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भाषा और पुस्तकें जीवन को दिशा देने वाली शक्ति: हिंदी पखवाड़ा में कोलेबिरा नवोदय विद्यालय में पुस्तक प्रदर्शनी

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#कोलेबिरा #हिंदी_पखवाड़ा : हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी ने विद्यार्थियों को दिया अध्ययन और प्रेरणा का संदेश
  • पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय, कोलेबिरा में हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी आयोजित।
  • प्राचार्य संजय कुमार सिंह ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और नियमित अध्ययन पर जोर दिया।
  • वरिष्ठ शिक्षक मनोज कुमार ने छात्रों को उचित पुस्तकों को क्रमबद्ध ढंग से पढ़ने की दी सलाह।
  • हिंदी पखवाड़ा प्रभारी आशुतोष पांडे ने हिंदी भाषा की महत्ता पर प्रकाश डाला।
  • सभी ने हिंदी के प्रचार-प्रसार और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का संकल्प लिया।

कोलेबिरा (सिमडेगा), 9 सितम्बर 2025। हिंदी पखवाड़ा के तहत पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय कोलेबिरा में हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसने छात्रों और शिक्षकों दोनों में उत्साह का माहौल बना दिया। प्रदर्शनी का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य संजय कुमार सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि पुस्तकें जीवन की सच्ची मार्गदर्शक होती हैं और छात्रों को इन्हें सिर्फ पढ़ना ही नहीं, बल्कि उनसे मिली सीख को जीवन में अपनाना चाहिए।

शिक्षा और पुस्तकों का संगम

वरिष्ठ शिक्षक मनोज कुमार ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए कहा कि किताबें हमारे जीवन का दर्पण हैं। उन्होंने छात्रों को यह सलाह दी कि वे उचित पुस्तकों का चयन करके उन्हें क्रमबद्ध ढंग से पढ़ें ताकि उनकी सोच और दृष्टिकोण दोनों विकसित हो सकें।

हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी पखवाड़ा प्रभारी आशुतोष कुमार पांडे ने इस मौके पर कहा कि हिंदी भाषा केवल एक संवाद का साधन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान की आत्मा है। उन्होंने सभी को प्रोत्साहित किया कि वे कार्यस्थलों और दैनिक जीवन में अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग करें ताकि इसकी प्रतिष्ठा और बढ़ सके।

सहयोग और संकल्प

इस प्रदर्शनी को सफल बनाने में पुस्तकालय शिक्षक विकास चंद्र और हिंदी विभाग की विशेष भूमिका रही। सभी शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और इसे सराहनीय पहल करार दिया। अंत में सभी ने संकल्प लिया कि वे हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय योगदान देंगे और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे।

न्यूज़ देखो: भाषा और पुस्तकों का महत्व क्यों

यह आयोजन सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था कि भाषा और पुस्तकें ही जीवन को दिशा देने वाली असली शक्ति हैं। जब छात्र हिंदी भाषा और साहित्य से जुड़ेंगे तो वे न केवल ज्ञान प्राप्त करेंगे, बल्कि अपनी जड़ों और संस्कृति से भी गहराई से जुड़ेंगे।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

किताबें और हिंदी से जुड़े रहना है भविष्य संवारना

अब समय है कि हम सब मिलकर हिंदी और पुस्तकों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। शिक्षा और भाषा का यह संगम ही समाज को आगे बढ़ाने की असली ताकत है। आइए इस पहल को आगे बढ़ाएं। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि हिंदी का महत्व और अधिक लोगों तक पहुंचे।

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