
#गिरिडीह #रोजगार_बहाली : चंदनाडीह सबस्टेशन से हटाए गए चार विस्थापितों को वार्ता के बाद फिर मिली सेवा में वापसी
- चंदनाडीह सबस्टेशन में कार्यरत चार विस्थापित कर्मचारियों को हटाया गया था।
- शिकायत मिलते ही पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक बेबी देवी मौके पर पहुंचीं।
- झामुमो के डुमरी प्रखंड पदाधिकारियों ने भी सबस्टेशन में अधिकारियों से बातचीत की।
- भूमिदाता परिवारों को हटाए जाने पर बेबी देवी ने कड़ा आपत्ति जताया।
- वार्ता के बाद चारों विस्थापित कर्मचारियों की 19 नवंबर 2025 से पुनर्बहाली की स्वीकृति मिली।
गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड स्थित 33/11 केवी विद्युत शक्ति केंद्र, चंदनाडीह में कार्यरत चार विस्थापित कर्मचारियों को अचानक सेवा से हटा दिए जाने के बाद स्थानीय स्तर पर असंतोष बढ़ गया था। बताया गया कि ये सभी कर्मचारी वही लोग हैं जिनके परिवारों ने सबस्टेशन के निर्माण के लिए अपनी जमीन दानस्वरूप दी थी। शिकायत मिलने पर स्थानीय नेताओं सहित झामुमो के डुमरी प्रखंड पदाधिकारियों ने इस फैसले को अन्यायपूर्ण बताया। मामले की गंभीरता को देखते हुए माननीय पूर्व मंत्री सह पूर्व विधायक बेबी देवी स्वयं चंदनाडीह सबस्टेशन पहुंचीं और वरिष्ठ अधिकारियों से विस्तृत बातचीत की। वार्ता के बाद विभाग ने निर्णय बदलते हुए चारों विस्थापितों को पुनः कार्य पर बहाल करने की स्वीकृति दे दी।
चार विस्थापित कर्मचारियों को हटाने पर शुरू हुआ विरोध
चंदनाडीह सबस्टेशन में कार्यरत चार कर्मचारियों को हटाने के बाद स्थानीय ग्रामीणों और निर्दिष्ट भूमिदाताओं में नाराजगी फैल गई थी। ग्रामीणों का कहना था कि जिन परिवारों ने अपनी जमीन देकर इस सबस्टेशन को खड़ा किया, उन्हीं के सदस्यों को नौकरी से हटाना न्याय के विपरीत है। शिकायत जल्द ही झामुमो पदाधिकारियों तक पहुंची और मामला प्रशासनिक स्तर तक उठाया गया।
बेबी देवी की एंट्री: मौके पर पहुंचकर अधिकारियों से की सीधी बात
स्थिति को समझने के लिए पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक बेबी देवी तत्काल चंदनाडीह सबस्टेशन पहुंचीं। वहां उन्होंने झामुमो (डुमरी प्रखंड) के पदाधिकारियों के साथ विद्युत विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से वार्ता की।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भूमि दान करने वाले विस्थापितों को हटाना किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है।
बेबी देवी ने कहा: “जो भूमिदाता अपनी जमीन देकर विकास का रास्ता खोलते हैं, उन्हें ही सेवा से हटाना न सिर्फ अनुचित है बल्कि सामाजिक रूप से भी गलत है।”
इस वार्ता के दौरान उन्होंने अधिकारियों को बताया कि भूमि दानकर्ताओं का सम्मान व अधिकार सुरक्षित रखना सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी है।
वार्ता के बाद हुआ समाधान—चारों कर्मचारियों की बहाली
काफी देर चली बातचीत के बाद विद्युत विभाग ने निर्णय पर पुनर्विचार किया और सभी चार विस्थापित कर्मचारियों को 19 नवंबर 2025 से पुनः कार्य पर बहाल करने की स्वीकृति प्रदान कर दी। यह फैसला सुनते ही विस्थापित परिवारों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। उन्होंने बेबी देवी और झामुमो पदाधिकारियों को धन्यवाद दिया।
भूमिदाताओं की पीड़ा और न्याय की मांग
ग्रामीणों का कहना था कि यदि भूमिदाताओं और विस्थापितों के साथ ऐसी ही कार्रवाई की जाती रही तो न तो आगे कोई जमीन देगा और न ही विकास योजनाएं सुचारू रूप से चल पाएंगी। सबस्टेशन के निर्माण के लिए कई परिवारों ने अपनी जमीन दान में दी थी ताकि क्षेत्र में बिजली व्यवस्था मजबूत हो सके। ऐसे में उन्हीं लोगों का रोजगार छीना जाना अत्यंत पीड़ादायक था।
सबस्टेशन में प्रशासनिक संवाद ने बदला माहौल
वार्ता के दौरान प्रखंड स्तरीय राजनीतिक प्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों के बीच माहौल गंभीर लेकिन संवादात्मक रहा। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि विस्थापित कर्मचारियों को नौकरी से हटाना जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था। उन्होंने आश्वस्त किया कि आगे ऐसे मामलों की समीक्षा सावधानीपूर्वक होगी।



न्यूज़ देखो: जनसंवेदनशील नेतृत्व और संवाद से मिला समाधान
यह घटना बताती है कि जब जनप्रतिनिधि समस्याओं को गंभीरता से सुनते हुए मौके पर पहुंचते हैं, तो प्रशासन भी जवाबदेह बनता है। विस्थापितों के पुनर्बहाली का यह फैसला सामाजिक न्याय और जनभावनाओं का सम्मान करने की सही दिशा में उठाया गया कदम है। ऐसे मामलों में पारदर्शिता और संवाद जरूरी है ताकि विकास और अधिकार दोनों साथ चल सकें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
न्याय की जीत—आवाज उठाएं, समाधान पाएं
चंदनाडीह के विस्थापितों की बहाली साबित करती है कि संगठित होकर आवाज उठाना हमेशा परिणाम देता है। जब समुदाय एकजुट होकर अपनी बात रखता है, तो सिस्टम भी सुनने पर मजबूर होता है।
आप भी अपने क्षेत्र की समस्याओं पर खुलकर बोलें, सवाल उठाएं और बदलाव का हिस्सा बनें।
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