
#गुमला #स्वास्थ्य_पहल : उच्च विद्यालय टांगरडीह में ANM, सहिया और स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया कुपोषण प्रबंधन का विशेष प्रशिक्षण
- गुमला जिले के डुमरी प्रखंड के उच्च विद्यालय टांगरडीह में एक दिवसीय कुपोषण उपचार प्रबंधन (SAM Management Training) का आयोजन किया गया।
- इस कार्यक्रम में ANM, सहिया, सहिया साथी और BTT को कुपोषण के उपचार और पहचान पर प्रशिक्षित किया गया।
- प्रशिक्षण का आयोजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सहयोग से MTC द हंस फाउंडेशन द्वारा किया गया।
- मास्टर ट्रेनर सुचित्रा टोप्पो ने प्रशिक्षण सत्र का संचालन किया।
- कार्यक्रम में डॉ. अलवेल सर, PM स्वामी विवेकानंद, BPM राजेश, और CDS कृष्ण मोहन मिश्रा सहित कई विशेषज्ञों ने भाग लिया।
गुमला जिले में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए यह प्रशिक्षण सत्र एक अहम कदम साबित हुआ। उच्च विद्यालय टांगरडीह के हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्यकर्मियों को कुपोषण के प्रभावी उपचार और प्रबंधन के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करना था।
कुपोषण के खिलाफ गुमला की मजबूत पहल
सुचित्रा टोप्पो, मास्टर ट्रेनर, ने प्रतिभागियों को मालन्यूट्रिशन ट्रीटमेंट सेंटर (MTC) की कार्यप्रणाली, संतुलित आहार, खाद्य समूहों, और हजार दिन पोषण कार्यक्रम की अवधारणा पर विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि शुरुआती स्तर पर सही पहचान और समय पर उपचार से कुपोषण को रोका जा सकता है।
डॉ. अलवेल सर ने कहा: “कुपोषण का मुकाबला केवल दवाओं से नहीं, बल्कि पोषण शिक्षा और सामुदायिक जागरूकता से संभव है। हर स्वास्थ्यकर्मी इस दिशा में बदलाव के वाहक बनें।”
प्रशिक्षण में द हंस फाउंडेशन के PM स्वामी विवेकानंद, BPM राजेश, और CDS कृष्ण मोहन मिश्रा ने मिलकर प्रतिभागियों को MTC की प्रक्रिया, रेफरल सिस्टम और फॉलो-अप तंत्र की जानकारी दी।
सत्र में स्क्रीनिंग तकनीक, पोषक तत्वों की पहचान, और मातृ-शिशु स्वास्थ्य देखभाल जैसे विषयों पर व्यावहारिक अभ्यास भी कराया गया।
द हंस फाउंडेशन की प्रतिबद्धता और भूमिका
द हंस फाउंडेशन ने इस प्रशिक्षण के माध्यम से यह दिखाया कि ग्रामीण झारखंड में स्वास्थ्य सशक्तिकरण और कुपोषण उन्मूलन की दिशा में उसकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। संस्था लगातार स्वास्थ्य, शिक्षा और सामुदायिक विकास के क्षेत्र में कार्यरत है।
प्रतिभागियों ने फाउंडेशन के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि ऐसे प्रशिक्षण ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालेंगे।
PM स्वामी विवेकानंद ने कहा: “हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा भूख और कुपोषण से पीड़ित न रहे। यह प्रशिक्षण उसी दिशा में हमारा छोटा लेकिन सशक्त प्रयास है।”
क्षमता वर्धन की दिशा में राज्यस्तरीय प्रभाव
इस प्रशिक्षण को राज्य स्तर पर क्षमता वर्धन की दिशा में एक उपयोगी पहल माना गया।
इस अवसर पर CDS सुनिल कुमार देवमुनी, हेल्थ न्यूट्रिशन एक्सपर्ट काजल, और हाउसकीपिंग संगीता ने सक्रिय रूप से भाग लिया और प्रशिक्षण के व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा की।
सभी प्रतिभागियों को यह समझाया गया कि समुदाय स्तर पर सहिया और स्वास्थ्यकर्मी कुपोषण से जूझ रहे बच्चों की पहचान में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं।

न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य सशक्तिकरण की मिसाल बना गुमला
गुमला में आयोजित यह प्रशिक्षण बताता है कि सामुदायिक भागीदारी और संस्थागत सहयोग से कुपोषण जैसी जटिल समस्या से निपटा जा सकता है।
यह पहल द हंस फाउंडेशन और स्थानीय प्रशासन के समन्वय की मिसाल है, जिसने स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की दिशा में नई उम्मीद जगाई है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
कुपोषण मुक्त गुमला की ओर एक सशक्त कदम
यह प्रशिक्षण केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामूहिक जागरूकता और स्वास्थ्य सुधार का अभियान है।
आइए हम सब यह संकल्प लें कि हर बच्चे तक पौष्टिक आहार और बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंचे।
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स्वस्थ समाज ही समृद्ध राष्ट्र की नींव है — चलिए, इस दिशा में एक कदम साथ बढ़ाते हैं।




