
#गिरिडीह #प्रवासी_मजदूर : महाराष्ट्र में संदिग्ध हालात में मौत के बाद गांव पहुंचा शव।
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत दोंदलो पंचायत के ढिबरा गांव निवासी प्रवासी मजदूर मोती महतो की महाराष्ट्र के सांगली में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। सोमवार को जब उनका शव पैतृक गांव पहुंचा, तो परिजनों की चीत्कार से पूरा गांव गमगीन हो उठा। घटना ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और परिस्थितियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया।
- ढिबरा गांव के प्रवासी मजदूर मोती महतो की महाराष्ट्र में मौत।
- सांगली (महाराष्ट्र) में संदिग्ध हालात में हुई थी घटना।
- सोमवार को शव गांव पहुंचते ही परिजनों में कोहराम।
- उप प्रमुख हरेंद्र सिंह और मुखिया तुलसी महतो ने दी सांत्वना।
- प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल।
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड अंतर्गत दोंदलो पंचायत के ढिबरा गांव में सोमवार को उस समय मातमी सन्नाटा पसर गया, जब प्रवासी मजदूर मोती महतो का शव महाराष्ट्र से उनके पैतृक गांव लाया गया। शव पहुंचते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। मोती महतो रोजी-रोटी की तलाश में महाराष्ट्र के सांगली जिले में काम कर रहे थे, जहां बीते दिनों उनकी मौत हो गई थी।
परिजनों के अनुसार, मोती महतो की मौत की सूचना मिलते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। सोमवार को जब शव गांव पहुंचा, तो परिजन खुद को संभाल नहीं पाए। महिलाओं की चीत्कार और बच्चों का रोना देख वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। ग्रामीणों ने बताया कि मोती महतो परिवार के मुख्य कमाऊ सदस्य थे और उनकी मौत से परिवार के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
महाराष्ट्र में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत
जानकारी के अनुसार, मोती महतो महाराष्ट्र के सांगली जिले में मजदूरी का कार्य कर रहे थे। वहीं, बीते दिनों उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि उन्हें अभी तक यह स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है कि मोती महतो की मौत किन हालात में हुई। इसको लेकर परिवार में कई सवाल हैं और वे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि रोजगार की मजबूरी में बड़ी संख्या में युवा और मजदूर दूसरे राज्यों में काम करने जाते हैं, लेकिन वहां उनकी सुरक्षा और हालात अक्सर चिंता का विषय बने रहते हैं। मोती महतो की मौत ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की स्थिति को उजागर कर दिया है।
गांव पहुंचते ही गमगीन हुआ माहौल
सोमवार को जैसे ही मोती महतो का शव ढिबरा गांव पहुंचा, वैसे ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। अंतिम दर्शन के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई परिवार को ढांढस बंधाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन परिजनों का दुख कम होने का नाम नहीं ले रहा था। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि मोती महतो सरल स्वभाव के व्यक्ति थे और गांव में सभी से अच्छे संबंध रखते थे।
जनप्रतिनिधियों ने व्यक्त की संवेदना
घटना की सूचना मिलते ही क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि और सामाजिक लोग पीड़ित परिवार के घर पहुंचे। उप प्रमुख हरेंद्र सिंह, पंचायत की मुखिया तुलसी महतो, पूर्व जिला परिषद सदस्य सरिता महतो सहित अन्य लोगों ने शोक संतप्त परिवार से मुलाकात कर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने परिजनों को हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया।
उप प्रमुख हरेंद्र सिंह ने कहा: “प्रवासी मजदूर मोती महतो की मौत बेहद दुखद है। सरकार को ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार को तत्काल सहायता और न्याय दिलाना चाहिए।”
वहीं मुखिया तुलसी महतो ने कहा कि पंचायत स्तर पर भी परिवार को मदद दिलाने के लिए प्रयास किए जाएंगे और प्रशासन से मुआवजे की मांग की जाएगी।
प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर फिर उठा सवाल
मोती महतो की मौत ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और उनके कार्यस्थलों की परिस्थितियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गांव के लोगों का कहना है कि रोजगार के लिए बाहर जाने वाले मजदूर अक्सर असुरक्षित हालात में काम करते हैं और किसी अनहोनी की स्थिति में उनके परिवार को सही जानकारी और सहायता नहीं मिल पाती।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि प्रवासी मजदूरों के लिए बेहतर निगरानी तंत्र बनाया जाए, ताकि ऐसी घटनाओं में समय पर कार्रवाई और सहायता सुनिश्चित हो सके। साथ ही, मृतक के परिवार को उचित मुआवजा और सरकारी सहायता प्रदान की जाए।
परिवार के सामने आजीविका का संकट
मोती महतो की मौत के बाद उनके परिवार के सामने आजीविका का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। परिजनों ने बताया कि वे मजदूरी से होने वाली आय पर ही निर्भर थे। अब परिवार को आगे की चिंता सता रही है। ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मृतक के आश्रितों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने की मांग की है।
न्यूज़ देखो: प्रवासी मजदूरों की हकीकत फिर सामने
ढिबरा गांव की यह घटना बताती है कि आज भी प्रवासी मजदूर असुरक्षित परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं। एक मौत न केवल एक व्यक्ति को, बल्कि पूरे परिवार को संकट में डाल देती है। प्रशासन और सरकार को ऐसे मामलों में त्वरित जांच, पारदर्शिता और पीड़ित परिवार को ठोस सहायता सुनिश्चित करनी चाहिए। क्या प्रवासी मजदूरों के लिए सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी? हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
पीड़ित परिवार के साथ खड़ा होना हमारी जिम्मेदारी
प्रवासी मजदूरों की मेहनत से देश की अर्थव्यवस्था चलती है, लेकिन संकट के समय वे और उनके परिवार अकेले रह जाते हैं। समाज और प्रशासन दोनों का दायित्व है कि ऐसे परिवारों को सहारा मिले।
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