
#महुआडांड़ #अवैधशराबबिक्री : शराब दुकान में पारदर्शिता और सरकारी नियमों की अनदेखी — स्थानीय लोग बोले, कार्रवाई हो सख्त
- महुआडांड़ प्रखंड की एक खुदरा शराब दुकान पर अवैध बिक्री और थोक आपूर्ति के गंभीर आरोप।
- प्रतिदिन लाखों रुपये की शराब बिक्री बिना अनुमति, कई इलाकों में आपूर्ति की जा रही।
- रेट चार्ट प्रदर्शित नहीं, ग्राहकों से मनमानी वसूली का आरोप।
- स्थानीय लोगों ने कहा — “प्रशासन निष्क्रिय, शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं।”
- जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांगी निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई।
महुआडांड़ (लातेहार)। महुआडांड़ प्रखंड क्षेत्र की एक खुदरा शराब दुकान में नियमों की धज्जियां उड़ाए जाने और बड़े पैमाने पर अवैध शराब बिक्री का मामला सामने आया है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह दुकान रोजाना लाखों रुपये की बिक्री कर रही है, जिसमें से अधिकांश थोक आपूर्ति के माध्यम से की जा रही है। यह पूरी गतिविधि झारखंड की शराब नीति और उत्पाद विभाग के दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन बताई जा रही है।
अवैध आपूर्ति का नेटवर्क फैल रहा दूर-दराज़ तक
जानकारी के अनुसार, इस अवैध कारोबार की जड़ें महुआडांड़ क्षेत्र से निकलकर नेतरहाट, बारेसांढ़, छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र और जयरागी जैसे इलाकों तक फैली हुई हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि दुकान संचालक और बिचौलियों का गठजोड़ इस अवैध नेटवर्क को चला रहा है। क्षेत्र में लंबे समय से इस गतिविधि की चर्चा है, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई का अब तक कोई अता-पता नहीं है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया: “यह कोई नई बात नहीं है। हर दिन खुलेआम शराब की थोक आपूर्ति होती है और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।”
रेट चार्ट नहीं, उपभोक्ताओं से मनमानी वसूली
ग्राहकों ने बताया कि इस दुकान में न तो दर सूची (रेट चार्ट) प्रदर्शित की गई है और न ही किसी तरह की पारदर्शिता रखी जा रही है। उपभोक्ताओं के मुताबिक, दुकान में शराब की कीमतें मनमाने ढंग से तय की जाती हैं। किसी भी शराब ब्रांड की वास्तविक सरकारी कीमत जानने का कोई तरीका नहीं है, जिससे उपभोक्ताओं को मजबूरी में अधिक पैसे देने पड़ते हैं।
लोगों का कहना है कि यह स्थिति उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है और शासन-प्रशासन की छवि पर भी सवाल खड़ा करती है।
उपभोक्ताओं का कहना है: “सरकार ने जो रेट तय किए हैं, वे यहां लागू ही नहीं होते। जब मन आया, जितना मन आया उतना वसूल लेते हैं।”
प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप
स्थानीय लोगों और उपभोक्ताओं ने बताया कि कई बार स्थानीय प्रशासन को शिकायत दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। लोगों का आरोप है कि कुछ अधिकारी इस मामले में “जानबूझकर लापरवाही” बरत रहे हैं, जिससे अवैध कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। इससे न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है, बल्कि समाज में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी प्रश्न उठ रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की मांग
क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे प्रकरण पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की गतिविधियां न केवल सरकारी नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं में शराब की लत और सामाजिक अव्यवस्था को भी बढ़ावा दे रही हैं।
न्यूज़ देखो: नियमों की अनदेखी पर कब जागेगा प्रशासन
महुआडांड़ की यह घटना दर्शाती है कि स्थानीय स्तर पर शराब नीति का पालन कागजों तक सीमित है। जब प्रशासनिक ढिलाई से अवैध कारोबार फल-फूलने लगे, तो कानून का भय खत्म हो जाता है। सवाल यह है कि राजस्व हानि और सामाजिक नुकसान के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।
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अब समय है जवाबदेही तय करने का
प्रशासन और समाज दोनों को जागरूक होना होगा — क्योंकि कानून की अनदेखी से सबसे बड़ा नुकसान आम जनता को ही होता है। यदि जनता आवाज उठाए और प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई करे, तो अवैध कारोबार पर अंकुश संभव है।
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