
#विशुनपुरा #धान_निकासी : सरकारी क्रय केंद्र खुलने से पहले ही प्रतिदिन ट्रकों से धान बाहर भेजे जाने पर किसानों ने जताई गहरी चिंता।
- 15 दिसंबर से धान खरीद शुरू करने की सरकारी घोषणा।
- विशुनपुरा में बिचौलियों की सक्रियता अचानक बढ़ी।
- प्रतिदिन दर्जनों ट्रकों में धान दूसरे राज्यों को भेजा जा रहा।
- किसानों को ₹2450 समर्थन मूल्य मिलने पर संकट की आशंका।
- अंचलाधिकारी खगेश कुमार ने किया—जाँच कर कार्रवाई का आश्वासन।
राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2025 से झारखंड के 700 से अधिक अधिप्राप्ति केंद्रों में धान खरीद शुरू करने की घोषणा की है। लेकिन विशुनपुरा प्रखंड में सरकारी खरीद शुरू होने से पहले ही बड़े पैमाने पर धान निकासी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। ग्रामीणों के अनुसार बीते कुछ दिनों से बिचौलिए अचानक सक्रिय हो गए हैं और प्रतिदिन दर्जनों ट्रकों में औने–पौने दाम पर धान खरीदकर दूसरे राज्यों की ओर भेज रहे हैं। इससे समर्थित समर्थन मूल्य ₹2450 प्रति क्विंटल मिलने की आशा रखने वाले किसानों को भारी नुकसान का भय सताने लगा है।
सरकारी खरीद से पहले धान की तेज़ निकासी
किसानों और स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी क्रय केंद्र खुलने में अभी कुछ दिन बाकी हैं, लेकिन खेत–खलिहान से धान उठाकर ट्रकों में भरकर बाहर भेजने की प्रक्रिया तेज हो गई है। कई ट्रकों को देर रात और तड़के सुबह प्रखंड क्षेत्र से निकलते देखा गया है। किसानों का आरोप है कि बिचौलियों द्वारा किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर कम दाम पर धान खरीद लिया जा रहा है।
बिचौलियों की बढ़ती गतिविधि से बढ़ी चिंता
ग्रामीणों ने बताया कि प्रखंड में पिछले एक हफ्ते से बिचौलियों की संख्या अचानक बढ़ी है। ट्रकों की आवाजाही इतनी तेज है कि कई गांवों में सड़क किनारे धान लोड करने का काम खुलकर हो रहा है। किसानों का कहना है कि यदि प्रशासन इस पर जल्द सख्ती नहीं करता तो सरकारी अधिप्राप्ति केंद्र खुलने से पहले ही क्षेत्र का अधिकांश धान बाहर निकल जाएगा, जिससे उन्हें समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाएगा।
किसान बोले — खुलें केंद्र, रुके धान की निकासी
किसानों ने प्रशासन से तीन प्रमुख मांगें रखी हैं—
- रात–दिन चल रही ट्रकों की सघन जांच हो।
- बिचौलियों की गतिविधि पर तत्काल रोक लगे।
- क्रय केंद्र समय पर और पर्याप्त व्यवस्था के साथ खुलें।
किसानों ने कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीद होने से पहले ही यदि धान बाहर चला गया, तो छोटे और सीमांत किसान सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
अंचलाधिकारी ने कहा—जाँच कर होगी कार्रवाई
मामले पर पूछे जाने पर अंचलाधिकारी खगेश कुमार ने कहा कि धान की अवैध निकासी से संबंधित शिकायतें गंभीर हैं।
उन्होंने कहा:
अंचलाधिकारी खगेश कुमार ने कहा: “पूरे मामले की जाँच की जा रही है। जो भी अनियमितता पाई जाएगी उस पर अग्रेतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”
प्रशासनिक निष्क्रियता या कमी — क्या है वास्तविक स्थिति?
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी क्रय केंद्रों की तैयारी अब तक ज़मीन पर साफ़ नजर नहीं आती। केंद्रों पर बोरे, तौल, व्यवस्था, स्टाफ की नियुक्ति और परिवहन व्यवस्था को लेकर कई सवाल हैं। इसी ढील का फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार सरकार का अधिप्राप्ति तंत्र मजबूत तरीके से काम करे, ताकि किसानों को उचित दाम मिल सके।
सरकारी क्रय केंद्रों की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण?
धान खरीद केंद्र किसानों का सबसे बड़ा सहारा होते हैं। समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित होने से—
- किसानों को बाजार में उचित दाम के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता,
- बिचौलियों की मनमानी रुकती है,
- कृषि अर्थव्यवस्था स्थिर रहती है।
इस वर्ष भी हजारों किसान समर्थन मूल्य की प्रतीक्षा में हैं। लेकिन धान की भारी निकासी ने हालात चुनौतीपूर्ण बना दिए हैं।

न्यूज़ देखो: किसानों का हक़ बचाने के लिए सख़्त कार्रवाई अनिवार्य
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी योजनाएँ तभी सफल होंगी जब स्थानीय स्तर पर उसका क्रियान्वयन प्रभावी हो। बिचौलियों का बढ़ता प्रभाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाता है। प्रशासन को इस मामले में त्वरित और परिणामकारी हस्तक्षेप करना होगा ताकि किसानों का लाभ सुरक्षित रहे।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
किसानों की मेहनत की सही कीमत मिलना ज़रूरी
धान किसानों की सालभर की मेहनत है—इसे बिचौलियों के हाथों औने–पौने दाम में बेचने की मजबूरी नहीं बननी चाहिए।
अपने क्षेत्र में होने वाली धान निकासी, ट्रकों की गतिविधि और सरकारी खरीद व्यवस्था की स्थिति पर नज़र रखें।
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