
#महुआडांड़ #पर्यटन : बारिश से क्षतिग्रस्त रेलिंग और ब्रिज के कारण पर्यटकों की एंट्री रोकी गई, मरम्मत कार्य अब तक शुरू नहीं
- महुआडांड़ और गारू प्रखंड स्थित लोध जलप्रपात और सुग्गा बांध फिलहाल बंद।
- भारी बारिश से पहुंच मार्ग, रेलिंग, शेड और ब्रिज क्षतिग्रस्त।
- वन विभाग और पर्यटक मित्रों ने सुरक्षा के लिए मुख्य गेट पर ताला लगाया।
- स्थानीय दुकानदार और ईडीसी सदस्य आय के लिए पर्यटकों पर निर्भर, भारी नुकसान।
- वन क्षेत्र पदाधिकारी उमेश कुमार दुबे ने मरम्मत और वैकल्पिक व्यवस्था की संभावना जताई।
लातेहार जिले के महुआडांड़ और गारू प्रखंड में स्थित लोध जलप्रपात और सुग्गा बांध लंबे समय से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। छुट्टियों और त्योहारों पर यहां हजारों लोग पिकनिक और सैर-सपाटे के लिए पहुंचते हैं। लेकिन बीते कुछ हफ्तों से लगातार बारिश के कारण यहां का वातावरण बदल गया है। झरनों के बीच बने लकड़ी के ब्रिज, चढ़ाई मार्ग की रेलिंग और पर्यटकों के लिए बनाए गए शेड पानी के दबाव में क्षतिग्रस्त हो गए। इसी वजह से इन स्थलों को असुरक्षित मानते हुए प्रवेश द्वार बंद कर दिया गया।
बारिश से बढ़ी मुश्किलें और क्षतिग्रस्त संरचनाएं
पिछले दिनों भारी वर्षा के दौरान पर्यटक स्थलों का पहुंच मार्ग और सुरक्षा रेलिंग बहाव में क्षतिग्रस्त हो गया। झरने के बीच बने लकड़ी के ब्रिज टूट जाने से पर्यटकों के लिए खतरा और बढ़ गया। वहीं, आकर्षक शेड और बैठने की जगह भी बुरी तरह नष्ट हो गई है।
वन क्षेत्र पदाधिकारी उमेश कुमार दुबे ने कहा: “भारी बारिश में चढ़ाई मार्ग, रेलिंग और ब्रिज क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से स्थल को फिलहाल बंद रखा गया है। जल स्तर कम होने और निरीक्षण के बाद ही मरम्मत कार्य शुरू हो सकेगा।”
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर
लोध जलप्रपात और सुग्गा बांध केवल प्राकृतिक स्थल नहीं, बल्कि यहां के लोगों की आजीविका से भी जुड़े हैं। 35 ईडीसी सदस्य, पर्यटक मित्र और दर्जनों दुकानें केवल पर्यटकों की भीड़ पर निर्भर रहते हैं। जब स्थल बंद हो गए, तो उनकी आय पूरी तरह रुक गई। त्योहारों के समय यहां सबसे ज्यादा भीड़ रहती है, जिससे स्थानीयों को अतिरिक्त लाभ होता है। अब दुकानदार और ग्रामीण दोनों मरम्मत कार्य शीघ्र शुरू करने की मांग कर रहे हैं।
पिकनिक स्पॉट पर छाई सन्नाटा
सुग्गा बांध, जो पिकनिक और पर्यटन की पहली पसंद माना जाता है, फिलहाल वीरान पड़ा है। आमतौर पर यहां हजारों की संख्या में पर्यटक जुटते हैं, लेकिन फिलहाल यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। लोगों को डर है कि यदि स्थिति समय रहते नहीं सुधरी, तो दिसंबर-जनवरी की पीक सीजन में भी पर्यटकों का आगमन प्रभावित हो सकता है।
मरम्मती और वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी
वन विभाग ने संकेत दिया है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के साथ विचार-विमर्श कर जल्द वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाएगी। रेंजर उमेश कुमार दुबे ने बताया कि केवल स्थल ही नहीं, बल्कि पहुंच मार्ग की सड़कों को भी दुरुस्त कराया जाएगा, ताकि पर्यटकों को परेशानी न हो।
न्यूज़ देखो: पर्यटन की धड़कन को समय पर संजीवनी मिले
लोध जलप्रपात और सुग्गा बांध न केवल लातेहार बल्कि झारखंड की पर्यटन पहचान हैं। सुरक्षा और संरचना की मरम्मती में विलंब स्थानीय आजीविका और राज्य की छवि दोनों को प्रभावित कर सकता है। समय रहते त्वरित कदम उठाना जरूरी है ताकि त्योहारों और पीक सीजन में पर्यटक बिना डर के पहुंच सकें।
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पर्यटन को बचाएं, प्रकृति को संवारें
पर्यटन स्थलों की सुंदरता तभी कायम रह सकती है जब हम सुरक्षा और संरक्षण पर ध्यान दें। अब वक्त है कि स्थानीय लोग, प्रशासन और सरकार मिलकर इन स्थलों को फिर से पर्यटकों के लिए तैयार करें। अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि समाधान की प्रक्रिया तेज हो सके।