
#बरवाडीह #वन_संरक्षण : पीटीआर के वनकर्मियों को उन्नत घास बीज पहचान और प्रबंधन की दी जानकारी।
- पीटीआर के वनकर्मियों को बेतला कैंटीन परिसर में ग्रासलैंड विकसित करने का प्रशिक्षण मिला।
- ग्रासलैंड एक्सपर्ट आर.के. पांडेय (मध्य प्रदेश) ने आधुनिक घास प्रबंधन और बीज पहचान पर सत्र लिया।
- शुक्रवार को पीटीआर के विभिन्न क्षेत्रों में व्यवहारिक प्रशिक्षण देने की घोषणा की गई।
- प्रशिक्षण का उद्देश्य घास के मैदानों का वैज्ञानिक विकास और वन्यजीवों के आवास सुधार पर केंद्रित रहा।
पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के वनकर्मियों के लिए गुरुवार को बेतला स्थित कैंटीन परिसर में एक विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें ग्रासलैंड (घास के मैदान) विकसित करने की तकनीक सिखाई गई। यह प्रशिक्षण प्राकृतिक आवास संरक्षण और वन्यजीव प्रबंधन को और सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया गया था।
आधुनिक घास प्रबंधन की तकनीकें साझा की गईं
कार्यक्रम में ग्रासलैंड एक्सपर्ट आर.के. पांडेय (मध्य प्रदेश) ने वनकर्मियों को उन्नत किस्म के घास बीज की पहचान, बीज संग्रहण की विधि, और घास के मैदान विकसित करने के चरणों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अच्छी गुणवत्ता वाली घास न केवल मिट्टी की नमी बनाए रखती है बल्कि यह वन्यजीवों के लिए पोषण का प्रमुख स्रोत भी होती है।
ग्रासलैंड एक्सपर्ट आर.के. पांडेय ने कहा: “एक स्वस्थ ग्रासलैंड पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जरूरी है कि हम प्राकृतिक घास की प्रजातियों को पहचानें, संरक्षित करें और वैज्ञानिक तरीके से पुनर्विकसित करें।”
वनकर्मियों ने दिखाया उत्साह
प्रशिक्षण में बेतला के प्रभारी वनपाल संतोष सिंह, वनपाल नंदलाल साहू, वनरक्षी देवपाल भगत, गुलशन सुरीन, धीरज कुमार, अभय कुमार, संजीव शर्मा, राहुल कुमार, सुभाष कुमार, और ओमप्रकाश सहित दोनों डिविजनों के अधिकांश वनपाल और वनरक्षी उपस्थित रहे। सभी ने विशेषज्ञ से बारीक तकनीकी बिंदुओं पर सवाल पूछे और व्यावहारिक उपयोग के लिए नोट्स बनाए।
व्यवहारिक प्रशिक्षण की तैयारी पूरी
प्रशिक्षण सत्र के अंत में एक्सपर्ट आर.के. पांडेय ने घोषणा की कि शुक्रवार को पीटीआर के विभिन्न इलाकों में व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें वनकर्मियों को सीधे मैदान में जाकर बीज संग्रहण, बोआई, और सिंचाई तकनीक का प्रत्यक्ष अनुभव कराया जाएगा।
आर.के. पांडेय ने कहा: “सैद्धांतिक ज्ञान तभी सफल होगा जब उसे जमीन पर उतारा जाए। हमारा लक्ष्य है कि पीटीआर के हर डिविजन में हरियाली और जैव विविधता का संतुलन कायम रहे।”
जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
इस प्रशिक्षण से वन विभाग को उम्मीद है कि पीटीआर के अंदर फैले सूखे या बंजर क्षेत्रों में घास के मैदान विकसित कर वन्यजीवों के लिए भोजन और आश्रय की बेहतर व्यवस्था की जा सकेगी। यह पहल न केवल पारिस्थितिक संतुलन को मजबूत करेगी बल्कि पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देगी।
न्यूज़ देखो: संरक्षण से ही बचेगी हरियाली की धरती
बेतला में आयोजित यह प्रशिक्षण इस बात का प्रतीक है कि झारखंड का वन विभाग अब केवल पेड़ लगाने तक सीमित नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी के हर पहलू को समझकर उसे विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। ग्रासलैंड विकसित होने से वन्यजीवों का जीवन आसान होगा और मानव-वन्यजीव संघर्ष भी घटेगा।
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हरियाली हमारी सांसों की सुरक्षा है। जब वनकर्मी वैज्ञानिक तरीकों से ग्रासलैंड तैयार करते हैं, तो यह धरती को पुनः जीवंत बनाता है। हमें भी अपनी भूमिका निभानी होगी — पेड़ लगाकर, पर्यावरण की रक्षा कर और ऐसी पहलों को समर्थन देकर।
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