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पालकोट के टेंगरिया कोनसलता गांव में पौष मेला बना आस्था और संस्कृति का संगम, नागपुरी गीतों पर झूमे ग्रामीण

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#गुमला #पारंपरिक_मेला : आदिवासी परंपरा के प्रतीक पौष मेला में पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और नागपुरी लोकधुनों के साथ दिखी गांव की एकजुटता।
  • टेंगरिया कोनसलता गांव, पालकोट प्रखंड में भव्य पौष मेला का आयोजन।
  • पहान पुजार द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना के साथ मेले की शुरुआत।
  • अच्छी फसल, सुख-शांति और आपदाओं से सुरक्षा के लिए भगवान इंद्र की आराधना।
  • मेला का उद्घाटन विधायक प्रतिनिधि मनीष कुमार हिंदुस्तान ने किया।
  • ठेठ नागपुरी गीतों पर राजदेव नायक, सुनीता कुमारी, मालती देवी की शानदार प्रस्तुति।
  • शांति व्यवस्था के लिए पुलिस प्रशासन की सख्त निगरानी।

पालकोट प्रखंड के टेंगरिया कोनसलता गांव में ग्रामीणों के आपसी सहयोग से आयोजित पारंपरिक पौष मेला इस बार भी पूरे हर्षोल्लास और सांस्कृतिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। यह मेला न केवल एक उत्सव रहा, बल्कि गांव की सामूहिक आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक पहचान का सजीव उदाहरण भी बना। सुबह से ही गांव में उत्सव का माहौल देखने को मिला और बड़ी संख्या में ग्रामीण मेले में शामिल हुए।

पूजा-अर्चना के साथ हुआ शुभारंभ

मेले की शुरुआत गांव के पहान पुजार द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना से की गई। पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार उन्होंने गांव के इष्ट देव की आराधना करते हुए जल अर्पित किया। पूजा के दौरान अच्छी फसल, गांववासियों की सुख-शांति, समृद्धि और आपसी सौहार्द की कामना की गई।
इसके साथ ही पहान पुजार ने भगवान इंद्र से गांव को दुख, बीमारी और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने की प्रार्थना की। पूजा के बाद ग्रामीणों ने एक-दूसरे को पौष मेला की शुभकामनाएं दीं, जिससे पूरे गांव में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ।

पारंपरिक नागपुरी संस्कृति की दिखी झलक

पूजा के पश्चात मेला समिति की ओर से ठेठ नागपुरी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सिमडेगा विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रतिनिधि मनीष कुमार हिंदुस्तान ने फीता काटकर किया।
उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा:

मनीष कुमार हिंदुस्तान ने कहा: “पौष मेला जैसे पारंपरिक आयोजन हमारी आदिवासी सभ्यता और सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखते हैं। इससे समाज में भाईचारा, सद्भाव और एकता मजबूत होती है।”

उन्होंने युवाओं से नशापान से दूर रहकर शिक्षा, खेल और सामाजिक कार्यों में आगे बढ़ने की अपील की और क्षेत्र के समग्र विकास के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।

समाजसेवियों ने बताया परंपरा का महत्व

इस अवसर पर टेंगरिया गांव के समाजसेवी भूषण सिंह ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा:

भूषण सिंह ने कहा: “पौष मेला केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, आस्था और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है। गांव के सभी लोगों के सहयोग से यह मेला सफल हो पाया है।”

उन्होंने युवाओं से अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को सहेजने का आह्वान करते हुए सामाजिक कुरीतियों से दूर रहने की अपील की।

नागपुरी कलाकारों की प्रस्तुति ने बांधा समां

सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध ठेठ नागपुरी कलाकार राजदेव नायक, सुनीता कुमारी, मालती देवी सहित अन्य कलाकारों ने एक से बढ़कर एक नागपुरी गीतों की प्रस्तुति दी। पारंपरिक वाद्ययंत्रों और लोकधुनों पर ग्रामीण देर शाम तक झूमते नजर आए।
नागपुरी गीतों और नृत्य ने न केवल युवाओं, बल्कि बुजुर्गों को भी अपनी ओर आकर्षित किया। पूरा मेला स्थल नागपुरी संस्कृति के रंग में रंगा हुआ दिखाई दिया।

सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद

मेले के दौरान शांति और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई, जिससे कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न हुआ। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई, जिससे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।

आयोजन को सफल बनाने वालों का योगदान

इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में भूषण सिंह, गंजन सिंह, फिरू प्रसाद, बेचन लाल, बेचन प्रसाद, पुरुषोत्तम कुजूर, कमल साहु, दिंगबर साहु, प्रमोद साहू, सुधीर राम सहित अनेक ग्रामीणों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष चैतू उरांव का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ, जिसकी सराहना मेला समिति और ग्रामीणों ने की।

न्यूज़ देखो: जब परंपरा से जुड़ता है समाज

टेंगरिया कोनसलता गांव का पौष मेला यह दिखाता है कि पारंपरिक आयोजन आज भी ग्रामीण समाज को एक सूत्र में बांधने की ताकत रखते हैं। ऐसे आयोजन सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने के साथ-साथ सामाजिक समरसता को भी मजबूत करते हैं। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ऐसे आयोजनों के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए आगे आना चाहिए। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अपनी संस्कृति पर गर्व करें, परंपरा को आगे बढ़ाएं

पौष मेला जैसे आयोजन हमें अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और नई पीढ़ी को संस्कृति का महत्व सिखाते हैं।
जरूरत है कि हम ऐसे आयोजनों में सक्रिय भागीदारी निभाएं और इन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं।
इस खबर पर अपनी राय जरूर साझा करें, इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं और अपनी संस्कृति के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएं।

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Rohit Kumar Sahu

पालकोट, गुमला

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