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महागठबंधन में दरार, पलामू में चुनावी तकरार – झारखंड महासंग्राम का ये है असली प्रहार!

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पलामू: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर उठी दरार ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव के बीच समझौता कर छह सीटें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को दी गईं थीं, वहीं कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस और राजद के उम्मीदवारों के आमने-सामने आने से महागठबंधन में भारी मतभेद सामने आया है। विश्रामपुर, छतरपुर, और हुसैनाबाद जैसे प्रमुख सीटों पर यह “दोस्ताना संघर्ष” महागठबंधन के लिए चुनौती बन गया है, और इन सीटों पर अब सियासी भिड़ंत की प्रतीक्षा है।

पलामू बना महासंग्राम का केंद्र

पलामू का विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र इस महासंग्राम का केंद्र बन चुका है। राजद द्वारा विश्रामपुर सीट से नरेश सिंह को उम्मीदवार बनाने के बाद, कांग्रेस ने इस सीट से सुधीर कुमार चंद्रवंशी को मैदान में उतारकर महागठबंधन की राजनीतिक चुनौतियों को और बढ़ा दिया। सुधीर कुमार चंद्रवंशी, जो स्थानीय जनता के बीच अपनी सादगी, ईमानदारी, और संघर्षशील छवि के लिए जाने जाते हैं, इस महासंग्राम में एक महत्वपूर्ण चेहरा बनकर उभरे हैं। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें इस बार विश्रामपुर से टिकट देकर साफ संकेत दे दिया है कि वे राजद के साथ दोस्ताना समझौता छोड़कर सीधे मुकाबले में उतरने को तैयार हैं।

सुधीर चंद्रवंशी का संघर्ष और जनता की उम्मीदें

सुधीर कुमार चंद्रवंशी का राजनीतिक सफर संघर्षों और मेहनत से भरा रहा है। 1994 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले सुधीर ने वर्ष 2003 से 2007 तक गढ़वा कांग्रेस समिति के युवा उपाध्यक्ष का पद संभाला। 2013 से 2018 तक उन्होंने ओबीसी विभाग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए कई बड़े मुद्दों पर कांग्रेस के पक्ष में मजबूती से आवाज उठाई। साथ ही, अखिल भारतीय अहीर चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा में भी उन्होंने उपाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष जैसे पदों पर रहते हुए अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया।

सुधीर की छवि एक सुलझे हुए, ईमानदार और क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देने वाले नेता के रूप में बनी है। उनके समर्थकों का मानना है कि सुधीर, क्षेत्र की जमीनी समस्याओं को गहराई से समझते हैं और विकास का ऐसा एजेंडा रखते हैं जो केवल चुनावी वादे नहीं, बल्कि जनता के विश्वास को जीतने का इरादा है। पलामू की जनता के लिए सुधीर वह आवाज़ बन चुके हैं जो असल मुद्दों – जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और सिंचाई – पर काम करने का वादा करती है।

दोस्ताना संघर्ष या सीधा मुकाबला?

महागठबंधन में मची इस हलचल ने विश्रामपुर, छतरपुर, और हुसैनाबाद में मुकाबले को रोचक बना दिया है। जहां एक तरफ राजद और कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं, वहीं दूसरी ओर दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं। विश्रामपुर सीट पर सुधीर कुमार चंद्रवंशी का मजबूत प्रचार अभियान और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता राजद के लिए कठिन चुनौती साबित हो सकती है। कांग्रेस के समर्थकों का कहना है कि सुधीर का “जमीन से जुड़ा” व्यक्तित्व ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

“महासंग्राम” का असली प्रहार

महागठबंधन में आई यह दरार झारखंड 2024 के चुनावों में बड़ा प्रभाव डाल सकती है। पलामू के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्र तक, यह महासंग्राम सिर्फ चुनावी प्रचार का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र की जनता के लिए उनके भविष्य की दिशा तय करने का एक अवसर है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस महासंग्राम में सुधीर कुमार चंद्रवंशी का चुनावी सफर न केवल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पलामू की सियासी तस्वीर को भी बदल सकता है।

इस महासंग्राम का परिणाम न केवल पलामू की राजनीति बल्कि पूरे झारखंड की राजनीतिक परिस्थितियों पर असर डालेगा। जनता अब यह देख रही है कि कौन उनके असल मुद्दों पर खरा उतरता है और कौन केवल सियासी दांव-पेच खेलता है।

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