
#महुआडांड़ #ऑलसोल्सडे : दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए ईसाई समुदाय ने जगमगाए कब्रिस्तान – बच्चों और बड़ों ने मिलकर सजाई यादों की रोशनी
- महुआडांड़ में ईसाई समुदाय ने रविवार शाम ऑल सोल्स डे श्रद्धा और भावना के साथ मनाया।
- अमवाटोली, बरटोली, गुड़गुड़टोली, विश्रामापूर सहित कई गांवों में कब्रिस्तानों की हुई सुंदर सजावट।
- लोगों ने फूलों, मोमबत्तियों और क्रूसों से कब्रों को सजाकर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए की प्रार्थना।
- बच्चों और महिलाओं ने मिलकर दुआ की, शाम को हर कब्रिस्तान रोशनी से जगमगा उठा।
- पर्व ने प्रेम, एकता और आध्यात्मिक जुड़ाव का संदेश दिया।
महुआडांड़: रविवार की शाम श्रद्धा, रोशनी और यादों से भर उठी जब ईसाई समुदाय ने अपने दिवंगत प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए ऑल सोल्स डे का पर्व मनाया। सुबह से ही मसीही परिवारों ने अपने-अपने गांवों के कब्रिस्तानों की सफाई, रंगाई और सजावट शुरू कर दी थी। शाम होते-होते पूरा इलाका रोशनी और प्रार्थना के सुरों से गूंज उठा। अमवाटोली, बरटोली, गुड़गुड़टोली, विश्रामापूर सहित आसपास के सभी इलाकों में श्रद्धा का ऐसा नज़ारा दिखा, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया।
श्रद्धा और आस्था से भरा रहा पूरा दिन
सुबह से ही मसीही परिवार कब्रिस्तानों में जुट गए थे। किसी ने कब्रों पर ताजे फूलों की माला रखी, तो किसी ने मोमबत्तियों से उन्हें जगमगाया। महिलाएं कब्रों के पास खड़ी होकर दिवंगत आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए दुआएं करती रहीं। बच्चे अपने माता-पिता के साथ फूलों और मोमबत्तियों की टोकरी लेकर पहुंचे। हर हाथ में एक दीया था और हर दिल में अपनों की याद।
स्थानीय निवासी जॉर्ज लकड़ा ने बताया कि “ऑल सोल्स डे का यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि प्रेम और प्रार्थना के माध्यम से हम अपने दिवंगत स्वजनों की आत्मा से जुड़े रहते हैं। यह दिन केवल यादों का नहीं बल्कि आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है।”
कब्रिस्तानों में सजी रोशनी और फूलों की महक
महुआडांड़ के अमवाटोली, बरटोली और विश्रामापूर के कब्रिस्तानों में शाम होते-होते दिव्य दृश्य देखने को मिला। सैकड़ों मोमबत्तियों की लौ और फूलों की खुशबू ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। बच्चे और महिलाएं कब्रों के पास बैठकर गीत और प्रार्थनाएं करते दिखे। कई स्थानों पर समूह में विशेष आराधना भी की गई।
एक स्थानीय मसीही महिला ने कहा: “यह दिन हमें सिखाता है कि मृत्यु अंत नहीं है, बल्कि आत्मा की यात्रा का एक पड़ाव है। जब हम अपने प्रियजनों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो वे हमारे आशीर्वाद का हिस्सा बन जाते हैं।”
कब्रिस्तान सजाने की प्रक्रिया भी भावनाओं से भरी थी। लोगों ने पुराने पत्थर साफ किए, नई क्रूस लगाई और हर कब्र पर एक दीपक जलाया। हवा में फूलों की महक और दुआओं की गूंज पूरे क्षेत्र में फैली रही।
यादों और एकता का प्रतीक बना पर्व
ऑल सोल्स डे के दिन पूरे महुआडांड़ में ऐसा लगा मानो यादें फिर से जीवित हो उठीं हों। हर व्यक्ति के चेहरे पर अपने प्रियजनों की याद और आत्मिक शांति की चाह झलक रही थी। कई परिवारों ने कहा कि यह पर्व उन्हें समाज के प्रति संवेदनशील बनाता है, क्योंकि जब हम अपनों के लिए दुआ करते हैं, तो हम दूसरों के दुख को भी महसूस करने लगते हैं।
धार्मिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आयोजन समाज में मानवता, प्रेम और सहानुभूति की भावना को मजबूत करते हैं। यह पर्व केवल ईसाई समुदाय का नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है।
बच्चों की भागीदारी से बढ़ी रौनक
इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चे अपने माता-पिता के साथ कब्रिस्तान पहुंचे और अपने हाथों से कब्रों पर फूल रखे। बच्चों ने कहा कि वे अपने दादा-दादी और रिश्तेदारों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने आए हैं। यह दृश्य देखकर बुजुर्गों की आंखें नम हो गईं, लेकिन चेहरों पर संतोष की मुस्कान थी।
आध्यात्मिक वातावरण में डूबा रहा महुआडांड़
शाम के समय जब सूर्य अस्त हो रहा था, उसी समय हर कब्रिस्तान दीपों की रौशनी से जगमगा उठा। वातावरण में एक अजीब सी शांति थी, मानो हर रोशनी की लौ एक आत्मा को आशीर्वाद दे रही हो। लोगों ने समूह प्रार्थना की और शांति के संदेश को साझा किया।
एक स्थानीय पादरी ने कहा: “हमारे लिए यह दिन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि प्रेम, क्षमा और एकता का संदेश है। जब तक हम दूसरों के लिए दुआ करते रहेंगे, तब तक मानवता जीवित रहेगी।”
न्यूज़ देखो: रोशनी में यादों का पर्व
यह खबर दिखाती है कि समाज में अभी भी श्रद्धा, प्रेम और संवेदना की ताकत जीवित है। ऑल सोल्स डे का यह आयोजन महुआडांड़ के लोगों में आध्यात्मिक जागरूकता और सामाजिक एकजुटता का उदाहरण बन गया है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
यादों की रोशनी से जगमगाए दिल
हर व्यक्ति के जीवन में अपनों की यादें अमर रहती हैं, और यह पर्व हमें सिखाता है कि उन्हें सम्मान देना भी हमारी जिम्मेदारी है। इस ऑल सोल्स डे पर रोशनी की हर लौ हमें यह संदेश देती है कि प्यार और प्रार्थना से ही आत्मा को सच्ची शांति मिलती है।
सजग रहें, संवेदनशील बनें।
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