
#बरवाडीह #कड़ाकेकीठंड : क्षेत्र में बढ़ती कनकनी से आम जनजीवन प्रभावित—मॉर्निंग वॉक से लेकर मजदूरों की दिनचर्या तक सब कुछ थमा।
- बरवाडीह (लातेहार) में कड़ाके की ठंड और तेज कनकनी से लोगों की दिनचर्या अस्त-व्यस्त।।
- अधिकतर लोगों ने मॉर्निंग वॉक व सुबह की गतिविधियां ठंड के कारण बंद की।।
- दिहाड़ी मजदूरों की रोजाना मजदूरी पर सीधा असर, सुबह काम पर निकलना मुश्किल।।
- गरीब परिवारों को गर्म कपड़ों के अभाव में रातें काटना भारी पड़ रहा है।।
- प्रशासन द्वारा अब तक कंबल वितरण और अलाव व्यवस्था सुनिश्चित न करने पर ग्रामीणों में नाराजगी।।
कड़ाके की ठंड ने बरवाडीह क्षेत्र में जनजीवन की रफ्तार धीमी कर दी है। सुबह और शाम की कनकनी इतनी बढ़ गई है कि लोग सामान्य गतिविधियों से दूरी बनाए हुए हैं। आम जनजीवन से लेकर मजदूर वर्ग तक हर कोई इस मौसम की मार झेल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि गरीब परिवारों की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय है, क्योंकि गर्म कपड़े और कंबलों की कमी के कारण वे रात भर जागते हुए ठंड से लड़ने को मजबूर हैं। प्रशासन द्वारा अब तक राहत के तौर पर कंबल वितरण या सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था न किए जाने से लोगों में रोष और चिंता दोनों बढ़ गई हैं।
ठंड के कारण बदलती दिनचर्या
बरवाडीह के विभिन्न इलाकों में पिछले कुछ दिनों से तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। सर्द हवाएं और तेज कनकनी लोगों को सुबह जल्दी उठने नहीं दे रही हैं। घरों से बाहर निकलना कठिन हो गया है, जिससे गांव की सामान्य चहल-पहल काफी कम हो गई है। लोगों का कहना है कि इस सीजन में इतनी कठोर ठंड काफी सालों बाद महसूस हो रही है।
मॉर्निंग वॉक पर लगा ब्रेक
स्वस्थ जीवनशैली अपनाने वाले लोग जिनका दिन मॉर्निंग वॉक से शुरू होता था, वे भी इन दिनों घरों में ही सिमट गए हैं। कोहरे और शीतलहर के बीच सुबह टहलना जोखिम भरा साबित हो रहा है। बरवाडीह के कई निवासियों का कहना है कि स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए वे फिलहाल सुबह बाहर निकलने से बच रहे हैं।
मजदूरों की रोजी पर असर
दिहाड़ी मजदूरों के लिए यह मौसम सबसे अधिक कठिनाइयां लेकर आया है। सुबह जल्दी काम की तलाश में निकलना मुश्किल हो गया है, जिससे उनकी रोज की कमाई प्रभावित हो रही है। मजदूर बताते हैं कि ठंड के कारण हाथ-पैर सुन्न पड़ जाते हैं, जिससे काम करना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इससे घर के खर्च चलाना कठिन बनता जा रहा है।
गरीब परिवारों में बढ़ी चिंता
ग्रामिणों के अनुसार, गरीब तबके के परिवारों में हालात सबसे अधिक खराब हैं। कई घरों में पर्याप्त गर्म कपड़े या कंबल नहीं हैं, जिससे बच्चे और बुजुर्ग परेशान हैं। रात के समय ठंड इतनी बढ़ जाती है कि कई परिवार आग जलाकर जैसे-तैसे रात गुजारते हैं। समाजसेवी संगठनों की मदद न मिलने के कारण उनकी चिंता और बढ़ गई है।
कंबल वितरण और अलाव की कमी से नाराज ग्रामीण
ग्रामीणों की प्रशासन से सबसे बड़ी शिकायत यही है कि अब तक कंबल वितरण शुरू नहीं किया गया है और न ही अलाव की व्यवस्था की गई है। हर साल ठंड बढ़ने पर सार्वजनिक जगहों पर अलाव की व्यवस्था होती रही है, लेकिन इस बार ठंड बढ़ने के बावजूद ऐसी कोई पहल शुरू नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण गरीब तबके को सर्दी से सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
न्यूज़ देखो: राहत इंतज़ाम पर सवाल
बरवाडीह में बढ़ती ठंड स्थानीय प्रशासन के तैयारियों की सच्चाई उजागर कर रही है। राहत प्रबंधन में देरी से यह साफ होता है कि जरूरतमंद लोगों की परेशानियों को लेकर जिम्मेदार विभाग पर्याप्त सक्रिय नहीं हैं। दिहाड़ी मजदूरों और गरीब परिवारों के लिए राहत कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि कोई भी परिवार सर्दी का शिकार न बने।
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मदद का समय, संवेदनशीलता की जरूरत
ठिठुरन भरे इस मौसम में एक-दूसरे की मदद करना सबसे बड़ा मानवीय धर्म है। जरूरतमंद परिवारों तक गर्म कपड़े पहुंचाना हो या स्थानीय सार्वजनिक स्थलों पर सामुदायिक अलाव की व्यवस्था कराना—छोटे प्रयास भी बड़ी राहत बन सकते हैं। ऐसे समय में नागरिकों की जागरूकता और प्रशासन की तत्परता दोनों समान रूप से जरूरी हैं।
अब समय है कि हम सब आगे आएं, अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को अपने परिचितों तक पहुंचाएं और जागरूकता बढ़ाकर जरूरतमंदों की सहायता में सहयोग दें।





