
#गिरिडीह #विश्वबालदिवस : रांची में आयोजित सेमिनार में आदिम जनजाति समुदाय के 17 वर्षीय मुकेश बिरहोर को चाइल्ड चैंपियन सम्मान से नवाजा गया
- मुकेश बिरहोर, 17 वर्षीय बिरहोर युवक, को चाइल्ड चैंपियन सम्मान प्राप्त हुआ।
- कार्यक्रम होटल रेडिसन ब्लू, रांची में विश्व बाल दिवस पर आयोजित हुआ।
- सेमिनार का विषय था सेफगार्डिंग चाइल्डहुड।
- मुख्य अतिथि झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्र नाथ महतो उपस्थित रहे।
- मुकेश ने बगोदर और गिरिडीह जिले का प्रतिनिधित्व करते हुए पैनल चर्चा में भाग लिया।
- मुकेश ने कहा कि बिरहोर समुदाय का विकास शिक्षा से ही संभव है।
विश्व बाल दिवस के अवसर पर रांची के होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित “सेफगार्डिंग चाइल्डहुड” सेमिनार में गिरिडीह जिले के पिपराडीह निवासी और विलुप्तप्राय आदिम जनजाति समुदाय के 17 वर्षीय मुकेश बिरहोर को “चाइल्ड चैंपियन” सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जिलों से चयनित बच्चों ने सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात रखी। इसी क्रम में मुकेश ने बिरहोर समुदाय की चुनौतियों और शिक्षा के महत्व पर अपने अनुभव साझा किए।
चाइल्ड चैंपियन सम्मान प्राप्त करने की प्रेरक यात्रा
मुकेश बिरहोर बिरहोर समुदाय के पहले युवक हैं जिन्होंने मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की है। यह उपलब्धि स्वयं में उल्लेखनीय है, खासकर ऐसे समुदाय से आते हुए जो अभी भी बुनियादी सुविधाओं, शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया से गुजर रहा है। सेमिनार में मुकेश ने पैनल परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए बताया कि उन्होंने एक बाल विवाह सर्वाइवर होने के बाद भी शिक्षा नहीं छोड़ी और आज अपने समुदाय के बच्चों के बीच चेंज मेकर के रूप में कार्य कर रहे हैं।
मुकेश बिरहोर ने कहा: “बिरहोर समुदाय का समग्र विकास केवल शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। मैं चाहता हूँ कि सभी बच्चे शिक्षा से जुड़ें और अपने सपनों को पूरा करें।”
कार्यक्रम के दौरान बाल कल्याण संघ द्वारा उनके संघर्ष, दृढ़ संकल्प और प्रेरणादायक उपलब्धियों का सम्मान किया गया।
सेमिनार में बाल सुरक्षा और सामाजिक मुद्दों पर गहन चर्चा
विश्व बाल दिवस पर आयोजित यह सेमिनार बाल श्रम, बाल तस्करी और बाल अधिकारों के संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दों पर केंद्रित था। मुख्य अतिथि झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्र नाथ महतो ने बच्चों की भागीदारी को सराहा और कहा कि राज्य के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बच्चों की आवाज को प्राथमिकता देनी होगी।
इस सेमिनार में झारखंड के विभिन्न जिलों से चयनित „चाइल्ड चैंपियन‟ शामिल हुए, जिन्होंने सामाजिक बदलाव और जागरूकता की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाई है।
बनवासी विकास आश्रम की भूमिका
गिरिडीह जिले के बनवासी विकास आश्रम के सहयोग से मुकेश बिरहोर इस कार्यक्रम का हिस्सा बन सके। संस्था लंबे समय से बिरहोर समुदाय के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए काम कर रही है।
इसी निरंतर प्रयास का परिणाम है कि आज बिरहोर समुदाय के बच्चे बड़े मंचों पर अपनी भागीदारी निभा रहे हैं और अपने समुदाय के लिए प्रेरणा बन रहे हैं।
समुदाय के बच्चों के लिए नई प्रेरणा
मुकेश की उपलब्धि से उनके गांव पिपराडीह और पूरे बगोदर क्षेत्र में खुशी का माहौल है। लोग इसे एक नई शुरुआत और समुदाय के बच्चों के लिए उम्मीद की किरण के रूप में देख रहे हैं।
मुकेश की सफलता ने यह संदेश दिया है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों, शिक्षा और जागरूकता परिवर्तन की सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है।
न्यूज़ देखो: शिक्षा से बदलती तस्वीर, आदिवासी युवाओं की नई पहचान
मुकेश बिरहोर की यह उपलब्धि बताती है कि जब समाज, प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाएँ एक साथ बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए प्रयास करती हैं, तब सकारात्मक बदलाव निश्चित होता है। आदिम जनजाति समुदायों में शिक्षा का विस्तार न केवल व्यक्तिगत जीवन को, बल्कि पूरे समाज को नई दिशा देता है।
झारखंड में ऐसे उदाहरण यह संकेत देते हैं कि राज्य का भविष्य उन युवाओं के हाथों में सुरक्षित है जो संघर्ष के बावजूद आगे बढ़ना जानते हैं।
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बच्चों की शिक्षा ही बदलाव की सबसे मजबूत नींव
मुकेश की कहानी हमें यह सिखाती है कि परिस्थितियों से लड़कर सपने पूरे किए जा सकते हैं, बस जरूरत है अवसर, समर्थन और दृढ़ संकल्प की। शिक्षा और जागरूकता से ही समाज की जड़ें मजबूत होती हैं और कमजोर समुदायों को नई पहचान मिलती है।
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