
#गिरिडीह #हाथीहमला : गादी गांव में अहले सुबह जंगली हाथियों ने बोधि पंडित और शांति देवी की जान ली जबकि दिनेश सिंह की पत्नी गंभीर रूप से घायल हुईं
• गादी गांव में जंगली हाथियों का हमला।
• बोधि पंडित और शांति देवी की मौत।
• दिनेश सिंह की पत्नी गंभीर रूप से घायल।
• बगोदर विधायक नागेंद्र महतो मौके पर पहुंचे।
• वन विभाग द्वारा 30-30 हजार की त्वरित राहत दी गई।
सोमवार की अहले सुबह गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड के गादी गांव में जंगली हाथियों का तांडव देखने को मिला, जिसने पूरे गांव को दहशत में डाल दिया। हमले में बोधि पंडित और शांति देवी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दिनेश सिंह की पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गईं। घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। इसके तुरंत बाद बगोदर विधायक नागेंद्र महतो घटनास्थल पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लेते हुए पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी। वन विभाग ने प्राथमिक राहत के तौर पर मृतक परिवारों को 30-30 हजार रुपये उपलब्ध कराए, जबकि प्रक्रिया पूरी होने पर शेष 3 लाख 70 हजार रुपये देने की बात कही गई।
अहले सुबह हाथियों का अचानक हमला
गादी गांव में ग्रामीणों का दिन अभी शुरू भी नहीं हुआ था कि अचानक जंगली हाथियों का झुंड गांव में घुस आया। ग्रामीण कुछ समझ पाते उससे पहले ही हाथियों ने हमला बोल दिया। इस हमले में 55 वर्षीय बोधि पंडित और 65 वर्षीय शांति देवी की मौके पर ही मौत हो गई। ग्रामीणों के अनुसार हमला इतना तेज था कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला और दोनों की घटनास्थल पर ही जान चली गई। घटना के बाद से गांव में मातम पसरा है और लोग हाथियों के बढ़ते आतंक से चिंतित हैं।
दिनेश सिंह की पत्नी गंभीर रूप से घायल
हमले में पेशम निवासी दिनेश सिंह की पत्नी भी गंभीर रूप से घायल हो गईं। परिजनों ने आनन-फानन में उन्हें गिरिडीह सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टर उनकी स्थिति पर लगातार निगरानी रख रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि हमले के दौरान किसी को भागने का मौका भी नहीं मिला, जिससे नुकसान और गंभीर हो गया।
विधायक नागेंद्र महतो ने परिवारों से की मुलाकात
घटना की सूचना मिलते ही बगोदर विधायक नागेंद्र महतो गादी गांव पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की और उन्हें हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया।
विधायक द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से बात कर जल्द से जल्द मुआवजा प्रक्रिया पूरी करने का अनुरोध किया गया।
वन विभाग की त्वरित राहत और आगे की प्रक्रिया
विधायक के निर्देश के बाद वन विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों मृतक परिजनों को 30-30 हजार रुपये की तत्कालिक सहायता प्रदान की। विभागीय मानकों के अनुसार शेष 3 लाख 70 हजार रुपये प्रत्येक परिवार को जल्द देने की बात कही गई है।
ग्रामीणों ने हाथियों के लगातार बढ़ते आतंक को लेकर सुरक्षा और समाधान की मांग की, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
गांव में दहशत और वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती समस्या
गादी गांव के लोगों ने बताया कि हाथियों की आवाजाही पिछले कुछ महीनों से बढ़ी है, जिससे रात में ग्रामीण दहशत में रहते हैं। कई बार वन विभाग को सूचना दी गई, लेकिन समस्या अब तक जस की तस बनी हुई है। लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीणों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है।
प्रशासन और वन विभाग के लिए चुनौती
यह घटना न केवल एक दुखद हादसा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जंगल से सटे गांव किस प्रकार निरंतर खतरे का सामना कर रहे हैं। वन विभाग के लिए चुनौती है कि हाथियों की गतिविधियों पर नियंत्रण करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। वहीं प्रशासन को भी लगातार निगरानी और समन्वय बढ़ाने की जरूरत है, ताकि गांव और वन क्षेत्र के बीच संतुलन कायम रह सके।

न्यूज़ देखो: हाथी-मानव संघर्ष पर स्थायी समाधान की जरूरत
गादी गांव की यह घटना बताती है कि जंगलों से सटे क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता है। वन विभाग की त्वरित सहायता प्रशंसनीय है, लेकिन केवल राहत राशि पर्याप्त नहीं। दीर्घकालिक समाधान, निगरानी व्यवस्था और ग्रामीणों को सुरक्षा प्रशिक्षण देना अब अनिवार्य हो चुका है। प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
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ग्रामीणों की सुरक्षा हमारे हाथों में
गादी गांव की यह दर्दनाक घटना हमें याद दिलाती है कि प्रकृति और मानव के बीच संतुलन बनाए रखना कितना आवश्यक है। अब समय है कि हम प्रशासनिक प्रयासों का समर्थन करते हुए स्वयं भी सतर्क रहें और गांवों में सुरक्षा की आवाज उठाएं। आप अपने क्षेत्र की ऐसी समस्याओं पर चर्चा करें, स्थानीय प्रशासन का ध्यान आकर्षित करें और जागरूकता को साझा करें।
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