
#बरवाडीह #विकास_योजनाएं : कब्रिस्तान निर्माण और जीर्णोद्धार में भारी अनियमितताओं के आरोप, गुणवत्ता पर संकट।
लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड में कल्याण विभाग द्वारा संचालित विकास योजनाओं में गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। कब्रिस्तान की चहारदीवारी निर्माण और जीर्णोद्धार जैसे कार्यों में सरकारी नियमों की अनदेखी किए जाने की शिकायत ग्रामीणों ने की है। कार्यस्थलों पर सूचना पट्ट की अनुपस्थिति और घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग से योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। मामले में विभागीय लापरवाही और अभिकर्ताओं की मनमानी को लेकर स्थानीय स्तर पर आक्रोश देखा जा रहा है।
- बरवाडीह प्रखंड में कल्याण विभाग की योजनाओं में अनियमितता का आरोप।
- ग्राम कोलपुरवा में कब्रिस्तान चहारदीवारी निर्माण पर सवाल।
- पोखरीखुर्द कब्रिस्तान के जीर्णोद्धार में नियमों की अनदेखी।
- कार्यस्थल पर सूचना पट्ट का पूर्ण अभाव।
- निम्न गुणवत्ता की सामग्री उपयोग का आरोप।
- ग्रामीणों ने जताया दबंग अभिकर्ताओं का डर।
लातेहार जिले के बरवाडीह प्रखंड क्षेत्र में कल्याण विभाग के तहत चल रही विभिन्न विकास योजनाएं अब सवालों के घेरे में आ गई हैं। ग्रामीणों और सामाजिक प्रतिनिधियों द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, योजनाओं के क्रियान्वयन में न केवल सरकारी नियमों की अनदेखी की जा रही है, बल्कि पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों को ताक पर रखा गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि चाहे ग्राम कोलपुरवा में कब्रिस्तान की चहारदीवारी निर्माण हो या फिर पोखरीखुर्द स्थित कब्रिस्तान का जीर्णोद्धार कार्य, हर जगह एक ही तरह की अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि किसी भी कार्यस्थल पर योजना से संबंधित अनिवार्य सूचना पट्ट नहीं लगाया गया है, जो स्पष्ट रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
सूचना पट्ट का अभाव, नियमों की सीधी अवहेलना
सरकारी योजनाओं के तहत किए जाने वाले किसी भी निर्माण कार्य में योजना की लागत, कार्य अवधि, स्वीकृत राशि और अभिकर्ता का नाम स्पष्ट रूप से दर्शाना अनिवार्य होता है। लेकिन बरवाडीह क्षेत्र में चल रहे इन कार्यों में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा।
ग्रामीणों का कहना है कि सूचना पट्ट के अभाव में यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि योजना कितनी राशि की है, कार्य कब तक पूरा होना है और जिम्मेदार कौन है। इससे अभिकर्ताओं को मनमानी करने का खुला अवसर मिल रहा है।
घटिया सामग्री से गुणवत्ता पर संकट
स्थानीय लोगों के अनुसार, निर्माण कार्यों में निम्न गुणवत्ता की ईंट, सीमेंट, छड़ और गिट्टी का खुलेआम उपयोग किया जा रहा है। काम को जल्दबाजी में पूरा कर केवल खानापूर्ति की जा रही है, ताकि योजना की राशि जल्द से जल्द निकाल ली जाए।
ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि इस तरह के घटिया निर्माण से कार्य की मजबूती और टिकाऊपन पर गंभीर खतरा है। आने वाले समय में यह निर्माण कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है, जिससे सरकारी धन की बर्बादी के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
पोखरीखुर्द में पहले से बने कार्य को दोबारा दिखाने का आरोप
पोखरीखुर्द अंजुमन कमेटी के सदर वजीर मियां समेत अन्य स्थानीय लोगों ने बताया कि कब्रिस्तान का लगभग 90 प्रतिशत कार्य पहले ही कमेटी द्वारा अपने संसाधनों से कराया जा चुका था। इसके बावजूद उसी कार्य को योजना के तहत दिखाकर सरकारी राशि खर्च किए जाने की बात सामने आ रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यह आरोप सही हैं, तो यह सीधे तौर पर सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला बनता है, जिसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।
कोलपुरवा में गुपचुप तरीके से निर्माण
ग्राम कोलपुरवा के ग्रामीणों ने भी कब्रिस्तान चहारदीवारी निर्माण को लेकर असमर्थता जताई। उनका कहना है कि कार्य गुपचुप तरीके से कराया जा रहा है और गांव के अधिकांश लोगों को योजना की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।
ग्रामीणों के अनुसार, अभिकर्ताओं की दबंग प्रवृत्ति, ऊंची पहुंच और झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी के कारण वे खुलकर कुछ बोलने से डरते हैं। यही कारण है कि कई लोग इन अनियमितताओं के मूकदर्शक बने हुए हैं।
अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि या तो विभागीय अधिकारियों की घोर लापरवाही है, या फिर अभिकर्ताओं के साथ उनकी मिलीभगत के कारण इन कार्यों की गुणवत्ता की जांच-पड़ताल नहीं की जा रही है। समय पर निरीक्षण और सख्ती नहीं होने से अभिकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं।
हालांकि, इस संबंध में संबंधित कनीय अभियंता मो. सलीम ने किसी भी प्रकार की सांठगांठ से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जाएगी और यदि कहीं अनियमितता पाई जाती है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्षम अधिकारियों को जल्द ही रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
मो. सलीम ने कहा: “अभिकर्ताओं के साथ किसी तरह की मिलीभगत का सवाल ही नहीं है। शिकायतों की जांच कर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट दी जाएगी।”
ग्रामीणों की मांग, निष्पक्ष जांच हो
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक लोगों ने मांग की है कि कल्याण विभाग की इन योजनाओं की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच कराई जाए। साथ ही निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की तकनीकी जांच कर दोषी अभिकर्ताओं और लापरवाह अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
लोगों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में भी सरकारी योजनाएं इसी तरह भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की भेंट चढ़ती रहेंगी।

न्यूज़ देखो: योजनाओं की निगरानी जरूरी
बरवाडीह में सामने आए आरोप यह दिखाते हैं कि योजनाओं की जमीनी निगरानी कितनी जरूरी है। पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना विकास योजनाएं अपने उद्देश्य से भटक जाती हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
नियमों का पालन ही सच्चा विकास
सरकारी योजनाएं जनता के हित के लिए होती हैं, न कि कुछ लोगों की जेब भरने के लिए। यदि आपके क्षेत्र में भी ऐसी अनियमितताएं दिखें, तो आवाज उठाएं। अपनी राय साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और पारदर्शी विकास के लिए जागरूकता फैलाएं।





