
#चैनपुर #शैक्षिक_संगोष्ठी : बालिका आवासीय विद्यालय में अभिभावकों संग बैठक, शिक्षा पर दिया गया जोर।
गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड स्थित झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बैठक में छात्राओं की शैक्षणिक प्रगति, उपस्थिति और सर्वांगीण विकास पर विस्तार से चर्चा हुई। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने शिक्षा को भविष्य निर्माण का आधार बताया। कार्यक्रम में मेधावी छात्राओं, शिक्षकों और सक्रिय अभिभावकों को सम्मानित किया गया।
- झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय, चैनपुर में अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी आयोजित।
- जिला परिषद सदस्य मेरी लकड़ा ने बच्चों को बताया भविष्य का कर्णधार।
- शिक्षा, अनुशासन और निरंतर परिश्रम पर दिया गया विशेष जोर।
- मेधावी छात्राओं, शिक्षकों और अभिभावकों को प्रमाण पत्र से सम्मान।
- सरकारी योजनाओं और दस्तावेजों की दी गई विस्तृत जानकारी।
गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत कातिंग स्थित झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय के प्रांगण में अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। इस विशेष बैठक का उद्देश्य विद्यालय की शैक्षणिक स्थिति की समीक्षा, छात्राओं की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना तथा उनके सर्वांगीण विकास को लेकर अभिभावकों के साथ संवाद स्थापित करना था। कार्यक्रम में शिक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गंभीर और सार्थक चर्चा हुई।
शिक्षा ही भविष्य की मजबूत नींव
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला परिषद सदस्य मेरी लकड़ा ने अभिभावकों और छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के बच्चे ही कल के चैनपुर के कर्णधार हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के सपनों को साकार करने में अभिभावकों की भूमिका सबसे अहम होती है। सही मार्गदर्शन, प्रोत्साहन और अनुशासन से बच्चे न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर सकते हैं।
मेरी लकड़ा ने कहा: “यदि बच्चों को समय पर सही दिशा और सहयोग मिले, तो वे समाज और देश के लिए मिसाल बन सकते हैं।”
उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों को पढ़ाई के लिए अनुकूल वातावरण दें और नियमित रूप से विद्यालय भेजें।
बाबा साहेब के विचारों से मिली प्रेरणा
इस अवसर पर प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी धर्मरक्षी ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को साझा करते हुए शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है, जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर और निडर बनाती है।
धर्मरक्षी ने कहा: “शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पियेगा वही दहाड़ेगा।”
उन्होंने छात्राओं को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने और हर चुनौती का सामना करने के लिए प्रेरित किया।
सरकारी योजनाओं की दी गई जानकारी
बीपीओ सत्येंद्र कुमार ने अभिभावकों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी दी। उन्होंने आधार कार्ड, अपार आईडी और अन्य जरूरी कागजात की अहमियत बताते हुए कहा कि इन दस्तावेजों के अभाव में कई छात्राएं योजनाओं से वंचित रह जाती हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि जीवन में जिम्मेदार नागरिक बनना है। इसके लिए बच्चों की नियमित उपस्थिति और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
विद्यालय प्रबंधन ने रखी कार्ययोजना
विद्यालय की वार्डन शीलवंती कुमारी एवं शिक्षिकाओं ने विद्यालय की कार्यप्रणाली और शैक्षणिक व्यवस्था की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विद्यालय में छात्राओं की नियमित उपस्थिति, अनुशासन और पढ़ाई की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
बैठक में जिन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई, उनमें शामिल थे:
- छात्राओं की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना।
- बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर परिणाम के लिए विशेष रणनीति तैयार करना।
- लंबे समय से अनुपस्थित छात्राओं की समस्याएं समझकर उन्हें पुनः पढ़ाई से जोड़ना।
मेधावी छात्राओं और शिक्षकों का सम्मान
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राओं, समर्पित शिक्षकों और सक्रिय अभिभावकों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके प्रयासों की सराहना थी, बल्कि अन्य छात्राओं और अभिभावकों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना।
विद्यालय परिवार की ओर से सभी अतिथियों को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानपूर्वक स्वागत किया गया, जिससे कार्यक्रम का माहौल और भी गरिमामय बन गया।
अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी
बैठक में बड़ी संख्या में अभिभावकों की उपस्थिति रही। अभिभावकों ने भी खुलकर अपनी बातें रखीं और विद्यालय प्रबंधन के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे बच्चों की शिक्षा और अनुशासन के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।
प्रमुख रूप से रहे उपस्थित
इस अवसर पर लेखापाल सिल्वेस्टर किंडो, विद्यालय की सभी शिक्षिकाएं, कर्मचारीगण और बड़ी संख्या में अभिभावक उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में बालिकाओं की शिक्षा को मजबूत करने का संकल्प लिया।



न्यूज़ देखो: शिक्षा से सशक्त भविष्य की पहल
अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी ने यह स्पष्ट किया कि शिक्षा केवल विद्यालय की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज और परिवार की साझा जिम्मेदारी है। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की मौजूदगी ने कार्यक्रम को और प्रभावी बनाया। यदि ऐसे संवाद नियमित रूप से होते रहें, तो बालिकाओं का भविष्य निश्चित रूप से उज्ज्वल होगा। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
शिक्षा से बदलेगा समाज का भविष्य
बच्चों की शिक्षा में सहभागिता ही मजबूत समाज की पहचान है। जब अभिभावक, शिक्षक और प्रशासन एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तब बदलाव संभव होता है।
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