
#सिमडेगा #नगरनिकायचुनाव : ओबीसी वर्ग को आरक्षण नहीं मिलने से नाराजगी, प्रशासन से पुनर्विचार की मांग।
सिमडेगा नगर निकाय चुनाव को लेकर जारी आरक्षण सूची में ओबीसी वर्ग को आरक्षण नहीं मिलने पर विरोध तेज हो गया है। जिला पिछड़ा जाति नगर निकाय संघर्ष समिति ने उपायुक्त कंचन सिंह से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपते हुए आरक्षण सूची पर पुनर्विचार की मांग की। समिति ने ट्रिपल टेस्ट के तहत आबादी के अनुपात में आरक्षण दिए जाने की आवश्यकता बताई। प्रशासन ने मामले पर विभागीय स्तर पर जानकारी लेने का आश्वासन दिया है।
- सिमडेगा नगर परिषद के सभी 20 वार्डों की आरक्षण सूची जारी।
- ओबीसी वर्ग को एक भी वार्ड में आरक्षण नहीं मिलने पर विरोध।
- जिला पिछड़ा जाति नगर निकाय संघर्ष समिति ने सौंपा ज्ञापन।
- ओबीसी आबादी लगभग 40 प्रतिशत, फिर भी शून्य प्रतिनिधित्व।
- उपायुक्त कंचन सिंह ने विभाग से जानकारी लेने का दिया आश्वासन।
सिमडेगा नगर परिषद क्षेत्र में आगामी नगर निकाय चुनाव को लेकर जैसे-जैसे तैयारियां तेज हो रही हैं, वैसे-वैसे आरक्षण को लेकर असंतोष भी सामने आने लगा है। हाल ही में नगर परिषद के सभी 20 वार्डों की आरक्षण सूची जारी की गई, जिसमें ओबीसी यानी पिछड़ा वर्ग को एक भी वार्ड में आरक्षण नहीं दिए जाने से जिले के पिछड़ा समाज में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
इसी मुद्दे को लेकर सिमडेगा जिला पिछड़ा जाति नगर निकाय संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने उपायुक्त कंचन सिंह से उनके गोपनीय कार्यालय में मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और आरक्षण सूची पर पुनर्विचार करने की मांग की।
ओबीसी आरक्षण को लेकर उठे सवाल
ज्ञापन सौंपने के दौरान समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि ओबीसी वर्ग सिमडेगा नगर परिषद क्षेत्र की आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। इसके बावजूद आरक्षण सूची में उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि संवैधानिक भावना के भी खिलाफ है।
समिति का कहना है कि गुमला, लोहरदगा सहित राज्य के कई अन्य जिलों में जहां आरक्षण शून्य घोषित किया गया था, वहां भी नगर परिषद क्षेत्रों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिला है। ऐसे में सिमडेगा को इससे अलग रखना समझ से परे है।
आंकड़ों के आधार पर रखी गई मांग
संघर्ष समिति ने उपायुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में नगर परिषद क्षेत्र की आबादी से जुड़े आंकड़े भी प्रस्तुत किए। समिति के अनुसार—
- नगर परिषद क्षेत्र की कुल आबादी 42,944 है।
- इसमें अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी लगभग 5 प्रतिशत।
- अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी लगभग 46 प्रतिशत।
- पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी करीब 40 प्रतिशत है।
इन आंकड़ों के आधार पर समिति ने बताया कि आरक्षण सूची में 20 वार्डों में से अनुसूचित जाति को 1 सीट और अनुसूचित जनजाति को 9 सीटें दी गई हैं, जबकि लगभग 40 प्रतिशत आबादी वाले ओबीसी वर्ग को एक भी सीट नहीं दी गई। समिति ने इसे सीधे तौर पर सामाजिक असंतुलन और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया।
ट्रिपल टेस्ट का हवाला
पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार ओबीसी आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य है। यदि ट्रिपल टेस्ट पूरा किया गया है, तो आबादी के अनुपात में ओबीसी को आरक्षण मिलना चाहिए। समिति का दावा है कि सिमडेगा में ट्रिपल टेस्ट के बावजूद ओबीसी को आरक्षण से वंचित रखा गया है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
उपायुक्त ने दिया आश्वासन
ज्ञापन प्राप्त करने के बाद उपायुक्त कंचन सिंह ने समिति की बातों को गंभीरता से सुना। उन्होंने कहा—
“फिलहाल सरकार द्वारा जारी सूची के आधार पर ही आरक्षण प्रकाशित किया गया है। फिर भी विभागीय अधिकारियों से इस विषय में बातचीत कर पूरी जानकारी ली जाएगी।”
हालांकि उपायुक्त के इस बयान से समिति पूरी तरह संतुष्ट नजर नहीं आई, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि जिला प्रशासन उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाएगा।
उपस्थित रहे ये प्रमुख लोग
इस दौरान संघर्ष समिति के कई पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे, जिनमें अध्यक्ष रामजी यादव, मुख्य संरक्षक जगदीश साहू, अरविंद प्रसाद, रमेश महतो, इंदु देवी, मुकेश प्रसाद सहित अन्य लोग शामिल थे। सभी ने एक स्वर में ओबीसी आरक्षण की मांग को जायज बताते हुए आंदोलन तेज करने के संकेत दिए।
न्यूज़ देखो: सामाजिक संतुलन का बड़ा सवाल
नगर निकाय चुनाव में आरक्षण केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन और प्रतिनिधित्व का प्रश्न है। सिमडेगा में 40 प्रतिशत आबादी वाले वर्ग को शून्य प्रतिनिधित्व देना प्रशासनिक निर्णयों पर सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मांग पर क्या रुख अपनाते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
लोकतंत्र में हर वर्ग की भागीदारी जरूरी
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