
#महुआडांड़ #पर्यटन_बदहाली : लोध फॉल, बोहता और सुग्गा फॉल मार्ग पर बने पर्यटन पड़ाव रखरखाव के अभाव में जर्जर, स्थानीय लोगों ने प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की
- महुआडांड़ अनुमंडल में दो वर्ष पहले बने पर्यटन पड़ाव बदहाल हालत में।
- लोध फॉल, बोहता और सुग्गा फॉल मार्ग पर लाखों की लागत से विकसित सुविधाएँ जर्जर।
- दुकानों के शटर बंद, बेंचें झाड़ियों में गायब, शौचालय निष्प्रयोज्य।
- रात में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा, महिलाओं की सुरक्षा पर असर।
- ग्रामीणों का आरोप— रखरखाव को जिम्मेदार विभाग ने नहीं दिया ध्यान।
- प्रशासन से मांग, मरम्मत कर पर्यटन स्पॉट को पुनः सक्रिय करने की।
महुआडांड़ अनुमंडल में पर्यटन विकास को गति देने के उद्देश्य से दो वर्ष पहले लोध फॉल मार्ग, बोहता और सुग्गा फॉल मार्ग पर करोड़ों की योजनाओं के तहत आकर्षक पर्यटन पड़ाव विकसित किए गए थे। इन पड़ावों में बेंच, शौचालय, दुकानों की व्यवस्था और साफ-सफाई सहित कई सुविधाएँ शामिल थीं, ताकि आने वाले पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके। लेकिन समय बीतने के साथ रखरखाव की कमी, संबंधित विभागों की उदासीनता और निगरानी व्यवस्था के अभाव ने पूरे ढांचे को जर्जर और बेकार बना दिया है।
सुविधाएँ बंद, परिसर वीरान – पर्यटकों का रुकना हुआ बंद
वर्तमान स्थिति यह है कि इन पर्यटन पड़ावों पर सन्नाटा पसरा रहता है। दुकानों के शटर लंबे समय से बंद पड़े हैं। बैठने के लिए लगाई गई बेंचें झाड़ियों में गुम हो चुकी हैं। दीवारों पर पान–गुटखा के दाग बदहाली की कहानी कह रहे हैं। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए गए ये स्थान अब खुद बदइंतजामी का प्रतीक बन चुके हैं, जिससे यात्रियों की आवाजाही लगभग बंद हो गई है।
असामाजिक गतिविधियों का अड्डा बनते पड़ाव
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वीरानी और निगरानी के अभाव में रात के समय असामाजिक तत्व शराब पीकर हुड़दंग मचाते हैं। इससे आसपास के ग्रामीण डर और असुरक्षा का अनुभव करते हैं। महिलाओं का इन रास्तों से गुजरना दिन में भी कठिन हो गया है। लोगों का आरोप है कि जब योजना बनाई गई थी, तब इसे नियमित रूप से संचालित और मेंटेन रखने की जिम्मेदारी तय नहीं की गई, जिसका नतीजा यह है कि करोड़ों का सरकारी निवेश बेकार होता दिख रहा है।
पर्यटन की संभावनाओं को कर रहा है कमजोर
महुआडांड़ क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और जलप्रपातों से समृद्ध है। लोध फॉल, बोहता और सुग्गा फॉल जैसे स्थान पर्यटन मानचित्र पर अपनी अलग पहचान रखते हैं। लेकिन इन पर्यटन पड़ावों की दयनीय स्थिति के कारण यात्रियों की संख्या में गिरावट दर्ज हो रही है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ध्यान दे और सीमित लागत में मरम्मत कर सुविधाओं को पुनः चालू कर दे, तो पर्यटन फिर से जीवंत हो सकता है।
ग्रामीणों की मांग – पर्यटन व्यवस्था को मिले नया जीवन
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार की योजनाएँ तभी सफल हो सकती हैं, जब उनका रखरखाव निरंतर और जिम्मेदारी के साथ किया जाए। लोगों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही पर्यटन पड़ावों की मरम्मत कर इन्हें फिर से सक्रिय किया जाएगा, जिससे क्षेत्र का पर्यटन और स्थानीय आजीविका दोनों को नया प्राण मिल सके।
न्यूज़ देखो: पर्यटन अवसंरचना की उपेक्षा से विकास रुकता है, योजनाओं की निगरानी जरूरी
महुआडांड़ के पर्यटन पड़ावों की बदहाली यह दिखाती है कि केवल निर्माण से विकास नहीं होता; लगातार रखरखाव और जवाबदेही भी उतनी ही जरूरी है। प्रशासन यदि समय पर हस्तक्षेप करे, तो ये स्थल पुनः पर्यटन का केंद्र बन सकते हैं और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकता है।
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पर्यटन को संवारें, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करें
अब समय है कि सभी मिलकर इन प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा और संवर्धन में कदम बढ़ाएँ। जागरूक बनेँ, अपनी राय साझा करें और इस मुद्दे को आगे बढ़ाकर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करें, ताकि महुआडांड़ का पर्यटन फिर से चमक सके।





