
#महुआडांड़ #मौसम_आपदा : लगातार बारिश और तेज़ हवाओं से फसलें बर्बाद, गांवों में बिजली गुल और किसानों में हताशा
- महुआडांड़ प्रखंड में मंगलवार से शुक्रवार तक हुई लगातार बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी।
- धान की बालियाँ गिर गईं और सब्ज़ी की फसलें गलने लगीं, खेतों में पानी भर गया।
- तेज़ हवाओं और बिजली गिरने से कई इलाकों की बिजली व्यवस्था ठप हो गई।
- ग्रामीण इलाकों में 8–10 घंटे से अधिक बिजली गायब, मोबाइल चार्ज करने तक की दिक्कत।
- मौसम विभाग ने शनिवार तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है।
मोंथा तूफान की वजह से महुआडांड़ प्रखंड का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। मंगलवार से शुरू हुई लगातार बारिश शुक्रवार तक जारी रही, जिससे खेत, घर और सड़कें जलमग्न हो गए। किसानों के चेहरों पर निराशा साफ झलक रही है क्योंकि उनकी महीनों की मेहनत अब बर्बाद होती दिख रही है। आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट और तेज़ हवाओं के बीच लोग बिजली, संचार और फसल — तीनों संकटों से जूझ रहे हैं।
चार दिन की बारिश ने बदला इलाक़े का चेहरा
लगातार चार दिन से हो रही बारिश ने महुआडांड़ की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। खेतों में पानी इतना भर गया है कि धान की बालियाँ झुककर गिर पड़ी हैं और कुछ जगहों पर पूरी तरह सड़ चुकी हैं। सब्ज़ी की खेती करने वाले किसानों के लिए स्थिति और भी गंभीर है क्योंकि टमाटर, भिंडी, लौकी, आलू जैसी फसलें गलने लगी हैं। जिन फसलों से दिवाली के बाद कुछ आमदनी की उम्मीद थी, वे अब मिट्टी में मिलती दिख रही हैं।
एक किसान ने दुखी होकर कहा: “तीन महीने से मेहनत कर रहे थे, अब सब बरबाद हो गया। बस भगवान ही सहारा हैं।”
बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमराई
मोंथा तूफान के प्रभाव से तेज़ हवाओं ने बिजली के खंभों को झुका दिया और कई तार टूट गए। इसके चलते कई गांवों में पूरे दिन बिजली गायब रहती है, और जब आती भी है तो कुछ घंटे ही। महुआडांड़ बाजार, ओरसापाठ, कटाही, और चोरडीह जैसे गांवों में लोगों को मोबाइल चार्ज करने और रोशनी के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार बिजली गुल होने से पीने के पानी की मोटरें भी बंद हैं और जनरेटर का खर्च उठाना अब संभव नहीं रह गया है।
किसानों की मेहनत पर पानी फिरा
धान की फसल इस समय कटाई के लिए तैयार थी। परंतु लगातार बारिश और कीचड़ ने खेतों में घुसना मुश्किल कर दिया है। किसानों ने कहा कि अगर मौसम ने जल्द करवट नहीं ली तो पूरी फसल सड़ जाएगी। कई जगहों पर कटाई की गई फसल खुले में पड़ी हुई थी जो अब पूरी तरह भीग चुकी है। इससे अनाज के खराब होने की संभावना बढ़ गई है।
त्योहार के बाद जिस आमदनी की उम्मीद थी, वह अब “दूर का सपना” बन गई है।
स्थानीय किसान महेश उरांव ने कहा: “हमने सोचा था दिवाली के बाद मंडी में धान बेचेंगे, अब हालत ऐसी है कि बीज तक नहीं बचेगा।”
मौसम विभाग ने दी चेतावनी
मौसम विभाग ने बताया है कि मोंथा तूफान का प्रभाव अभी बना रहेगा और शनिवार तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। हालांकि रविवार से मौसम में सुधार के संकेत हैं, लेकिन फसलों को हुए नुकसान की भरपाई मुश्किल मानी जा रही है। प्रशासन ने किसानों को फसलों की स्थिति का सर्वे कर क्षति मुआवजे के लिए रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है।
न्यूज़ देखो: किसान की मेहनत पर मौसम की मार
महुआडांड़ की यह स्थिति हमें यह याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाएँ केवल मौसम की घटनाएँ नहीं, बल्कि लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी पर असर डालती हैं। प्रशासन को तुरंत राहत सर्वे शुरू करना चाहिए और किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे फिर से खेती की ओर लौट सकें।
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अब वक्त है एकजुट होकर राहत पहुंचाने का
किसान हमारे अन्नदाता हैं। उनकी फसलों का नुकसान केवल उनका नहीं, पूरे समाज का नुकसान है। अब जरूरत है कि हर नागरिक और संस्था आगे आए, राहत कार्यों में सहयोग करे और किसानों को नई उम्मीद दे।
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