
#बगोदर #प्रवासी_मजदूर : महाराष्ट्र के सांगली में काम कर रहे 18 वर्षीय युवक की मौत से गांव में शोक।
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत दोंदलो पंचायत के ढिबरा गांव निवासी 18 वर्षीय प्रवासी मजदूर मोती महतो की महाराष्ट्र के सांगली में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। युवक पोकलेन मशीन ऑपरेटर के रूप में कार्यरत था और किराये के कमरे में उसकी मौत की सूचना मिली। घटना की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मामले की जांच और मुआवजे की मांग उठाई है।
- दोंदलो पंचायत के ढिबरा गांव निवासी मोती महतो की मौत।
- महाराष्ट्र के सांगली में करता था पोकलेन मशीन ऑपरेटर का काम।
- किराये के कमरे में संदिग्ध हालात में मौत की सूचना।
- मृतक की उम्र मात्र 18 वर्ष बताई गई।
- उप प्रमुख हरेंद्र सिंह ने मुआवजे की मांग की।
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड से एक दर्दनाक खबर सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया है। दोंदलो पंचायत के ढिबरा गांव निवासी डुमरचन्द महतो के 18 वर्षीय पुत्र मोती महतो की महाराष्ट्र के सांगली में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। शुक्रवार को मौत की सूचना जैसे ही गांव पहुंची, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
परिजनों के अनुसार, मोती महतो रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र गया था, जहां वह एक निजी कंपनी में पोकलेन मशीन ऑपरेटर के रूप में कार्य कर रहा था। बताया जा रहा है कि वह सांगली में किराये के एक कमरे में रह रहा था। वहीं से अचानक उसकी मौत की खबर आई, जिससे परिवार और गांव के लोग स्तब्ध रह गए।
किराये के कमरे में मिली मौत की सूचना
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, मोती महतो की मौत संदिग्ध हालात में हुई है। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मौत बीमारी, दुर्घटना या किसी अन्य कारण से हुई। परिजनों का कहना है कि उन्हें सिर्फ फोन पर यह सूचना दी गई कि मोती की मौत हो गई है। घटना की परिस्थितियों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
परिजनों में मचा कोहराम
मौत की खबर मिलते ही ढिबरा गांव में मातम पसर गया। माता-पिता और परिजन गहरे सदमे में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मोती परिवार का सहारा था और कम उम्र में ही बाहर जाकर मेहनत-मजदूरी कर रहा था। उसके अचानक चले जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
जनप्रतिनिधियों ने जताया शोक
बगोदर के उप प्रमुख हरेंद्र सिंह ने घटना को बेहद दुखद बताया है। उन्होंने कहा कि कम उम्र में एक प्रवासी मजदूर की मौत कई सवाल खड़े करती है।
हरेंद्र सिंह ने कहा:
“यह घटना अत्यंत पीड़ादायक है। संबंधित कंपनी को मृतक के परिवार को उचित मुआवजा देना चाहिए और प्रशासन को पूरे मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए।”
प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और कार्यस्थल की परिस्थितियों पर सवाल खड़े करती है। झारखंड से हजारों युवा रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में जाते हैं, लेकिन वहां उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों को लेकर ठोस व्यवस्था का अभाव अक्सर देखने को मिलता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन और संबंधित कंपनी ने जिम्मेदारी निभाई होती, तो शायद ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता था। अब परिजन न्याय और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद
ग्रामीणों ने मांग की है कि जिला प्रशासन मृतक के परिवार से संपर्क कर आवश्यक मदद सुनिश्चित करे। साथ ही, महाराष्ट्र प्रशासन से समन्वय स्थापित कर मौत के वास्तविक कारणों की जांच कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
न्यूज़ देखो: प्रवासी मजदूरों की अनदेखी फिर उजागर
मोती महतो की मौत सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि सिस्टम की खामियों की तस्वीर है। कम उम्र में बाहर जाकर काम करने वाले युवाओं की सुरक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर है, यह घटना उजागर करती है। अब देखना होगा कि प्रशासन और कंपनी इस मामले में कितनी संवेदनशीलता दिखाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
गांव के चिराग की मौत ने कई सवाल छोड़े
आज जरूरत है कि प्रवासी मजदूरों के अधिकार और सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाए। ऐसे मामलों में त्वरित जांच और पीड़ित परिवार को सहयोग मिलना चाहिए। आप भी अपनी राय साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और प्रवासी मजदूरों की आवाज़ को मजबूती दें।





