
#लातेहार #आंगनबाड़ी_लापरवाही : सोहर पंचायत में सेविका की लगातार अनुपस्थिति से बच्चों के पोषण और देखभाल पर संकट।
- महुआडांड़ थाना क्षेत्र के सोहर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में गंभीर अनियमितताएं उजागर।
- मुख्य सेविका तारा मनी बीते छह महीने से केंद्र में अनुपस्थित रहने का आरोप।
- केंद्र पूरी तरह सहायिका के भरोसे, बच्चों को समय पर भोजन नहीं मिल पा रहा।
- सेविका केवल विशेष अवसरों जैसे टीकाकरण के दिन ही केंद्र में दिखती हैं।
- ग्रामीणों और अभिभावकों ने जिला प्रशासन से जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की।
लातेहार जिले के महुआडांड़ थाना क्षेत्र के सोहर पंचायत में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों ने बताया कि केंद्र की मुख्य सेविका तारा मनी पिछले छह महीने से नियमित रूप से केंद्र नहीं आ रही हैं, जिससे बच्चों की देखभाल और पोषण व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो गई है।
छह महीने से अनुपस्थित सेविका, बच्चों की हालत पर असर
ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र की सेविका की अनुपस्थिति के कारण बच्चों को मीनू के अनुसार पोषाहार नहीं मिल पा रहा और कई बार केंद्र समय से पहले बंद कर दिया जाता है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सेविका की जगह सहायिका ही सभी कार्यों को किसी तरह संभाल रही हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वह भी सब कुछ नहीं कर पा रही।
एक अभिभावक ने कहा: “हमारे बच्चे कई बार भूखे घर लौटते हैं। सेविका महीनों से नहीं आईं, सिर्फ सहायिका ही जैसे-तैसे काम चला रही हैं।”
“एक्सीडेंट” का हवाला देकर बचाव
जब ग्रामीणों ने सेविका से इस संबंध में सवाल किया, तो उन्होंने “एक्सीडेंट” का बहाना बताकर अपनी अनुपस्थिति का बचाव किया। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह बहाना अब नियमित गैरहाजिरी छिपाने का जरिया बन चुका है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि सेविका केवल टीकाकरण जैसे विशेष मौकों पर ही केंद्र में दिखती हैं, जबकि बाकी दिनों में केंद्र की जिम्मेदारी पूरी तरह सहायिका पर छोड़ देती हैं।
प्रशासनिक निगरानी पर सवाल
यह मामला न केवल सेविका की गैर-जिम्मेदारी बल्कि स्थानीय प्रशासन और बाल विकास विभाग की निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि नियमित निरीक्षण किया जाता, तो ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती।
एक महिला ग्रामीण ने कहा: “अगर अधिकारी समय-समय पर केंद्र की जांच करते तो सेविका महीनों तक गायब नहीं रह सकती थीं। अब हमारे बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में है।”
ग्रामीणों की मांग — जांच और कार्रवाई
ग्रामीणों और अभिभावकों ने जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग से मांग की है कि इस पूरे मामले की तत्काल जांच कर सेविका तारा मनी और केंद्र प्रबंधन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
लोगों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा और पोषण योजनाओं से समझौता किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
स्थानीय समाजसेवियों ने इस लापरवाही को “बच्चों के अधिकारों का हनन” बताया है और प्रशासन से निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करने की अपील की है।
न्यूज़ देखो: जवाबदेही से ही सुधरेगी आंगनबाड़ी व्यवस्था
सोहर की यह घटना बताती है कि झारखंड में आंगनबाड़ी व्यवस्था अभी भी कई स्थानों पर कमजोर है। सेविकाओं की अनुपस्थिति और प्रशासनिक उदासीनता के कारण बच्चों के पोषण और शिक्षा पर असर पड़ रहा है। अगर सरकार इन केंद्रों की नियमित जांच, हाजिरी सत्यापन और जवाबदेही तय करे तो ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब बच्चों की जिम्मेदारी हमारी
आंगनबाड़ी सिर्फ सरकारी केंद्र नहीं, बल्कि हर बच्चे के भविष्य की पहली पाठशाला है। अगर यहां लापरवाही होगी तो समाज का भविष्य प्रभावित होगा।
अब वक्त है कि हम सब मिलकर ऐसी लापरवाही के खिलाफ आवाज उठाएं, जिम्मेदारी तय कराएं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करें।
अपनी राय कमेंट करें, खबर साझा करें और इस मुद्दे को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि हर बच्चे को मिले सुरक्षित और स्वस्थ बचपन।





