
#पलामू #पुलिस_व्यवस्था : डीआईजी नौशाद आलम ने तीन जिलों के पुलिस अधिकारियों को दी चेतावनी — अब बिना यूनिफॉर्म और नेम प्लेट के नहीं चलेगी ड्यूटी
- डीआईजी ने पलामू, गढ़वा और लातेहार के थानों की की समीक्षा
- बिना नेम प्लेट ड्यूटी कर रहे अफसरों पर जताई सख्त नाराजगी
- अब प्रतिदिन यूनिफॉर्म में ग्रुप फोटो भेजना होगा अनिवार्य
- थानों में हर दिन होगी समीक्षा बैठक और तय होगा कार्यभार
- 24 घंटे यूनिफॉर्म में रहना होगा सभी पुलिसकर्मियों को
डीआईजी की सख्ती: बिना पहचान के ड्यूटी पर नहीं रह सकेंगे पुलिसकर्मी
पलामू रेंज के डीआईजी नौशाद आलम ने थानों में तैनात पुलिसकर्मियों की कार्यशैली को लेकर सख्त रुख अपनाया है। जांच के दौरान सामने आया कि ओडी अफसर, सिरिस्ता कर्मी और अन्य पुलिसकर्मी बिना यूनिफॉर्म और नेम प्लेट के ड्यूटी कर रहे हैं, जिससे आम नागरिकों को पहचान में परेशानी होती है और पुलिस की सार्वजनिक छवि पर असर पड़ता है।
तीन जिलों के पुलिस थानों को जारी हुआ निर्देश
पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों के सभी थाना प्रभारियों को डीआईजी ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि अब से सभी अधिकारी और कर्मी ड्यूटी के दौरान यूनिफॉर्म के साथ स्पष्ट नेम प्लेट पहनना अनिवार्य होगा। इसके अलावा हर सुबह थाना स्तर पर बैठक होगी, जिसमें कार्य वितरण किया जाएगा और सभी अधिकारियों को रोस्टर में हस्ताक्षर करने होंगे।
हर दिन की ड्यूटी का रिकॉर्ड, डीआईजी को भेजनी होगी तस्वीर
नई व्यवस्था के तहत हर दिन बैठक के बाद पुलिसकर्मियों का यूनिफॉर्म में ग्रुप फोटो खींचकर डीआईजी को भेजना होगा। यह फोटो पलामू रेंज के व्हाट्सऐप ग्रुप पर अपलोड की जाएगी। सभी थानों को साप्ताहिक रोस्टर जारी करने और उसका अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है।
पुलिस की पहचान और जवाबदेही को लेकर दिखी गंभीरता
डीआईजी नौशाद आलम ने कहा है कि “यूनिफॉर्म में न रहना न सिर्फ पुलिस की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि इससे आम नागरिकों को असुविधा होती है। किसी भी स्थिति में यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि कोई पुलिसकर्मी पहचान के बिना ड्यूटी करे।”
डीआईजी नौशाद आलम ने कहा: “हमारी प्राथमिकता है कि आम लोगों को थाना में आते ही स्पष्ट रूप से पता चले कि कौन अधिकारी है और कौन कर्मी। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।”
न्यूज़ देखो: जवाबदेही की ओर बढ़ता प्रशासनिक सुधार
डीआईजी की यह पहल पुलिसिंग में जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में एक अहम कदम है। आम जनता को स्पष्ट जानकारी और भरोसा तभी मिलता है, जब अधिकारी अपनी जिम्मेदारी और वर्दी दोनों को सम्मान दें।
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जिम्मेदारी और अनुशासन से ही बनती है भरोसेमंद पुलिस
यह फैसला बताता है कि सुधार सिर्फ कानून से नहीं, व्यवहार और अनुशासन से भी आता है। हर पुलिसकर्मी जब अपनी पहचान और कर्तव्य के साथ जनता के सामने आएगा, तभी समाज में विश्वास और सुरक्षा का माहौल मजबूत होगा।
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