
#बरवाडीहलातेहार #पीसीसीसड़क_निर्माण : मुख्य बाजार क्षेत्र में बिना मिट्टी हटाए ढलाई शुरू, जगह-जगह मानकों का उल्लंघन और निगरानी में लापरवाही के आरोप।
- बरवाडीह मुख्य बाजार में निर्माणाधीन पीसीसी सड़क की गुणवत्ता पर स्थानीय लोगों ने गंभीर सवाल उठाए।
- 2003 की पुरानी सड़क पर जमी मिट्टी हटाए बिना ही नई ढलाई शुरू, लेवलिंग और सफाई पूरी तरह नजरअंदाज।
- कहीं 4–5 इंच की ही ढलाई, जबकि शहरी क्षेत्र में 6 इंच मोटाई का मानक अनिवार्य।
- क्यूरिंग नहीं, ढलाई में जगह-जगह गिट्टी, बालू व सीमेंट दिखाई दे रहे—स्पष्ट रूप से घटिया कार्य।
- इंजीनियर की मौजूदगी में बिना बैरिकेडिंग कार्य जारी, रात में मवेशियों के चढ़ने से सड़क क्षतिग्रस्त।
- कांग्रेस के रविंद्र कुमार और झामुमो जिला संगठन सचिव ने जांच व कार्रवाई की माँग की।
बरवाडीह के मुख्य बाजार क्षेत्र में चल रहे पीसीसी सड़क निर्माण कार्य ने स्थानीय जनता में गुस्सा और अविश्वास दोनों पैदा कर दिया है। रविवार को सामने आए तथ्यों से स्पष्ट हुआ कि संवेदक द्वारा निर्माण प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ की जा रही हैं। जहाँ एक ओर 2003 के आसपास बनी पुरानी पीसीसी सड़क पर वर्षों में मिट्टी की परतें चढ़कर ऊँचाई बढ़ चुकी थी, वहीं ठेकेदार की ओर से उस मिट्टी को हटाने तक की ज़रूरत नहीं समझी गई। सड़क की पुरानी सतह की सफाई, लेवलिंग और उचित तैयारी सड़क निर्माण का मूल आधार माना जाता है, लेकिन इस परियोजना में यह प्रारंभिक चरण ही पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
पुरानी सतह पर ही नई ढलाई, लेवलिंग का कोई ध्यान नहीं
स्थानीय लोगों के अनुसार पुराने पीसीसी के ऊपर जमी मोटी मिट्टी की परत को हटाने के बजाय उसी पर सीधे ढलाई कर दी गई। इससे न केवल सड़क की मजबूती प्रभावित होगी बल्कि आने वाले दिनों में सड़क किनारों और बीचों-बीच दरारें पड़ने की संभावना भी बढ़ जाएगी। कई नागरिकों ने बताया कि ठेकेदार द्वारा इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की अनदेखी से सड़क की उम्र बेहद कम रह जाएगी।
मानकों का खुला उल्लंघन, कहीं 4–5 इंच तो कहीं नाली जैसी ढलाई
निरीक्षण में पाया गया कि निर्माणाधीन पीसीसी सड़क की मोटाई कई स्थानों पर केवल 4 से 5 इंच ही है, जबकि शहरी क्षेत्र में कम से कम 6 इंच मोटाई अनिवार्य है।
कई जगहों पर सड़क को बीच में डाउन स्लोप देकर ऐसे ढाला गया है मानो बीचों-बीच नाली बना दी गई हो। इससे बरसात में पानी जमने और सड़क जल्द खराब होने की आशंका बढ़ जाती है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि ढलाई की सतह पर जगह-जगह बालू, सीमेंट और गिट्टियाँ ऊपर से ही दिखाई दे रही हैं, जो स्पष्ट रूप से घटिया मिश्रण की ओर संकेत करता है।
क्यूरिंग तक नजरअंदाज, सुरक्षा मानकों का भी पालन नहीं
पीसीसी ढलाई के बाद कम से कम 7 दिनों तक नियमित क्यूरिंग जरूरी होती है। लेकिन यहाँ ढलाई को पानी से सींचने की प्रक्रिया ही नहीं की जा रही।
साथ ही, निर्माण स्थल पर बैरिकेडिंग तक नहीं लगाई गई, जिससे रात में मवेशी ढलाई की सतह पर चढ़कर उसे नुकसान पहुँचा रहे हैं।
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि सड़क निर्माण स्थल पर रात के समय अंधेरा रहता है और कोई सुरक्षा चिन्ह या संकेत भी नहीं लगाए गए हैं।
इंजीनियर की मौजूदगी में हो रहा घटिया कार्य
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सब कार्य इंजीनियर की देखरेख में हो रहा है, फिर भी किसी प्रकार की रोक-टोक दिखाई नहीं देती।
लोगों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर मानकों की अनदेखी बिना इंजीनियर की जानकारी और सहमति के संभव नहीं।
जनप्रतिनिधियों ने उठाई आवाज, जांच और कार्रवाई की माँग
कांग्रेस अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष रविंद्र कुमार का बयान
उन्होंने निर्माण कार्य की कड़ी आलोचना की।
रविंद्र कुमार ने कहा: “पूरे निर्माण में तकनीकी मानकों की खुलकर अवहेलना की जा रही है। जिला प्रशासन तत्काल जांच कर संवेदक और अधिकारियों पर कार्रवाई करे।”
झामुमो जिला संगठन सचिव का निरीक्षण
गुरुवार को स्थल निरीक्षण के बाद उन्होंने भी निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा: “पुरानी मिट्टी हटाए बिना ढलाई करना सीधी लापरवाही और भ्रष्टाचार है। यह सरकार की छवि खराब करने की कोशिश है। प्रशासन तुरंत हस्तक्षेप करे और कार्य रोके।”
विधायक रामचंद्र सिंह के निर्देश भी हो रहे अनदेखे
शिलान्यास कार्यक्रम के समय विधायक रामचंद्र सिंह ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि संवेदक गुणवत्ता में किसी प्रकार का समझौता न करें और कार्य स्थानीय जनता की निगरानी में कराया जाए।
लेकिन मौजूदा स्थिति से साफ है कि विधायक के निर्देशों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। निर्माण स्थल पर न तो सही निरीक्षण हो रहा है और न ही गुणवत्ता पर ध्यान।
न्यूज़ देखो: खराब निर्माण पर सवाल, जवाबदेही तय होना जरूरी
बरवाडीह के मुख्य बाजार क्षेत्र में पीसीसी सड़क निर्माण की ये अनियमितताएँ प्रशासनिक कार्यप्रणाली और ठेकेदार की जिम्मेदारी दोनों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती हैं। सड़कें जनता के टैक्स के पैसे से बनती हैं, और उनकी गुणवत्ता पर समझौता सीधा जनता के अधिकारों का उल्लंघन है। यदि प्रारंभिक चरण में ही मानकों की अनदेखी होगी तो सड़क टिकाऊ कैसे होगी? प्रशासन को तत्काल जांच कर जवाबदेही तय करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।
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जनता की निगरानी ही असली शक्ति, गलतियों को उजागर करना ज़रूरी
जब जनता जागरूक होती है, तभी विकास के कार्य सही दिशा में होते हैं। बरवाडीह की सड़क निर्माण में सामने आई लापरवाही इस बात का उदाहरण है कि नागरिकों की आवाज कितनी आवश्यक है। हमें मिलकर ऐसे कार्यों पर निगरानी रखनी चाहिए, अनियमितताओं की सूचना प्रशासन तक पहुंचानी चाहिए और जनप्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाना चाहिए।





