
#लातेहार #विद्यालय_धांधली : वृक्षारोपण के नाम पर ग़लत फोटो भेजकर रिपोर्टिंग—शौचालय और मिड-डे मील में भी गंभीर लापरवाही के आरोप
- उत्तम हाई स्कूल मुरु में वृक्षारोपण के नाम पर पेड़ की डाली गाड़कर ली गई फोटो।
- छात्रों से जबरन कटवाया पेड़ की डाली और खुद कराया ‘फर्जी रोपण’।
- फोटो खींचकर विभाग को भेज दी गई गलत रिपोर्ट।
- स्कूल में शौचालय नदारद, छात्र बाहर खेतों में करने को मजबूर।
- मिड-डे मील में फर्जी उपस्थिति बनाकर निकाली जा रही सरकारी राशि।
वृक्षारोपण नहीं, फोटोखिंचाई कार्यक्रम!
बरवाडीह प्रखंड के मुरु गांव स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय में जिस तरह का वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, वह अब क्षेत्र में विवाद और ग़ुस्से का कारण बन गया है। विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका बृन्दा सिंह पर आरोप है कि उन्होंने विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण के नाम पर एक बड़े पेड़ की डाली कटवाकर, उसे पत्तों समेत जमीन में गाड़वा दिया। इसके बाद छात्र-छात्राओं को उस डाली के सामने खड़ा कर फोटो खिंचवाई गई और इस फोटो को लातेहार जिला शिक्षा कार्यालय में भेजकर वृक्षारोपण की रिपोर्ट कर दी गई।
छात्रों का खुला विरोध, सवालों की बौछार
कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्रों ने इस ‘कार्यक्रम’ को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि पेड़ की टहनी को काटकर उसे ‘रोपण’ बताना न केवल प्राकृतिक संसाधनों का अपमान है, बल्कि सरकार और विभाग को जानबूझकर ग़लत रिपोर्ट भेजना भी है।
एक छात्रा ने बताया: “हेडमास्टर सर ने हमसे पेड़ की डाली कटवाई, फिर हमें उससे गड्ढा खुदवाकर उसमें गाड़ दिया। फोटो खिंचवाई और भेज दिया कि वृक्षारोपण हो गया। यह सरासर धोखा है।”
शौचालय के नाम पर भी ग़ैर-जिम्मेदारी
विद्यालय में शौचालय न होने की बात सामने आई है। छात्रों के अनुसार, प्रधानाध्यापिका से जब इस समस्या पर बात की गई, तो उनका रवैया बेहद असंवेदनशील रहा। छात्रों के अनुसार:
एक छात्र ने बताया: “सर ने कहा कि स्कूल में तो खुला मैदान है, बाहर खेत में जाकर कर लिया करो। शौचालय बनवाने में उनका पैसा थोड़े ही लगेगा।”
यह उत्तर न सिर्फ बच्चों की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि बालिकाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी सीधा हमला है।
मिड-डे मील में फर्जी हाजिरी, फर्जी निकासी!
गांव के ही कुछ ग्रामीणों ने बताया कि मिड-डे मील योजना में भी गड़बड़ियां चल रही हैं। विद्यालय में 15–20 छात्रों की फर्जी हाजिरी लगाकर उनके नाम से सरकारी राशि निकाली जा रही है, जबकि वास्तविक उपस्थिति कम होती है।
एक स्थानीय व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया: “खुद देखिए, जब स्कूल में आधे बच्चे भी नहीं होते, फिर भी पूरा खाना बनता है। क्योंकि फर्जी हाजिरी पहले ही बना दी जाती है।”
इस तरह की अनियमितताएं न केवल सरकार की योजनाओं को पलीता लगा रही हैं, बल्कि बच्चों को उनका वास्तविक हक़ भी नहीं मिल पा रहा।
न्यूज़ देखो: शिक्षा के मंदिर में भ्रष्ट व्यवस्था की दीवारें
शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले विद्यालयों में जब झूठ, दिखावा और भ्रष्टाचार घर कर ले, तो समाज की जड़ें हिलने लगती हैं। उत्क्रमित उच्च विद्यालय मुरु में जो हुआ, वह महज़ एक छोटी सी घटना नहीं, बल्कि गंभीर संस्थागत लापरवाही और नैतिक पतन का संकेत है। वृक्षारोपण के नाम पर धोखा, बच्चों के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ और सरकारी योजनाओं की लूट—यह सब एक ही विद्यालय में।
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यदि समाज को बेहतर बनाना है, तो हर नागरिक को जागरूक और सक्रिय होना होगा। ऐसे मामलों में चुप्पी समाधान नहीं, बल्कि समस्या बन जाती है। यदि आपको भी अपने विद्यालय, पंचायत या सरकारी संस्थान में कोई गड़बड़ी नजर आती है, तो बोलिए, सवाल उठाइए और इस खबर को अपने साथियों के साथ साझा कीजिए।
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