#गढ़वा #सरकारी_कार्रवाई : सरकार की छवि को धूमिल करने वाले अधिकारी किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे – झामुमो
- गढ़वा जिले के मझिआंव अंचल अधिकारी प्रमोद कुमार पर अभद्रता, मारपीट और शराब सेवन के आरोप साबित हुए।
- राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, झारखंड, ने 03 नवंबर 2025 को निलंबन आदेश जारी किया।
- आरोपों में कार्यालय में अनुशासनहीनता, शराब सेवन, और जनप्रतिनिधियों से समन्वय की कमी शामिल।
- उपायुक्त गढ़वा की अनुशंसा पर विभाग ने नियम 9(1)(क) के तहत निलंबन का आदेश जारी किया।
- निलंबन अवधि में मुख्यालय दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल, रांची स्थित प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय तय।
झारखंड सरकार ने अपनी सख्त जवाबदेही नीति के तहत गढ़वा जिले के मझिआंव अंचल अधिकारी प्रमोद कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार, अभद्रता या अनुशासनहीनता को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कार्रवाई के बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है।
झारखंड सरकार की सख्त कार्रवाई ने मचाई हलचल
गढ़वा जिले के उपायुक्त द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में प्रमोद कुमार के विरुद्ध गंभीर आरोपों की पुष्टि हुई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रमोद कुमार ने न केवल कार्यालय में अनुशासनहीनता दिखाई बल्कि शराब सेवन और कार्यालय में आने वाले नागरिकों के साथ अभद्रता एवं मारपीट जैसी घटनाएं भी सामने आईं। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय की कमी और पैसे के लेन-देन के आरोप भी लगे। जांच रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए निलंबन का आदेश जारी किया।
राजस्व विभाग ने जारी किया निलंबन आदेश
राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, झारखंड, रांची द्वारा ज्ञापांक संख्या 03/आरोप-11-49/2025-33602 (HRMS), दिनांक 03 नवंबर 2025 को निलंबन आदेश जारी किया गया। इस आदेश में स्पष्ट किया गया कि प्रमोद कुमार को झारखंड सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2016 के नियम 9(1)(क) के तहत निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल, रांची स्थित प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय को निर्धारित किया गया है। इस दौरान उन्हें नियम 10 के तहत जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त होगा।
झामुमो की सख्त प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के मीडिया पैनलिस्ट सह केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने कहा कि सरकार की छवि को धूमिल करने वाले अधिकारी किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे।
धीरज दुबे ने कहा: “यह सरकार जनता की सरकार है, अधिकारी जनता के सेवक हैं, मालिक नहीं। अब कोई भी अधिकारी अगर अभद्रता करेगा या भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाएगा तो उसे अपनी कुर्सी गंवानी पड़ेगी।”
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही की नीति पर काम कर रही है। ऐसे में जो भी अधिकारी जनता का विश्वास तोड़ेगा या सरकारी गरिमा को ठेस पहुंचाएगा, उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
जनता की शिकायतों ने खोला पोल
जानकारी के अनुसार, प्रमोद कुमार के खिलाफ लंबे समय से कई शिकायतें विभाग को प्राप्त हो रही थीं। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने बार-बार उनके अभद्र व्यवहार और कार्य में लापरवाही की शिकायत की थी। उपायुक्त गढ़वा ने इन शिकायतों पर गंभीरता दिखाते हुए जांच करवाई और रिपोर्ट विभाग को भेजी, जिसके बाद कार्रवाई तय मानी जा रही थी।
विभागीय सतर्कता बढ़ाने का संकेत
इस पूरे मामले ने यह संकेत दे दिया है कि सरकार अब शून्य सहिष्णुता की नीति पर काम कर रही है। सीमावर्ती जिले गढ़वा जैसे इलाकों में जहां कई बार भ्रष्टाचार और लापरवाही की खबरें आती रही हैं, वहां इस तरह की कार्रवाई से स्पष्ट संदेश गया है कि कोई भी अधिकारी यदि जनता के साथ अनुचित व्यवहार करता है या अपनी जिम्मेदारी से विमुख होता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
न्यूज़ देखो: जवाबदेही पर सरकार का बड़ा संदेश
झारखंड सरकार की इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि जनता के साथ अभद्रता या भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी अब किसी भी स्तर पर सुरक्षित नहीं रहेंगे। यह प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में एक सख्त कदम है जो बाकी अधिकारियों के लिए चेतावनी साबित होगा।
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सजग नागरिकता ही सुशासन की नींव
सरकार की सख्ती तभी सार्थक होगी जब नागरिक भी अपनी भूमिका जिम्मेदारी से निभाएं। भ्रष्टाचार और अभद्रता के खिलाफ आवाज उठाना हर नागरिक का अधिकार ही नहीं, कर्तव्य भी है। ऐसे मामलों में पारदर्शिता और जनसहभागिता लोकतंत्र की ताकत को और मजबूत करती है।
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