
#चैनपुर #रेतखनन #NGT के प्रतिबंध के बावजूद चैनपुर की संख और साफ नदियों में अवैध रेत उत्खनन, स्थानीय प्रशासन की चुप्पी बनी गंभीर चिंता का विषय
- NGT द्वारा रेत खनन पर रोक के बावजूद चैनपुर में अवैध उत्खनन जारी
- रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉली रेत निकाल रहे माफिया, रात में सबसे ज्यादा गतिविधि
- प्रशासन और पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल, मिलीभगत की आशंका
- नदी तंत्र, जलस्तर और कृषि भूमि को हो रहा भारी नुकसान
- स्थानीयों का आरोप: राजनीतिक संरक्षण के कारण कार्रवाई नहीं
रेत का काला कारोबार: नदियों में हर रात होता है गुनाह
चैनपुर की संख और साफ नदियां, जो कभी क्षेत्र की पारिस्थितिकी और सिंचाई की रीढ़ मानी जाती थीं, अब अवैध रेत खनन के कारण कराह रही हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के स्पष्ट आदेशों के बावजूद, हर रात सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉली नदियों से रेत निकालकर खुलेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अवैध धंधा रात के अंधेरे में संगठित तरीके से चलता है, जब निगरानी का स्तर कम होता है। लेकिन अब दिन में भी ट्रैक्टर सड़कों पर बेधड़क दौड़ते नजर आते हैं, जिससे यह साफ होता है कि यह सिर्फ चोरी-छुपे होने वाली गतिविधि नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अवैध व्यापार है।
पर्यावरण पर गंभीर असर: नदियों का संतुलन बिगड़ा
NGT द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का उद्देश्य नदियों और पारिस्थितिकी को नुकसान से बचाना था, लेकिन चैनपुर में इन आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
अवैध खनन से नदी किनारों का कटाव बढ़ गया है, जलस्तर घट रहा है और आसपास की कृषि भूमि पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।
लंबे समय तक जारी रहा यह खनन पर्यावरण के लिए एक स्थायी खतरा बन चुका है।
पुलिस और CO की चुप्पी: निष्क्रियता या सांठगांठ?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब कुछ पुलिस और अंचलाधिकारी (CO) की जानकारी में होते हुए भी अनदेखा किया जा रहा है।
“इतनी बड़ी संख्या में रेत से भरे ट्रैक्टर बिना किसी प्रशासनिक शह के कैसे गुजर सकते हैं?” — यही सवाल हर गांववासी के मन में है।
राजनीतिक संरक्षण की भी बात सामने आ रही है, जिससे यह कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। अब सवाल यह है कि प्रशासन कब जागेगा और नदियों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगा?
न्यूज़ देखो: नदियों की हत्या पर खामोशी क्यों?
जब कानून की अवहेलना, पर्यावरण की बर्बादी और प्रशासन की निष्क्रियता एक साथ खड़ी हो जाएं — तो आवाज़ उठाना ही जिम्मेदारी बन जाती है।
न्यूज़ देखो इस घातक खनन पर सख्त कार्रवाई की मांग करता है और प्रशासन से अपेक्षा करता है कि नदियों को बचाने और कानून के पालन के लिए गंभीर कदम उठाए जाएंगे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आपकी चुप्पी भी बन सकती है साझेदार
चुप रहना अब विकल्प नहीं है।
यदि आप इस समस्या से प्रभावित हैं या इसके खिलाफ खड़े होना चाहते हैं, तो आगे आएं।
इस खबर पर अपनी राय दें, इसे रेट करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें।
क्योंकि जब प्रकृति रोती है, तो अंत में पूरा समाज भुगतता है।





