
#गढ़वा #मानवीय_पहल : एसडीएम ने रविवार की छुट्टी का सदुपयोग कर दुलदुलवा गांव की दो गरीब बच्चियों से मुलाकात कर शिक्षा के लिए बढ़ाया हौसला
- मेराल प्रखंड के एसडीएम संजय कुमार रविवार की छुट्टी में दुलदुलवा गांव पहुँचे।
- गरीब बच्चियों पूजा और गुंजा से घर जाकर हालचाल लिया प्रेरित किया।
- पढ़ाई, स्वास्थ्य और भविष्य को लेकर दिए महत्वपूर्ण सुझाव।
- दीपावली के दौरान भी एसडीएम ने परिवार से मिलकर दिखाई संवेदनशीलता।
- प्रशासनिक सेवा को मानवीय संवेदनाओं से जोड़ने का मजबूत उदाहरण।
रविवार, जिसे सामान्यतः प्रशासनिक अधिकारी व्यक्तिगत समय के रूप में बिताते हैं, उसी दिन गढ़वा के एसडीएम संजय कुमार ने अपने अवकाश को सामाजिक जिम्मेदारी और प्रेरणा की मिसाल में बदल दिया। वे दुलदुलवा गांव की दो गरीब बच्चियों—पूजा और गुंजा—के घर पहुँचे और उनसे उनकी पढ़ाई, जीवन और सपनों के बारे में बातचीत की। उनके इस कदम ने न सिर्फ बच्चियों के मन में उत्साह भरा, बल्कि समाज के सामने मानवीय प्रशासनिक कार्यशैली का एक नया उदाहरण भी प्रस्तुत किया।
रविवार को घर जाकर बच्चियों का हालचाल
एसडीएम संजय कुमार ने पूजा और गुंजा से मिलकर उन्हें पढ़ाई के प्रति जागरूक किया और बताया कि अवसरों की तलाश करने के लिए मेहनत और समर्पण ही सबसे बड़े साधन हैं। इस मुलाकात का संदेश स्पष्ट था—सच्चा प्रशासन उन फाइलों से आगे जाता है, जहाँ सरकारी कामकाज लिखा होता है और सीधे उन घरों तक पहुँचता है जहाँ उम्मीद की रोशनी कमज़ोर पड़ने लगती है।
प्रशासन और समाज के बीच भरोसे का पुल
जब अधिकारी किसी गरीब परिवार के घर पहुँचते हैं, तो यह केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं होती बल्कि विश्वास का गहरा रिश्ता बनाती है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी पहल से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है। अधिकारी की मौजूदगी उन्हें यह महसूस कराती है कि वे इस समाज में अकेले नहीं हैं और प्रशासन पूरी संवेदना के साथ उनके भविष्य के लिए खड़ा है।
पर्व-त्योहारों पर भी दिखा समर्पण
सूत्रों के अनुसार यह पहली बार नहीं है जब एसडीएम संजय कुमार ने इन परिवारों के प्रति अपनी संवेदनशीलता दिखाई हो। दीपावली के शुभ अवसर पर भी वे इन गरीब परिवारों से मिले थे और उनकी जरूरतों का हाल जाना था। त्योहार की व्यस्तता में भी गरीबों के बीच जाकर उनके साथ समय बिताना उनके सामाजिक मूल्यों और मानवीय दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
शिक्षा संवेदना और बदलाव की प्रेरणा
एसडीएम संजय कुमार की यह पहल समाज में शिक्षा और संवेदना के महत्व को नए सिरे से स्थापित करती है। उनके इस कदम ने यह सिद्ध किया कि प्रशासनिक पद केवल अधिकार का प्रतीक नहीं, बल्कि बदलाव और संवेदना के वाहक भी हैं। पूजा और गुंजा जैसी बच्चियों के लिए यह प्रेरणादायक क्षण था जिसने उनके सपनों में नई ऊर्जा और विश्वास भर दिया।
न्यूज़ देखो: प्रशासनिक सेवा का नया संवेदनशील मॉडल
एसडीएम संजय कुमार की पहल यह दिखाती है कि जब प्रशासनिक अधिकारी संवेदनशीलता और सामाजिक जागरूकता के साथ काम करते हैं, तो उसका असर सीधे समाज की जड़ों तक पहुँचता है। इस प्रकार की मानवीय पहलें गरीब परिवारों के लिए उम्मीद का नया आधार बनती हैं। प्रशासन के इस मानवीय चेहरे को आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि हर जरूरतमंद तक संवेदना और सहायता पहुंच सके।
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संवेदना ही सच्ची सेवा है आगे बढ़ें बदलाव का हिस्सा बनें
एक अधिकारी की पहल जब दो बच्चियों के जीवन में उम्मीद की किरण बन सकती है, तो हम सभी मिलकर समाज में और भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं। शिक्षा, सहयोग और संवेदना—तीनों मिलकर ही एक मजबूत समाज का निर्माण करते हैं।
आप भी अपने आसपास जरूरतमंद बच्चों तक पहुँचने का संकल्प लें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को दूसरों तक पहुंचाएं और जागरूकता की इस श्रृंखला को आगे बढ़ाने में साझेदार बनें।





