
#चैनपुर #वन्यजीव_तस्करी : वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की कार्रवाई में अंतरराज्यीय तस्करी का पर्दाफाश।
गुमला जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र में वन्यजीव तस्करी के खिलाफ बड़ी सफलता हाथ लगी है। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में प्रतिबंधित पैंगोलिन की खाल बरामद की गई और दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया। प्रारंभिक जांच में तस्करी के तार छत्तीसगढ़ से जुड़े पाए गए हैं। यह कार्रवाई वन्यजीव संरक्षण की दिशा में अहम मानी जा रही है।
- कार्रवाई स्थल: चैनपुर थाना क्षेत्र, गुमला जिला।
- गिरफ्तार आरोपी: रामेश्वर राम और मनसुर अंसारी।
- बरामदगी: छह किलोग्राम से अधिक पैंगोलिन की खाल।
- संयुक्त अभियान: वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो और स्थानीय प्रशासन।
- कानूनी कार्रवाई: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत न्यायिक हिरासत।
झारखंड के गुमला जिले में वन्यजीव तस्करी के खिलाफ चल रहे अभियान को एक बड़ी कामयाबी मिली है। चैनपुर थाना क्षेत्र में हुई इस कार्रवाई ने न केवल प्रतिबंधित पैंगोलिन की खाल की तस्करी का भंडाफोड़ किया, बल्कि अंतरराज्यीय तस्करी नेटवर्क की ओर भी इशारा किया है। स्थानीय स्तर पर इसे वन विभाग और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता का परिणाम माना जा रहा है।
यह कार्रवाई उस समय की गई जब वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) को पैंगोलिन की खाल की अवैध तस्करी से जुड़ी गुप्त सूचना प्राप्त हुई। सूचना की पुष्टि के बाद स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को साथ लेकर सघन जांच अभियान चलाया गया।
कैसे हुआ खुलासा
सूचना के आधार पर चैनपुर क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। इसी दौरान टीम ने चैनपुर रोड स्थित मरियमटोली इलाके में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान रामेश्वर राम और मनसुर अंसारी, दोनों निवासी चैनपुर रोड मरियमटोली, को पकड़ा गया। तलाशी में उनके पास से छह किलोग्राम से अधिक पैंगोलिन की खाल बरामद की गई।
बरामद खाल को मौके पर ही जब्त कर लिया गया और दोनों आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की गई। पूछताछ के बाद मामले को गंभीर मानते हुए दोनों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
पैंगोलिन क्यों है इतना संवेदनशील मामला
वन प्रमंडल पदाधिकारी अहमद बिलाल अनवर ने इस मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए बताया:
अहमद बिलाल अनवर ने कहा: “पैंगोलिन आईयूसीएन की रेड लिस्ट में अत्यंत संकटग्रस्त श्रेणी में शामिल है। इसका शिकार और व्यापार कानूनन एक गैर-जमानती अपराध है।”
उन्होंने बताया कि पैंगोलिन दुनिया का सबसे अधिक तस्करी किया जाने वाला स्तनधारी जीव है। इसके स्केल और खाल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है, विशेषकर चीन और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में, जहां इन्हें पारंपरिक दवाओं और अंधविश्वास से जुड़े काला जादू में उपयोग किया जाता है। इसके मांस की भी अवैध रूप से तस्करी की जाती है।
छत्तीसगढ़ से जुड़े तस्करी के तार
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि बरामद पैंगोलिन की खाल छत्तीसगढ़ के जंगलों से लाई गई थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि मामला केवल स्थानीय तस्करी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक अंतरराज्यीय गिरोह सक्रिय हो सकता है।
वन विभाग और अन्य सुरक्षा एजेंसियां अब इस नेटवर्क को खंगालने में जुट गई हैं। अधिकारियों का मानना है कि पकड़े गए आरोपी केवल कड़ी के छोटे हिस्से हैं और आगे की जांच में मुख्य सरगना तक पहुंचने की संभावना है।
कानून और सख्त सजा का प्रावधान
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत पैंगोलिन जैसे संरक्षित जीवों का शिकार, भंडारण, परिवहन या व्यापार एक गंभीर और गैर-जमानती अपराध है। दोष सिद्ध होने पर आरोपियों को लंबी अवधि की जेल और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
अहमद बिलाल अनवर ने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“वन्यजीवों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। पैंगोलिन की तस्करी करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।”
स्थानीय स्तर पर प्रशासन की सक्रियता
इस कार्रवाई के बाद स्थानीय स्तर पर प्रशासन और वन विभाग की सक्रियता की सराहना की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि गुप्त सूचना तंत्र को और मजबूत किया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की तस्करी की घटनाओं पर समय रहते रोक लगाई जा सके।
पर्यावरण और जैव विविधता पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि पैंगोलिन जैसे जीव पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कीट नियंत्रण में सहायक होते हैं और जंगलों के संतुलन को बनाए रखने में योगदान देते हैं। इनके लगातार शिकार से जैव विविधता को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।
न्यूज़ देखो: तस्करी के खिलाफ सख्त संदेश
चैनपुर में हुई यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि वन्यजीव तस्करी के खिलाफ प्रशासन अब सख्त रुख अपना रहा है। अंतरराज्यीय नेटवर्क के खुलासे से यह भी स्पष्ट होता है कि इस तरह के अपराध संगठित रूप में किए जा रहे हैं। अब देखना होगा कि जांच एजेंसियां इस गिरोह की जड़ों तक कितनी तेजी से पहुंच पाती हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
वन्यजीव संरक्षण में नागरिकों की भूमिका
वन्यजीवों की रक्षा केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की भी साझा जिम्मेदारी है।
यदि आपको कहीं भी अवैध शिकार या तस्करी की जानकारी मिले, तो तुरंत संबंधित विभाग को सूचित करें।
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