Giridih

जन्म-मृत्यु निबंधन में लापरवाही नहीं चलेगी: उपायुक्त रामनिवास यादव ने दिए सख्त निर्देश

#गिरिडीह #प्रशासन_बैठक : जिला स्तरीय प्रशिक्षण में जन्म-मृत्यु निबंधन शत-प्रतिशत सुनिश्चित करने के निर्देश।

गिरिडीह समाहरणालय में उपायुक्त रामनिवास यादव की अध्यक्षता में जिला स्तरीय जन्म-मृत्यु निबंधन बैठक सह प्रशिक्षण सत्र आयोजित हुआ। बैठक में संशोधित जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रिकरण अधिनियम 2023 के तहत समयबद्ध और ऑनलाइन निबंधन को अनिवार्य बताया गया। उपायुक्त ने सभी पदाधिकारियों को शत-प्रतिशत निबंधन सुनिश्चित करने और फर्जी प्रमाण-पत्र पर सुनिश्चित रोक लगाने के निर्देश दिए। प्रशिक्षण सत्र में निबंधन प्रक्रिया, कानूनी प्रावधान और पोर्टल उपयोग की विस्तृत जानकारी दी गई।

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  • उपायुक्त रामनिवास यादव की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में बैठक आयोजित।
  • जन्म-मृत्यु अधिनियम 1969 एवं संशोधित अधिनियम 2023 के तहत निबंधन अनिवार्य।
  • 21 दिनों के भीतर निःशुल्क, 30 दिन तक विलंब शुल्क ₹1 से निबंधन।
  • CRS पोर्टल dc.crsorgi.gov.in से ऑनलाइन निबंधन की व्यवस्था।
  • फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र रोकने के लिए मासिक समीक्षा और जांच के निर्देश।

गिरिडीह जिला में जन्म और मृत्यु निबंधन को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार को समाहरणालय सभागार में उपायुक्त सह जिला रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) रामनिवास यादव की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समीक्षा बैठक सह प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। बैठक का उद्देश्य जन्म-मृत्यु निबंधन की प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ बनाना तथा सभी संबंधित पदाधिकारियों को नवीन कानूनी प्रावधानों की जानकारी देना रहा।

जन्म-मृत्यु निबंधन राष्ट्रीय महत्व का विषय

बैठक को संबोधित करते हुए उपायुक्त रामनिवास यादव ने स्पष्ट कहा कि जन्म और मृत्यु अधिनियम 1969, संशोधित अधिनियम 2023, तथा झारखंड जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रिकरण नियमावली 2009 के तहत जिला में घटित प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु की घटना का निबंधन अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि जन्म-मृत्यु से जुड़े आंकड़े सरकार की नीतियों और योजनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं है।

समयसीमा के भीतर निबंधन पर जोर

उपायुक्त ने बताया कि प्रत्येक जन्म और मृत्यु की घटना का 21 दिनों के भीतर निबंधन किया जाना चाहिए। यदि 21 दिनों के भीतर सूचना दी जाती है तो निबंधन निःशुल्क किया जाता है।
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि:

  • 21 से 30 दिनों के भीतर सूचना देने पर ₹1 विलंब शुल्क लिया जाएगा।
  • 30 दिनों से एक वर्ष तक की घटनाओं का निबंधन जिला सांख्यिकी पदाधिकारी के लिखित आदेश पर ₹1 विलंब शुल्क के साथ किया जाएगा।

ऑनलाइन निबंधन प्रणाली पर विशेष जोर

बैठक में यह भी बताया गया कि वर्तमान में जन्म-मृत्यु निबंधन पूरी तरह ऑनलाइन प्रणाली से संचालित है। इसके लिए भारत सरकार के ORGI, नई दिल्ली द्वारा विकसित पोर्टल dc.crsorgi.gov.in का उपयोग किया जा रहा है। उपायुक्त ने निर्देश दिया कि सभी निबंधन इकाइयां इस पोर्टल का नियमित और सही उपयोग सुनिश्चित करें।

अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर जिम्मेदारी तय

उपायुक्त ने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु की घटना का ससमय निबंधन सुनिश्चित कराएं।
साथ ही सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया कि पंचायत स्तर पर कार्यरत पंचायत सचिव सह रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) नियमित रूप से पंचायत सचिवालय में उपस्थित रहकर निबंधन कार्य करें।

मासिक जांच और फर्जी प्रमाण-पत्र पर रोक

बैठक में यह भी निर्देश दिया गया कि:

  • प्रखंड सांख्यिकी पर्यवेक्षक और प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी प्रत्येक माह कम से कम एक निबंधन इकाई की जांच करेंगे।
  • जांच प्रतिवेदन अनिवार्य रूप से जिला सांख्यिकी कार्यालय, गिरिडीह को सौंपा जाएगा।
  • फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र निर्गत न हों, इसके लिए मासिक समीक्षा और सख्त निगरानी की जाएगी।

निजी अस्पतालों को CRS पोर्टल से जोड़ने के निर्देश

उपायुक्त ने नगर पंचायत बड़की सरैया, धनवार के कार्यपालक पदाधिकारी तथा गिरिडीह नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त को निर्देश दिया कि अपने क्षेत्र के सभी निजी एवं प्राइवेट अस्पतालों को CRS पोर्टल से जोड़ा जाए। इससे निजी अस्पतालों में होने वाली प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु की घटना का ससमय निबंधन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

जिला स्तरीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन

बैठक के साथ-साथ जिला स्तरीय प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में जनगणना कार्य निदेशालय, झारखंड, रांची द्वारा नामित मास्टर प्रशिक्षक डॉ. सत्येन्द्र कुमार गुप्ता (उप निदेशक) एवं दिलीप कुमार (सांख्यिकी अन्वेषक ग्रेड-II) ने विस्तृत प्रशिक्षण दिया।
प्रशिक्षण में जन्म-मृत्यु निबंधन प्रक्रिया, संशोधित अधिनियम 2023 (जो अक्टूबर 2023 से देशभर में लागू है) और पोर्टल संचालन की जानकारी दी गई।

प्रशिक्षकों ने बताया कि अस्पताल में होने वाले सभी जन्मों का निबंधन करते हुए माता को डिस्चार्ज से पहले जन्म प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराना अनिवार्य है। प्रशिक्षण सत्र के दौरान प्रतिभागियों द्वारा उठाई गई सभी समस्याओं का समाधान भी किया गया।

पासवर्ड सुरक्षा और निगरानी पर जोर

जिला सांख्यिकी पदाधिकारी ने सभी रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वे अपना लॉगिन पासवर्ड गोपनीय रखें, समय-समय पर बदलें और किसी के साथ साझा न करें।
साथ ही सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को अपने-अपने प्रखंड में जन्म निबंधन की मासिक समीक्षा करने को कहा गया, ताकि असामान्य वृद्धि की जांच कर फर्जी निबंधन पर समय रहते रोक लगाई जा सके।

व्यापक सहभागिता

इस जिला स्तरीय प्रशिक्षण सत्र में उप विकास आयुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी गिरिडीह एवं खोरीमहुआ, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, कार्यपालक पदाधिकारी नगर पंचायत, सहायक नगर आयुक्त, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड सांख्यिकी पर्यवेक्षक एवं जिला सांख्यिकी कार्यालय के कर्मियों ने भाग लिया।

न्यूज़ देखो: नीतिगत योजनाओं की नींव है जन्म-मृत्यु निबंधन

यह बैठक स्पष्ट करती है कि प्रशासन अब जन्म-मृत्यु निबंधन को लेकर किसी भी स्तर पर ढिलाई के मूड में नहीं है। सटीक और समयबद्ध आंकड़े ही सरकार की योजनाओं को सही दिशा देते हैं। फर्जी प्रमाण-पत्र पर रोक और ऑनलाइन प्रणाली की मजबूती एक सकारात्मक कदम है। अब देखना होगा कि जमीनी स्तर पर इन निर्देशों का कितना प्रभावी पालन होता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जिम्मेदारी निभाएं, अधिकार सुनिश्चित करें

जन्म और मृत्यु का निबंधन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि हर नागरिक का अधिकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है। समय पर निबंधन से भविष्य की कई परेशानियों से बचा जा सकता है। इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं, अपनी राय साझा करें और प्रशासनिक पारदर्शिता को मजबूत करने में सहभागी बनें।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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