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चैनपुर में संत अन्ना बालिका विद्यालय पर गंभीर आरोप, नाबालिग छात्राओं से कराई जा रही मजदूरी

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#चैनपुर #बालश्रमउल्लंघन : नाबालिग छात्राओं से खेतों में धान कटाई कराए जाने का मामला सामने आते ही क्षेत्र में हड़कंप।
  • संत अन्ना बालिका उच्च विद्यालय, चैनपुर की छात्राओं से धान कटाई और ढोवाई कराए जाने का आरोप।
  • बच्चियों ने बताया कि काम सिस्टर सिसिलिया, सिस्टर ज्योति, सिस्टर हेलेन के कहने पर कराया गया।
  • शिक्षिका अमला भी मजदूरी के दौरान मौके पर मौजूद थीं।
  • पत्रकारों के पहुंचते ही बच्चियों को स्कूल वाहन से हटाकर छात्रावास भेजा गया
  • घटनास्थल पर पहुंचे एसआई अशोक कुमार ने केवल चेतावनी देकर मामला निपटा दिया।

चैनपुर, गुमला में रविवार को उस समय हलचल मच गई जब स्थानीय पत्रकारों को गुप्त सूचना मिली कि संत अन्ना बालिका उच्च विद्यालय की नाबालिग छात्राओं से खेतों में धान कटाई और ढोवाई कराई जा रही है। पत्रकारों की टीम मौके पर पहुंची तो 10 से 15 वर्ष आयु की लगभग एक दर्जन बच्चियां खुलेआम खेत में मजदूरी करते हुए पाई गईं। यह घटना न केवल बाल श्रम कानून, बल्कि जेजे एक्ट और बाल अधिकार संरक्षण कानून का सीधा उल्लंघन है, जिससे पूरे जिले में नाराज़गी और आक्रोश देखने को मिल रहा है।

खेत में मिला चौंकाने वाला सच

जब पत्रकारों ने बच्चियों से पूछा कि वे खेत में क्यों काम कर रही हैं, तो उन्होंने धीमी आवाज में बताया कि उनसे यह काम सिस्टर सिसिलिया, सिस्टर ज्योति, और सिस्टर हेलेन के दबाव में कराया जा रहा था। मजदूरी के दौरान शिक्षिका अमला भी खेत में मौजूद थीं। बच्चियों के इन खुलासों ने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है।

प्रबंधन की चुप्पी ने बढ़ाई शंका

पत्रकार जब स्कूल व छात्रावास प्रबंधन से जवाब लेने पहुंचे तो सभी सिस्टरों और शिक्षिकाओं ने किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। इसी दौरान पत्रकारों ने प्रखंड प्रशासन और चैनपुर थाना को सूचना दी। लेकिन पुलिस और प्रशासन के पहुंचने से पहले ही स्कूल प्रबंधन बच्चियों को स्कूल वाहन में बैठाकर छात्रावास ले गया, जिससे मौके पर वास्तविक स्थिति की जांच करना कठिन हो गया।

पुलिस की नरमी पर उठे सवाल

घटनास्थल पर पहुंचे एसआई अशोक कुमार ने स्कूल प्रबंधन को केवल एक “अंतिम चेतावनी” देकर मामला निपटा दिया। इस रवैये ने प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेने के बजाय लीपापोती का प्रयास किया। कई लोगों का कहना है कि प्रबंधन द्वारा बच्चियों पर चुप रहने का दबाव भी बनाया जा रहा है।

सामाजिक संगठनों व आम जनता में रोष

चैनपुर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और ग्रामीण इस घटना से बेहद आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि नाबालिग छात्राओं से मजदूरी कराना एक जघन्य अपराध है और इसमें शामिल सभी लोगों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि अगर स्कूल प्रबंधन निर्दोष होता, तो वह प्रशासन के पहुंचने से पहले बच्चियों को क्यों हटाता?

स्वतंत्र जांच की मांग तेज

स्थानीय लोगों ने स्पष्ट कहा है कि जिला प्रशासन को इस प्रकरण की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। आरोपी सिस्टरों, शिक्षिकाओं और स्कूल प्रबंधन पर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित किए बिना इस मामले को बंद नहीं किया जाना चाहिए। लोगों का मानना है कि ऐसे मामलों पर कार्रवाई न होने से बालिकाओं का भविष्य और सुरक्षा दोनों जोखिम में पड़ जाते हैं।

न्यूज़ देखो: बच्चियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल

यह मामला न केवल बाल श्रम का गंभीर उदाहरण है, बल्कि बालिकाओं के संरक्षण, शिक्षा और सुरक्षा से जुड़े कई चिंताजनक प्रश्न भी खड़े करता है। यदि छात्रावास में रहने वाली बच्चियां ही सुरक्षित नहीं हैं, तो ऐसी संस्थाओं पर समाज का विश्वास कैसे कायम रहेगा? प्रशासन को कठोरता से कदम उठाकर ऐसे मामलों पर रोक लगानी चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बाल अधिकारों के प्रति जागरूक बनें

हम सबकी जिम्मेदारी है कि बच्चों पर होने वाले किसी भी प्रकार के शोषण, दबाव या श्रम की जानकारी तुरंत प्रशासन तक पहुंचाएं। बालिकाओं की सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान हमारी सामूहिक प्राथमिकता होनी चाहिए।
इस मामले पर आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट कर जरूर बताएं।
खबर को शेयर करें ताकि सच सामने आ सके और बच्चियों को न्याय मिल सके।

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