
#सरिया #राजदह_धाम : बराकर नदी, जंगल और मंदिरों के बीच उभरता धार्मिक व पारिवारिक पर्यटन केंद्र।
गिरिडीह जिले के सरिया प्रखंड में स्थित राजदह धाम अब केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक प्रमुख पिकनिक और पर्यटन केंद्र के रूप में पहचान बना रहा है। उत्तरवाहिनी बराकर नदी, घने जंगल, विशाल चट्टानें और प्राचीन मंदिर इस स्थल को खास बनाते हैं। हर साल दिसंबर और जनवरी में यहां हजारों श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं। आस्था, प्रकृति और मनोरंजन का यह संगम क्षेत्रीय पर्यटन को नई दिशा दे रहा है।
- राजदह धाम सरिया प्रखंड के सबलपुर पंचायत में स्थित।
- उत्तरवाहिनी बराकर नदी और विशाल चट्टानें प्रमुख आकर्षण।
- दिसंबर–जनवरी में हजारों पर्यटक और पिकनिक दल की भीड़।
- शिव, सूर्य और हनुमान मंदिरों का धार्मिक महत्व।
- लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से विकसित नेचर पार्क।
- सुरक्षा व व्यवस्था के लिए धाम समिति सक्रिय, स्थायी पुलिस की मांग।
गिरिडीह जिले का सरिया प्रखंड इन दिनों अपने प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों के कारण तेजी से पर्यटन मानचित्र पर उभर रहा है। इन्हीं में सबसे प्रमुख नाम राजदह धाम का है, जो अब गिरिडीह का धार्मिक पिकनिक हब बनता जा रहा है। यहां प्रकृति की गोद में बसे मंदिर, बहती उत्तरवाहिनी बराकर नदी और चारों ओर फैली हरियाली लोगों को मानसिक शांति के साथ पारिवारिक आनंद का अवसर प्रदान करती है।
स्थान और भौगोलिक विशेषताएँ
राजदह धाम गिरिडीह जिले के सरिया प्रखंड अंतर्गत सबलपुर पंचायत में स्थित है। यह स्थल सरिया बाजार से लगभग 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि प्रसिद्ध जनकपुरी धाम से इसकी दूरी करीब 1.5 से 2 किलोमीटर है। उत्तरवाहिनी दिशा में बहती बराकर नदी यहां की सबसे बड़ी पहचान है, जिसके दोनों किनारों पर विशाल प्राकृतिक चट्टानें और घना जंगल मौजूद है।
यह भौगोलिक संरचना राजदह धाम को न सिर्फ धार्मिक, बल्कि प्राकृतिक पर्यटन स्थल के रूप में भी विशिष्ट बनाती है।
पहुँच की आसान व्यवस्था
राजदह धाम तक पहुंचना काफी सुगम है। सरिया बाजार या हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग द्वारा ऑटो, बाइक और कार आसानी से उपलब्ध हो जाती है। स्टेशन से छोटी गाड़ियां नियमित रूप से चलती हैं, जिससे बाहरी पर्यटकों को भी किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती।
पिकनिक सीजन को देखते हुए यहां पार्किंग की सुविधा भी विकसित की गई है, हालांकि भीड़ के समय पहले से पार्किंग व्यवस्था कर लेना अधिक सुरक्षित माना जाता है।
धार्मिक महत्व और आस्था का केंद्र
राजदह धाम का धार्मिक महत्व वर्षों पुराना है। यहां भगवान शिव, सूर्य देव और हनुमान जी के मंदिर स्थित हैं। श्रद्धालु यहां नदी स्नान के बाद पूजा-अर्चना और श्राद्ध कर्म भी करते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार यह क्षेत्र संतों की तपोभूमि रहा है, जहां कभी साधु-संतों ने साधना की थी।
नदी के किनारे पूजा-पाठ और शांत वातावरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, जिसके कारण दूर-दराज से लोग यहां पहुंचते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन आकर्षण
राजदह धाम का प्राकृतिक सौंदर्य इसे खास बनाता है। यहां बहती नदी, चट्टानों पर गिरती धूप, और जंगल से आती पक्षियों की आवाजें पर्यटकों को प्रकृति से जोड़ देती हैं। कई बार यहां मोर, खरगोश जैसे वन्यजीव भी दिखाई दे जाते हैं।
चट्टानों पर खड़े होकर फोटो खिंचवाना, जंगल के बीच टहलना और नदी किनारे समय बिताना युवाओं और परिवारों के लिए खास आकर्षण है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां कई बार फिल्म और डॉक्यूमेंट्री शूटिंग भी की जा चुकी है।
नेचर पार्क से बदली तस्वीर
राजदह धाम के विकास में लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत से बने नेचर पार्क ने इसकी पहचान को और मजबूत किया है। इस पार्क में बच्चों के लिए झूले, आकर्षक डायनासोर प्रतिमाएं, छोटा तालाब, रंग-बिरंगे फूलों के बगीचे और बैठने के लिए चबूतरे बनाए गए हैं।
इसके साथ ही सोलर लाइट, शौचालय और साफ-सफाई की व्यवस्था ने पर्यटकों की सुविधा को बढ़ाया है। यह विकास कार्य इसे एक आदर्श पारिवारिक पिकनिक स्थल के रूप में स्थापित करता है।
पिकनिक सीजन में उमड़ती भीड़
हर साल दिसंबर और जनवरी के महीने में राजदह धाम में पिकनिक सीजन अपने चरम पर होता है। गिरिडीह, बोकारो, धनबाद और हजारीबाग जैसे जिलों से हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। खासकर सप्ताहांत और छुट्टियों में यहां मेले जैसा माहौल देखने को मिलता है।
परिवार, छात्र-छात्राएं और पर्यटक सुबह से शाम तक यहां समय बिताते हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को भी रोजगार मिलता है।
सुरक्षा और सावधानियाँ
धाम समिति द्वारा यहां निजी सुरक्षा व्यवस्था की गई है, हालांकि स्थानीय लोग स्थायी पुलिस व्यवस्था की मांग लगातार कर रहे हैं। नदी में स्नान करते समय पर्यटकों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि नदी की धारा कई स्थानों पर तेज हो सकती है।
पर्यटकों से अपील की जाती है कि वे प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाए रखें और प्राकृतिक सौंदर्य को नुकसान न पहुंचाएं।





न्यूज़ देखो: पर्यटन और आस्था का संतुलन
राजदह धाम यह दर्शाता है कि सही विकास और स्थानीय सहभागिता से धार्मिक स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। यहां सुविधाओं का विस्तार हुआ है, लेकिन सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को और मजबूत करने की आवश्यकता है। यह कहानी बताती है कि ग्रामीण पर्यटन क्षेत्रीय विकास का मजबूत आधार बन सकता है। अब देखना होगा कि प्रशासन स्थायी सुरक्षा और बेहतर प्रबंधन को लेकर क्या कदम उठाता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रकृति और आस्था की रक्षा हम सबकी जिम्मेदारी
राजदह धाम जैसे स्थल केवल घूमने की जगह नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत हैं। यदि हम इन्हें स्वच्छ, सुरक्षित और संरक्षित रखें, तो आने वाली पीढ़ियां भी इस सौंदर्य का आनंद ले सकेंगी। पिकनिक मनाएं, लेकिन जिम्मेदारी के साथ। अपनी राय साझा करें, इस जानकारी को दूसरों तक पहुंचाएं और स्थानीय पर्यटन को सकारात्मक दिशा देने में भागीदार बनें।





