
#गढ़वा #प्रशासनिकबैठक – स्टांप वेंडर्स पर एसडीएम की बड़ी कार्रवाई की चेतावनी, दुकानों के दुरुपयोग और स्टांप की कालाबाज़ारी पर फोकस
- गढ़वा एसडीएम संजय कुमार ने स्टांप विक्रेताओं के साथ की विशेष बैठक
- लाइसेंसधारी वेंडर्स द्वारा दुकानें किराए पर देने की शिकायत आई सामने
- मात्र चार ही सक्रिय वेंडर्स, बाकी ने काम छोड़ दिया पर लाइसेंस बरकरार
- 2010 के बाद किसी नए को नहीं मिला स्टांप वेंडिंग का लाइसेंस
- अधिक दाम पर स्टांप बेचने के आरोपों को वेंडर्स ने किया खारिज
- लाइसेंस रद्दीकरण और अर्थदंड की चेतावनी, दुकानें कराई जाएंगी खाली
स्टांप संकट पर अधिवक्ताओं की शिकायत के बाद हुई प्रशासनिक पहल
गढ़वा अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने शुक्रवार को जिला मुख्यालय के स्टांप वेंडर्स के साथ एक विशेष बैठक कर उनके संचालन में आ रही समस्याओं और अनियमितताओं की समीक्षा की। इस बैठक की पृष्ठभूमि में हाल ही में आयोजित “कॉफी विद एसडीएम” कार्यक्रम में अधिवक्ताओं द्वारा स्टांप की कमी और अधिक दाम वसूली की शिकायतें शामिल थीं।
घटती सक्रियता, लेकिन बरकरार लाइसेंस : बड़ा सवाल
बैठक में केवल चार वेंडर्स ही उपस्थित रहे, जबकि जिले में 10 से अधिक लाइसेंस धारक हैं। पूछताछ में स्पष्ट हुआ कि बाकी लोग वर्षों से स्टांप बिक्री का कार्य छोड़ चुके हैं पर उनका लाइसेंस अब भी वैध है। कोषागार पदाधिकारी कार्यालय से एसडीएम ने स्वयं फोन पर पुष्टि की कि वर्तमान में केवल विजय कुमार, चुन्नू केसरी, प्रदीप कुमार केसरी, ओमप्रकाश कुशवाहा और हरिशंकर चौबे ही सक्रिय हैं।
पुराने लाइसेंस पर टिका है पूरा सिस्टम
बैठक में यह जानकारी भी सामने आई कि वर्ष 2010 के बाद किसी को स्टांप विक्रय का लाइसेंस नहीं मिला है। वर्तमान में काम कर रहे वेंडर्स दशकों पुराने अनुज्ञप्तिधारी हैं। विजय कुमार उर्फ चुन्नू केसरी 1979 से, जबकि ओमप्रकाश कुशवाहा 1994 से लाइसेंस प्राप्त हैं। वहीं, हरिशंकर चौबे स्वयं लाइसेंसधारी नहीं हैं, बल्कि अपने पिता मनोज चौबे के नाम से स्टांप बेचते हैं। इस पर एसडीएम ने उन्हें स्पष्ट निर्देश दिया कि स्वयं के नाम से लाइसेंस प्राप्त करें।
फ्री की दुकानें बनी कमाई का जरिया, होगी कार्रवाई
बैठक में यह चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया कि कुछ स्टांप वेंडर्स ने सरकार से मिली दुकानों को किराए पर चढ़ा रखा है, जबकि उनका उपयोग स्टांप बिक्री हेतु किया जाना था। एसडीएम संजय कुमार ने स्पष्ट चेतावनी दी कि ऐसे लोगों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे, दुकानें खाली कराई जाएंगी और अर्थदंड लगाया जाएगा।
वेंडर्स बोले – नहीं वसूलते अतिरिक्त राशि
जब स्टांप विक्रेताओं पर मुद्रांक से अधिक राशि वसूलने के आरोपों की बात आई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से इसे निराधार बताया।
“हम कोई अतिरिक्त पैसे नहीं लेते। यदि किसी ने ऐसा दावा किया है तो वह गलत है,”
ऐसा कहना था सभी वेंडर्स का। उन्होंने एसडीएम का आभार जताया कि पहली बार इस तरह की सीधी संवादात्मक बैठक हुई।

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