#गढ़वा #राजनीति : राजद प्रत्याशी सतेंद्र साव को मिली बड़ी राहत — गढ़वा कोर्ट ने लूट के मामले में दी जमानत
- राजद प्रत्याशी सतेंद्र साव को गढ़वा न्यायालय से मिली जमानत
- 22 अक्टूबर को सासाराम में नामांकन के बाद बिहार पुलिस ने किया था गिरफ्तार
- गढ़वा में दर्ज एक पुराने लूटकांड मामले में थे अभियुक्त
- गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक हलकों में मचा था हड़कंप
- जमानत मिलने के बाद समर्थकों में जश्न का माहौल
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी सतेंद्र साव को गढ़वा न्यायालय से जमानत मिल गई है। 22 अक्टूबर को सतेंद्र साव ने बिहार विधानसभा चुनाव में सासाराम सीट से अपना नामांकन दाखिल किया था, जिसके कुछ ही देर बाद बिहार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। उनकी गिरफ्तारी की वजह गढ़वा जिले में दर्ज एक लूटकांड का पुराना मामला बताया गया था।
गढ़वा के लूटकांड से जुड़ा है मामला
सूत्रों के अनुसार, सतेंद्र साव पर गढ़वा थाना क्षेत्र में पूर्व में दर्ज एक लूटकांड में अभियुक्त बनाए जाने का आरोप था। लंबे समय से इस मामले में उनकी अदालत में पेशी लंबित थी। जैसे ही नामांकन की प्रक्रिया पूरी हुई, पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
इस गिरफ्तारी के बाद राजद खेमे में काफी हलचल और नाराज़गी देखी गई थी। पार्टी नेताओं का कहना था कि यह कार्रवाई राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित लगती है।
कोर्ट से मिली राहत, समर्थकों ने जताई खुशी
शनिवार को गढ़वा न्यायालय में सुनवाई के बाद सतेंद्र साव को जमानत मिल गई, जिससे उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। राजद कार्यकर्ताओं ने इसे “न्याय की जीत” करार दिया और गढ़वा व सासाराम दोनों जगह मिठाइयां बांटकर खुशी जताई।
सतेंद्र साव के करीबी सूत्रों के मुताबिक, वे जल्द ही जनसंपर्क अभियान फिर शुरू करेंगे और जनता से सीधे जुड़ेंगे।
राजद नेता संजय यादव ने कहा: “सतेंद्र साव की गिरफ्तारी राजनीतिक साजिश थी, लेकिन न्यायालय के फैसले ने सच्चाई को सामने ला दिया।”
राजनीतिक हलकों में मची हलचल
राजद प्रत्याशी की गिरफ्तारी और जमानत, दोनों ही घटनाओं ने स्थानीय राजनीति में नया समीकरण खड़ा कर दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकरण ने चुनावी माहौल में सहानुभूति और जनसमर्थन की लहर भी पैदा कर दी है।
अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि सतेंद्र साव अपनी राजनीतिक रणनीति को किस रूप में आगे बढ़ाते हैं।
न्यूज़ देखो: न्याय की जीत या राजनीति की चाल?
“न्यूज़ देखो” मानता है कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायिक पारदर्शिता और प्रशासनिक निष्पक्षता सबसे अहम है। सतेंद्र साव के मामले ने यह दिखाया कि कानून के दायरे में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है।
हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है — क्या यह मामला सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया थी या इसके पीछे राजनीति की परछाई?
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
लोकतंत्र में न्याय और जनसत्ता की मजबूती जरूरी
सतेंद्र साव की जमानत इस बात की याद दिलाती है कि लोकतंत्र में न्याय व्यवस्था ही नागरिकों की असली सुरक्षा कवच है। जनता को चाहिए कि वे अपने नेताओं और प्रशासन से सत्य, पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करें।
अगर आप मानते हैं कि कानून से ऊपर कोई नहीं, तो इस खबर को शेयर करें और अपनी राय कॉमेंट में जरूर बताएं।