंगे।”

ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से ढिबरी और लालटेन के सहारे वे जीवन गुज़ार रहे हैं, जबकि कई बार आवेदन और आश्वासन के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

जनप्रतिनिधियों ने भी जताई नाराज़गी

मांग पत्र सौंपने में कई स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए।
इनमें जिला परिषद सदस्य जेम्स हेरेंज, सांसद प्रतिनिधि विवेकानंद प्रसाद, भाजपा मंडल अध्यक्ष सरयू राजकुमार सिंह, ग्राम प्रधान डोरम पांडू सिंह, लात के पूर्व मुखिया जगशहाय सिंह और ग्राम प्रधान अशोक सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल थे।
सभी ने एक स्वर में कहा कि अब धैर्य की सीमा समाप्त हो चुकी है और अगर बिजली विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई, तो आंदोलन व्यापक रूप लेगा।

वर्षों से अधूरी पड़ी बिजली योजना

ग्रामीणों का कहना है कि विद्युत पोल और तारें कई वर्ष पहले लगाई गईं, लेकिन बिजली आपूर्ति आज तक शुरू नहीं हुई।
कुछ स्थानों पर पोल गिर चुके हैं, तो कई जगह ट्रांसफार्मर अधूरे पड़े हैं।
इस कारण ग्रामीण न केवल अंधेरे में जी रहे हैं, बल्कि सरकारी संसाधनों की बर्बादी भी हो रही है।
महिलाओं और विद्यार्थियों को सबसे अधिक दिक्कत हो रही है — रात में पढ़ाई असंभव है और घरेलू कार्यों के लिए ढिबरी ही एकमात्र सहारा बनी हुई है।

न्यूज़ देखो: वादों की रौशनी, हकीकत में अंधेरा

लातेहार के लात और डोरम गांव की यह स्थिति बताती है कि योजनाओं की घोषणा और उनके जमीनी क्रियान्वयन के बीच अभी भी बड़ा अंतर है।
“हर घर बिजली” का नारा तभी साकार होगा जब ग्रामीण क्षेत्रों तक वाकई में रोशनी पहुंचे।
प्रशासन को चाहिए कि इस मांग को तुरंत प्राथमिकता दे, ताकि लोग अंधेरे युग से बाहर निकल सकें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब वक्त है गांवों में सचमुच रोशनी पहुंचाने का

विकास की असली पहचान गांवों की प्रगति से होती है।
जब तक लात और डोरम जैसे गांव बिजली की रौशनी से वंचित रहेंगे, तब तक विकास अधूरा रहेगा।
आइए, हम सब इस मुद्दे को आवाज़ दें — ताकि हर घर में उजाला पहुंचे और कोई बच्चा ढिबरी की लौ में न पढ़े।
अपनी राय कमेंट करें, खबर शेयर करें और ग्रामीणों की इस आवाज़ को आगे बढ़ाएं।

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