
#हजारीबाग #मेडिकलकॉलेजलापरवाही – गेट बंद, डॉक्टर नदारद – गर्भवती महिला को जाना पड़ा निजी अस्पताल, सांसद ने स्वास्थ्य मंत्री से की शिकायत
- शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज में रातभर गेट खटखटाते रहे परिजन, नहीं मिला कोई जवाब
- सांसद मनीष जायसवाल तय समय पर पहुंचे अस्पताल, सुपरिंटेंडेंट नदारद
- प्रिंसिपल ने मौके पर पहुंचकर ड्यूटी डॉक्टरों को फटकारा, मांगा स्पष्टीकरण
- सांसद ने झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी से की फोन पर लंबी बात
- मनीष जायसवाल बोले – “राज्य सरकार और विभाग पूरी तरह असंवेदनशील”
रातभर गूंजती रही फरियाद, बंद रहा गेट
हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज में बीती रात एक बार फिर लापरवाही की हदें पार हो गईं।
प्रसव पीड़ा से जूझती एक गर्भवती महिला जब देर रात अस्पताल पहुंची तो अस्पताल का गेट बंद मिला।
घंटों परिजन गेट खटखटाते रहे, लेकिन न डॉक्टर दिखे और न कोई गार्ड या स्वास्थ्यकर्मी।
थक-हारकर परिजनों ने महिला को निजी अस्पताल ले जाया, जहां उसने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया।
“यदि समय पर सरकारी अस्पताल में इलाज मिल जाता, तो हमें यह जोखिम नहीं उठाना पड़ता,”
– महिला के परिजन
तय समय पर पहुंचे सांसद, अस्पताल प्रमुख रहे गायब
मामले को गंभीरता से लेते हुए हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल आज सुबह 9 बजे अस्पताल पहुंचे।
उनका पहले से तय था कि वे अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट से मुलाकात करेंगे, लेकिन वह ग़ैरहाज़िर रहे।
इस पर सांसद नाराज़ हो गए और सीधे झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी से फोन पर बात की।
इसके बाद मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल मौके पर पहुंचे, ड्यूटी में रहे डॉक्टरों को बुलाकर फटकार लगाई और
3 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया।
सांसद ने जताई नाराजगी, बर्खास्तगी की मांग
सांसद मनीष जायसवाल ने सख्त लहजे में कहा कि यह पहली घटना नहीं है।
सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था आम होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि—
“स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह असंवेदनशील हो गया है। जिम्मेदार डॉक्टरों और कर्मचारियों को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए।”
कब सुधरेगी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था?
यह मामला राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की बड़ी विफलता को उजागर करता है।
गंभीर स्थिति में भी अगर मरीजों को दरवाज़े पर भटकना पड़े, तो इसका जिम्मेदार कौन?
अब देखना होगा कि इस लापरवाही पर क्या कार्रवाई होती है या फिर यह मामला भी सिर्फ फाइलों में ही दफ्न होकर रह जाएगा।
न्यूज़ देखो : जब ज़रूरत हो, तब ज़िम्मेदारी भी हो
एक गर्भवती महिला को अगर गेट पर खटखटाने के बाद भी चिकित्सा न मिले, तो सवाल उठते हैं व्यवस्था पर।
‘न्यूज़ देखो’ हर उस आवाज़ को उठाएगा, जो सिस्टम की खामियों को चुनौती देती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।