
#गिरिडीह #शिक्षा_उपलब्धि : बगोदर प्रखंड के बिहारो गांव निवासी छात्र का विश्व के टॉप रैंकिंग संस्थान यूसीएल लंदन में चयन और शानदार स्कॉलरशिप
- बगोदर प्रखंड, मुंडरो पंचायत, बिहारो गांव निवासी ललन सिंह के पुत्र का चयन यूसीएल लंदन में हुआ।
- संस्थान की विश्व रैंकिंग 9वीं है और इसे केवल 23 छात्रों को दी गई 1.5 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली।
- चयनित छात्रों में तीन भारतीय शामिल हैं।
- यूसीएल अब तक 32 नोबेल पुरस्कार विजेता दे चुका है और इस वर्ष अपना 200वां स्थापना दिवस मना रहा है।
- संस्थान से महात्मा गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, जगदीश चंद्र बोस, बी.पी. मेनन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी पढ़ चुके हैं।
बगोदर प्रखंड के मुंडरो पंचायत स्थित बिहारो गांव के निवासी ललन सिंह के पुत्र ने शिक्षा के क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया है। उनका चयन विश्व के टॉप रैंकिंग संस्थान यूसीएल लंदन में हुआ है। उन्हें इस प्रतिष्ठित संस्थान से लगभग 1.5 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली है, जो पूरी दुनिया के केवल 23 छात्रों को प्रदान की गई है। इनमें से तीन छात्र भारत से हैं।
विश्वस्तरीय प्रतिष्ठा और उपलब्धियां
यूसीएल लंदन का नाम शिक्षा जगत में सर्वोच्च स्थानों में आता है। यह संस्थान अब तक 32 नोबेल पुरस्कार विजेता प्रदान कर चुका है और इस वर्ष अपना 200वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस संस्थान से महात्मा गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, जगदीश चंद्र बोस, बी.पी. मेनन जैसे महान भारतीय और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी जैसे विश्व नेता पढ़ चुके हैं।
स्कॉलरशिप और वैश्विक पहचान
इस छात्र को मिली 1.5 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप उसकी कड़ी मेहनत, लगन और अकादमिक उत्कृष्टता का प्रमाण है। इस प्रकार की स्कॉलरशिप केवल चुनिंदा और असाधारण छात्रों को ही प्रदान की जाती है। चयन और स्कॉलरशिप ने न सिर्फ उनके व्यक्तिगत उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित किया है, बल्कि उनके गांव और जिले के लिए गर्व का क्षण भी है।
क्षेत्रवासियों की खुशी और शुभकामनाएं
क्षेत्रवासी इस उपलब्धि से गर्व महसूस कर रहे हैं और उन्होंने छात्र के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह उपलब्धि अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और शिक्षा के महत्व को और अधिक उजागर करेगी।
न्यूज़ देखो: ग्रामीण छात्र की वैश्विक सफलता से शिक्षा का महत्व
यह उपलब्धि दिखाती है कि यदि विद्यार्थी में संकल्प और मेहनत हो तो ग्रामीण पृष्ठभूमि से भी विश्व के श्रेष्ठतम शिक्षण संस्थानों तक पहुंच संभव है। प्रशासन और शिक्षक समुदाय को ऐसे विद्यार्थियों का मार्गदर्शन और सहयोग बढ़ाना चाहिए।
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शिक्षा से उज्जवल भविष्य की ओर
हमारे समाज के युवा जब अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं, तो कोई भी बाधा उन्हें रोक नहीं सकती। यह उपलब्धि यह संदेश देती है कि मेहनत और लगन से सपने सच होते हैं। ऐसे उदाहरणों को साझा करें, प्रेरित हों, और दूसरों को भी शिक्षा और उच्च अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और ज्ञान के महत्व को फैलाएं।