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गुमला में सड़क सुरक्षा अभियान का असर, कॉलेज में छूटी बाइकें और छात्रों की पैदल वापसी से दिखा बड़ा बदलाव

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#गुमला #सड़कसुरक्षा : झारखंड सरकार के अभियान के तहत डीटीओ की सघन जांच, दो दिन में 1.34 लाख की वसूली – बस डिपो से लेकर कॉलेज तक दिखी सख्ती
  • झारखंड सरकार के आदेशानुसार पूरे राज्य में ‘रफ्तार घटाओ, सुरक्षा बढ़ाओ’ कार्यक्रम के तहत गुमला में विशेष अभियान चला।
  • डीटीओ ज्ञान शंकर जायसवाल के नेतृत्व में पॉलीटेक्निक कॉलेज और बस डिपो पर की गई सघन जांच।
  • दो दिनों में 1.34 लाख रुपये की दंड राशि वसूली गई।
  • पॉलीटेक्निक कॉलेज गेट पर छात्रों ने जुर्माने के डर से बाइकें छोड़ पैदल घर लौटना उचित समझा।
  • बस संचालकों पर भी कार्रवाई, परमिट निलंबन तक की चेतावनी दी गई।
  • गुड सेमेरिटन योजना’ के तहत नेक कार्य करने वालों को 2000 रुपये पुरस्कार की घोषणा।

गुमला जिले में शनिवार को सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों को लेकर हुआ प्रशासनिक अभियान जिले में चर्चा का विषय बन गया। झारखंड सरकार के परिवहन विभाग के निर्देश पर चलाए जा रहे “रफ्तार घटाओ, सुरक्षा बढ़ाओ” कार्यक्रम के तहत गुमला में सड़क सुरक्षा एवं यातायात नियमों पर विशेष जागरूकता अभियान आयोजित किया गया। डीटीओ ज्ञान शंकर जायसवाल के नेतृत्व में पॉलीटेक्निक कॉलेज परिसर और बस डिपो में एक साथ कार्रवाई की गई, जिससे शहर में दिनभर हलचल बनी रही।

कॉलेज में छात्रों पर दिखा जांच का सीधा असर

शनिवार को गुमला पॉलीटेक्निक कॉलेज के ब्लैक स्पॉट पर जिला परिवहन पदाधिकारी ज्ञान शंकर जायसवाल के निर्देश में विशेष जांच अभियान चलाया गया। इस दौरान मोटर यान निरीक्षक रॉबिन अजय सिंह और प्रदीप कुमार तिर्की के नेतृत्व में जांच दल ने सघन कार्रवाई की। हेलमेट न पहनने, ट्रिपल राइडिंग और आवश्यक कागजात न होने पर 90 से अधिक चालकों का चालान काटा गया और 82,000 रुपये की दंड राशि वसूली गई।

डीटीओ ज्ञान शंकर जायसवाल ने कहा: “सड़क सुरक्षा अभियान का उद्देश्य केवल चालान नहीं, बल्कि नागरिकों को जागरूक करना है ताकि हादसों में कमी लाई जा सके।”

ज्ञात हो कि शुक्रवार को के.ओ. कॉलेज के पास भी 52,000 रुपये वसूले गए थे। इस प्रकार दो दिनों में कुल 1.34 लाख रुपये का जुर्माना जमा हुआ, जो प्रशासनिक सख्ती का साफ संकेत देता है।

बाइकें छूटी कॉलेज में, छात्र लौटे पैदल

जांच दल की सख्ती देखकर छात्रों में हड़कंप मच गया। कई विद्यार्थियों ने अपनी मोटरसाइकिल कॉलेज परिसर में ही खड़ी कर दी और पैदल घर लौटने का निर्णय लिया। वहीं कॉलेज गेट पर अभिभावकों की हलचल बढ़ गई, जब कई माता-पिता अपने बच्चों तक हेलमेट पहुँचाने के लिए भागते हुए नजर आए ताकि वे जुर्माने से बच सकें।

यह दृश्य इस बात का प्रतीक था कि नियमों के प्रति भय तो है, पर सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता अभी भी कम है।

बस डिपो पर भी प्रशासन की सख्ती

यातायात नियमों के उल्लंघन पर केवल छात्रों पर ही नहीं, बल्कि बस संचालकों पर भी कार्रवाई की गई। जिला परिवहन पदाधिकारी डीटीओ जायसवाल ने ललित उरांव बस डिपो और दूनदूरिया बस डिपो में आकस्मिक जांच की। बस एसोसिएशन के उदासीन रवैये की जानकारी मिलने पर उन्होंने बस संचालकों को स्पष्ट चेतावनी दी कि आदेश की अवहेलना पर परमिट निलंबन या अधिकतम जुर्माना लगाया जाएगा।

यह चेतावनी सुनते ही कई बस संचालक अपनी बसें लेकर डिपो से भागते नजर आए।

सड़क सुरक्षा बनाम जुर्माने से बचाव की मानसिकता

गुमला में चलाए जा रहे इस विशेष अभियान ने एक बार फिर लोगों की उस सोच को उजागर कर दिया है जिसमें सुरक्षा से ज्यादा ध्यान जुर्माने से बचने पर दिया जाता है। प्रशासन का सवाल यही है कि अगर लोग इसी तरह की सतर्कता अपनी जान की सुरक्षा को लेकर दिखाएं, तो दुर्घटनाओं में भारी कमी आ सकती है।

मोटर यान निरीक्षक रॉबिन अजय सिंह ने कहा: “हमारा उद्देश्य दंड देना नहीं, बल्कि लोगों को चेतना के माध्यम से सुरक्षित बनाना है।”

अभियान का मूल उद्देश्य केवल चालान काटना नहीं, बल्कि जनता में सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी का भाव जगाना है।

नेक व्यक्ति योजना से बढ़ेगा जनसहयोग

इस अवसर पर प्रशासन ने ‘गुड सेमेरिटन योजना’ की जानकारी भी साझा की। इस योजना के तहत जो भी व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को ‘गोल्डन आवर’ यानी पहले एक घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाता है, उसे 2000 रुपये नकद पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। इसके साथ ही हिट एंड रन मामलों में मृत्यु पर 2 लाख रुपये और गंभीर चोट पर 50,000 रुपये के मुआवजे की व्यवस्था है।

अभियान में सड़क सुरक्षा प्रबंधक कुमार प्रभास, सूचना प्रौद्योगिकी अधिकारी मंटू रवानी, प्रणय कांशी और पुलिस बल के जवान भी सक्रिय रूप से शामिल रहे।

न्यूज़ देखो: सड़क पर सुरक्षा की जिम्मेदारी हर नागरिक की

गुमला में चला यह विशेष अभियान केवल दंडात्मक कार्रवाई नहीं बल्कि नागरिक चेतना की परीक्षा भी है। प्रशासन की यह सख्ती इस ओर इशारा करती है कि नियमों का पालन भय से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी से होना चाहिए। सड़क सुरक्षा का संदेश तभी सार्थक होगा जब नागरिक स्वयं इसकी पहल करें।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब वक्त है सजग नागरिक बनने का

सड़क सुरक्षा किसी एक विभाग का काम नहीं, यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। गुमला में हुए इस अभियान ने यह साबित किया कि अनुशासन के बिना सुरक्षा संभव नहीं।
अब समय है कि हम सब अपने जीवन और दूसरों की सुरक्षा के प्रति सजग हों। हेलमेट पहनें, नियमों का पालन करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
अपनी राय कमेंट करें, खबर को शेयर करें और सड़क सुरक्षा के इस संदेश को हर गली-मोहल्ले तक पहुँचाएं।
सुरक्षा आपकी, जिम्मेदारी भी आपकी।

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