
#महुआडांड़ #शिक्षा_विभाग : नवंबर की ठंड ने बढ़ाई बच्चों की परेशानी — स्वेटर योजना अब तक नहीं हुई लागू
- महुआडांड़ प्रखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे बिना स्वेटर के ठंड झेलने को मजबूर।
- शिक्षा विभाग की स्वेटर वितरण योजना अब तक फाइलों में अटकी हुई।
- अभिभावकों और शिक्षकों ने विभाग की निष्क्रियता पर जताई नाराजगी।
- रिपोर्ट भेजने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं, छात्रों की सेहत पर खतरा।
- स्थानीय लोगों ने तत्काल स्वेटर वितरण की मांग की ताकि बच्चों की पढ़ाई और सेहत प्रभावित न हो।
महुआडांड़ (लातेहार) प्रखंड के सरकारी स्कूलों में इस बार भी वही पुरानी कहानी दोहराई जा रही है। झारखंड में सर्दी दस्तक दे चुकी है, तापमान लगातार गिर रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग अब तक छात्रों को स्वेटर नहीं बाँट सका है। नतीजतन, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सैकड़ों मासूम बच्चे सर्द हवाओं में ठिठुरते हुए पढ़ाई कर रहे हैं।
स्वेटर योजना फाइलों में ठंडी, बच्चे ठिठुरन में गर्मी खोजते
स्थानीय स्कूलों के शिक्षकों ने बताया कि विभाग को कई बार रिपोर्ट भेजी गई, लेकिन अब तक किसी प्रकार की आपूर्ति या निर्देश नहीं मिला है। एक शिक्षक ने कहा कि “बच्चों की हालत देखकर दिल पसीज जाता है। कई छोटे बच्चे ठंड से कांपते हुए क्लास में बैठते हैं, पर स्वेटर का कोई अता-पता नहीं।”
ग्रामीण अभिभावकों ने विभाग की कार्यशैली पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि “हर साल यही होता है, स्वेटर का वादा किया जाता है, लेकिन जब तक ठंड खत्म होती है, तभी तक आता है। तब तक बच्चे बीमार पड़ जाते हैं।”
विभाग की अनदेखी से बढ़ रही परेशानी
शिक्षा विभाग की उदासीनता का असर अब बच्चों की सेहत पर दिखने लगा है। लगातार ठंडे तापमान में बिना गर्म कपड़ों के स्कूल आना बच्चों के लिए मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायतें बढ़ने लगी हैं।
वहीं, शिक्षक वर्ग का कहना है कि स्वेटर वितरण की फाइल जिला स्तर पर लंबित है। बार-बार पत्राचार के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। “सरकारी आदेश तो हर साल आता है, लेकिन अमल नहीं होता,” एक शिक्षक ने कहा।
अभिभावकों की नाराज़गी और प्रशासन से अपील
अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। ठंड के कारण कई बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। ग्रामीण समाज ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग की है कि तुरंत स्वेटर वितरण कराया जाए ताकि छोटे बच्चों को ठंड की सज़ा न भुगतनी पड़े।
न्यूज़ देखो: बच्चों की ठिठुरन में नापी जा रही विभाग की गर्मी
यह घटना शिक्षा विभाग की योजनाओं और जमीनी सच्चाई के बीच की खाई को उजागर करती है। ठंड में बच्चे जब स्कूलों में कांपते हुए बैठ रहे हों, तब फाइलों में गर्मी दिखाने से कोई फायदा नहीं। अगर सरकारी योजनाएँ समय पर लागू नहीं होंगी, तो उनका उद्देश्य ही अधूरा रह जाएगा।
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अब बच्चों की ठंड नहीं, प्रशासन की जिम्मेदारी दिखे
अब वक्त है कि सरकार और विभाग बच्चों की वास्तविक ज़रूरतों को प्राथमिकता दें। स्कूलों में स्वेटर वितरण कोई उपकार नहीं, बल्कि अधिकार है। हर नागरिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशासन तक यह आवाज पहुँचे।
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