
#पलामू #एसपीधानरोपाई : खेत में खुद धान रोपती दिखीं रेष्मा रमेशन — लोकगीत गाकर जोड़ा समाज और परंपरा से नाता
- एसपी रेष्मा रमेशन ने खुद धान रोपाई कर आमजन से जुड़ाव दिखाया।
- पूजा-अर्चना और पारंपरिक लोकगीतों के साथ किया परंपरागत आरंभ।
- खेत में उतरकर रोपाई करने वाली पहली वरीय अधिकारी बनीं।
- यह कदम कृषि, परंपरा और प्रशासन के अद्भुत संगम का प्रतीक बना।
- जिले में मानसून की दस्तक के साथ धान रोपाई का काम जोरों पर है।
खेत में वर्दी नहीं, मिट्टी की सौंधी गंध में रमी एसपी
पलामू जिले की पुलिस अधीक्षक रेष्मा रमेशन आज एक अलग ही रूप में नज़र आईं। सादे वस्त्रों में, नंगे पांव, हाथों में धान की बिचड़े — और साथ में गूंजते पारंपरिक झारखंडी लोकगीत। उन्होंने अपने आवासीय परिसर में पारंपरिक विधि से धान की रोपाई की शुरुआत की। पूजन-अर्चना के साथ शुभ घड़ी में खेत में उतरना केवल कृषि परंपरा का निर्वहन नहीं था, बल्कि यह संवेदनशील प्रशासनिक नेतृत्व की मिसाल भी थी।
परंपरा, प्रेरणा और पद का सजीव समन्वय
आज जब कई अधिकारी अपनी भूमिका को केवल कुर्सी तक सीमित रखते हैं, वहीं एसपी रेष्मा रमेशन का यह कदम समाज के साथ एक जीवंत संवाद जैसा है। यह दिखाता है कि प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ आदेश देने वाले नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़े हुए, संवेदनशील और सहभागिता में विश्वास रखने वाले भी हो सकते हैं।
“खेती सिर्फ अन्न नहीं, संस्कृति भी उपजाती है। हम सबको इससे जुड़कर सम्मान देना चाहिए।”
मानसून की फुहारों के बीच खेतों में हलचल
इस समय पलामू जिला मानसून की पहली बौछारों के बाद धान रोपाई की गतिविधियों से सराबोर है। ग्रामीणों के लिए यह समय परिश्रम, उम्मीद और परंपरा का मेल है। ऐसे में जिले की शीर्ष अधिकारी का खुद खेत में उतरना सामाजिक सौहार्द का दृश्य रचता है। इससे प्रशासन और आमजन के बीच भरोसे की खाई पाटने में मदद मिलती है।
प्रशासनिक छवि से परे, एक सामाजिक संदेश
जहां एक ओर वर्दी में अधिकारी कड़क अनुशासन का पर्याय माने जाते हैं, वहीं रेष्मा रमेशन का यह पहलू लोगों को यह विश्वास देता है कि प्रशासन में संवेदना और अपनापन अब भी जीवित है। उनका यह कार्य नई पीढ़ी के अफसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा कि कैसे एक अधिकारी होकर भी सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव बनाए रखा जा सकता है।

न्यूज़ देखो: खेत, खाकी और संस्कृति का सुंदर संगम
एसपी रेष्मा रमेशन का धान रोपना सिर्फ एक प्रतीकात्मक कार्य नहीं, बल्कि एक संवेदनशील प्रशासन का जीवंत चित्र है। इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि जब अधिकारी स्वयं समाज की परंपराओं में भाग लेते हैं, तो प्रशासन का चेहरा और अधिक भरोसेमंद और मानवीय बनता है।
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सामाजिक समरसता की मिसाल बनीं पलामू एसपी
हम सभी को चाहिए कि हम भी परंपराओं का मान रखते हुए समाज से जुड़ाव बनाए रखें। जब एक वरीय अधिकारी धान रोपाई जैसे कार्य में सहभागी बन सकते हैं, तो हम भी सामाजिक सहभागिता के नए उदाहरण गढ़ सकते हैं। इस समाचार को जरूर साझा करें, टिप्पणी करें, और इसे अपने किसान भाईयों, बहनों और युवाओं तक पहुंचाएं, जो इस कार्य से प्रेरणा ले सकें।