
#बानो #स्वास्थ्य_शिविर : सोड़ा गांव में आयोजित वयोवृद्ध आयुष चिकित्सा शिविर में ग्रामीणों की बड़ी सहभागिता।
- सोड़ा गांव में प्रखंड स्तरीय वयोवृद्ध आयुष चिकित्सा शिविर का आयोजन।
- 110 मरीजों की जांच कर आयुर्वेद, आयुष व होम्योपैथी पद्धति से उपचार।
- शिविर में घुटना दर्द, कमर दर्द, सायटिका, गठिया एवं पेट संबंधी रोगों की जांच की गई।
- सभी मरीजों को निःशुल्क दवा वितरण कर स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाई गई।
- शिविर संचालन में योग शिक्षकों और सहिया दीदियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बानो प्रखंड के सोड़ा गांव में शुक्रवार को प्रखंड स्तरीय वयोवृद्ध स्वास्थ्य शिविर का सफल आयोजन किया गया। यह शिविर आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुभद्रा कुमारी के निर्देशन में आयोजित हुआ, जिसमें आयुष, होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक पद्धतियों के संयोजन के साथ मरीजों का उपचार किया गया। डॉ. जावेद आलम के नेतृत्व में कुल 110 मरीजों की जांच की गई और सभी को निःशुल्क दवाएं प्रदान की गईं। इस शिविर में प्रमुख रूप से घुटनों का दर्द, कमर दर्द, सायटिका, गठिया, गैस, पेट दर्द और अन्य सामान्य रोगों की पहचान और इलाज किया गया।
ग्रामीणों में आयुष पद्धति को लेकर बढ़ी जागरूकता
शिविर के दौरान आयुष चिकित्सा प्रणाली की उपयोगिता और प्रभाव पर ग्रामीणों को विस्तृत जानकारी दी गई। आयुर्वेद व होम्योपैथिक उपचार के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ कैसे मिल सकता है, इस पर लोगों को जागरूक किया गया। शिविर ने ग्रामीणों में पारंपरिक उपचार पद्धति के प्रति विश्वास बढ़ाने का सकारात्मक संदेश दिया है।
योग शिक्षकों और सहिया दीदियों की अहम भूमिका
शिविर का संचालन सुचारू रूप से कराने में योग शिक्षक और सहिया दीदियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी सहभागिता से न सिर्फ मरीजों का पंजीकरण और जांच कार्य तेज हुआ बल्कि लोगों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी मिलती रही।
मौके पर योग शिक्षक गिरिधारी सिंह और सुवंती कंडुलना, सहिया सावित्री देवी, पार्वती नाग, वसन्ती देवी सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे और कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग किया।

न्यूज़ देखो: ग्रामीण स्वास्थ्य में आयुष पद्धति की बढ़ती भूमिका
ऐसे शिविर न सिर्फ उपचार उपलब्ध कराते हैं, बल्कि ग्रामीणों को स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों के प्रति जागरूक भी करते हैं। आयुष आधारित स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने में अहम साबित हो सकता है।
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स्वस्थ ग्राम, सशक्त समाज
आयुष पद्धति से उपचार अपनाकर ग्रामीण न केवल बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी बन सकते हैं। आप भी इस जानकारी को शेयर करें और लोगों में स्वदेशी चिकित्सा के प्रति जागरूकता फैलाएं।





